संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस 

द्वार पर दस्तक देनेवालों के स्वागत से मिलती है शांति और आशा

वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 21 जुलाई को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया और कहा, इस रविवार के सुसमाचार पाठ में सुसमाचार लेखक लूकस लाजरूस की बहनों मर्था और मरियम के घर में येसु के दौरे का वर्णन करता है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 22 जुलाई 2019 (रेई)˸ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 21 जुलाई को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

इस रविवार के सुसमाचार पाठ में सुसमाचार लेखक लूकस लाजरूस की बहनों मर्था और मरियम के घर में येसु के दौरे का वर्णन करता है। (लूक. 10,38-42) उन्होंने उनका स्वागत किया। मरियम उनके चरणों पर बैठ कर उन्हें सुनती रही, उसने अपना काम छोड़ दिया ताकि येसु के पास रह सके। वह उनके किसी भी शब्द को खोना नहीं चाहती थी।  

विश्वासियों का प्रार्थनामय मनोभाव

संत पापा ने कहा, "जब वे हमारे जीवन में आते हैं तब हमें भी सब कुछ को दरकिनार कर देना चाहिए क्योंकि उनकी उपस्थिति एवं उनके शब्द सब कुछ से अधिक महत्वपूर्ण है। जब हम उन्हें सचमुच सुनना आरम्भ करते हैं तब प्रभु हमें आश्चर्यचकित कर देते हैं, बादल हट जाते हैं, संदेह सच्चाई को और डर स्थिरता को स्थान देता है। जीवन की विभिन्न परिस्थितियाँ सही स्थिति प्राप्त करती हैं। जब प्रभु आते हैं तो वे चीजों को और हमें भी व्यवस्थित कर देते हैं।"   

बेथानिया में येसु के चरणों में बैठी मरियम के दृश्य में संत लूकस, विश्वासियों के प्रार्थनामय मनोभाव को प्रस्तुत करते हैं जो जानते हैं कि येसु अपने स्वामी की उपस्थिति में किस तरह रहना, उन्हें सुनना और उनसे जुड़े रहना है। यह दिन के बीच-बीच में अवकाश लेना, कुछ मिनटों के लिए मौन रहना और प्रभु के लिए स्थान देना है जो हमारे पास से होकर गुजरते हैं, उनके साथ कुछ समय व्यतीत करने का साहस करना है, उसके बाद अधिक उत्साह और ऊर्जा के साथ अपने दैनिक जीवन के कार्यों में लौटना है।  

मरियम के व्यवहार की प्रशंसा करते हुए, जिसने उत्तम भाग चुन लिया था (पद.42) येसु हम प्रत्येक से भी यही कह रहे हैं कि अपने कार्यों में ही व्यस्त होकर न रह जाओ, बल्कि पहले प्रभु की वाणी सुनो ताकि जीवन के कार्यों को अच्छी तरह निभा पाओगे।

परेशान हुए बिना सेवा देना

संत पापा ने लाजरूस की दूसरी बहन मर्था की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा, "एक दूसरी बहन भी थी मर्था।" संत लूकस बतलाते हैं कि वह येसु के सेवा-सत्कार में लगी थी। शायद दोनों बहनों में से वह बड़ी बहन थी, हम नहीं जानते हैं किन्तु निश्चय ही वह सेवा-सत्कार करना अच्छी तरह जानती थी।" जब मरिया येसु के वचनों को सुन रही थी वह सेवा-सत्कार के कार्यों में व्यस्त थी, फिर भी येसु कहते हैं, "मर्था, मर्था तुम बहुत-सी बातों के विषय में चिंतित और व्यस्त हो।" (पद. 41) इन शब्दों के द्वारा वे निश्चय ही उसकी सेवा भावना की निंदा करना नहीं चाहते थे बल्कि वे इसके द्वारा उत्पन्न होने वाली परेशानी को दूर करना चाहते थे। हम भी मर्था की तरह व्यस्त रहते हैं, उनके उदाहरण द्वारा सीख लें कि हम अपने परिवारों में और समुदायों में स्वीकृति और भ्रातृत्व की भावना को जी सकें ताकि छोटों एवं गरीबों द्वारा द्वार खटखटाये जाने पर हम उसे सुन सकें।

प्रज्ञा चिंतन एवं कर्म को एक साथ लाती है

अतः आज का सुसमाचार पाठ हमें याद दिलाता है कि हृदय की प्रज्ञा इस में प्रकट होती है कि इन दोनों तत्वों-चिंतन और कार्यों को किस तरह से एक साथ लाया जाए। मर्था और मरियम हमें रास्ता दिखलाते हैं। यदि हम जीवन को आनन्द से जीना चाहते हैं तो हमें इन दोनों मनोभावों को एक साथ लाना होगा। एक ओर येसु के चरणों पर बैठना और उन्हें सुनना जब येसु हमारे लिए रहस्यों को प्रकट करते हैं, दूसरी ओर, उनकी सेवा करने के लिए भी हमें तत्पर होना जब वे हमारे पास से होकर गुजरते हैं और हमारे द्वार पर दस्तक देते हैं तब हमें मित्रता के साथ रूकने और भाईचारा दिखाने की आवश्यकता है। हमें उनकी सेवा करने की आवश्यकता है।   

संत पापा ने धन्य कुँवारी मरियम से प्रार्थना करने का आह्वान करते हुए कहा, "संत मरियम कलीसिया की माता हमें ईश्वर एवं अपने भाई-बहनों से प्रेम करने एवं उनकी सेवा करने की कृपा दे ताकि हम मर्था के हाथों एवं मरिया के हृदय से सेवा कर सकें।" ख्रीस्त को सुनने के द्वारा हम शांति एवं आशा के निर्माता बन सकें, और निश्चय ही, इन दोनों मनोभावों के द्वारा हम शांति और आशा के निर्माता बन सकते हैं।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

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22 July 2019, 14:21