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संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस 

सभी प्रार्थनाओं का सार है, "हे पिता हमारे" की प्रार्थना

वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 28 जुलाई को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

आज के सुसमाचार पाठ में संत लूकस (लूक. 11,1-13), एक ऐसी परिस्थिति का वर्णन  करते हैं जहाँ येसु "हे पिता हमारे" की प्रार्थना को सिखलाते हैं। शिष्य यहूदी परम्परा के अनुसार प्रार्थना करना जानते थे, फिर भी, वे येसु के समान प्रार्थना करने की चाह रखते हैं क्योंकि उन्हें मालूम हो गया था कि उनके प्रभु के जीवन में प्रार्थना का एक महत्वपूर्ण स्थान है। इसके अलावा वे उनसे इसलिए प्रभावित थे क्योंकि वे अन्य गुरूओं की तरह मंदिर में प्रार्थना नहीं करते थे फिर भी उनकी प्रार्थना में पिता के साथ एक गहरा संबंध दिखाई पड़ता था, इतना गहरा कि वे उनकी मधुरता को पूरी तरह महसूस कर सकते थे।

हे पिता हमारे की प्रार्थना

इस तरह शिष्यों ने एक निश्चित स्थान पर येसु की प्रार्थना के समाप्त होने की प्रतीक्षा करने के बाद उनसे पूछा, "प्रभु हमें प्रार्थना करना सिखलाइये।" (पद.1) शिष्यों के इस सवाल का उत्तर देते हुए येसु ने उन्हें प्रार्थना का कोई अस्पष्ट परिभाषा नहीं बतलाया और न ही प्रार्थना कर कुछ पाने का प्रभावशाली मंत्र ही सिखलाया। बल्कि उन्होंने अपने शिष्यों को प्रार्थना का अनुभव करने, पिता के साथ सीधे रूप से सम्पर्क करने और पिता ईश्वर के साथ व्यक्तिगत संबंध स्थापित करने की चाह हेतु प्रेरित किया।

ख्रीस्तियों की प्रार्थना में नवीनता

संत पापा ने कहा कि ख्रीस्तियों की प्रार्थना में यही नवीनता है। यह उन लोगों के बीच बातचीत है जो एक-दूसरे को प्यार करते हैं। एक ऐसा संवाद जो भरोसा रखने और सुनने पर आधारित है एवं उदारता के लिए तत्पर है। यह पिता का पुत्र के साथ एक वार्तालाप है। एक पिता का अपने बेटे-बेटियों के साथ बातचीत है। यही ख्रीस्तीय प्रार्थना है। अतः वे उन्हें "हे हमारे पिता" की प्रार्थना सिखलाते हैं जो इस पृथ्वी के मिशन में हमारे प्रभु का एक बहुमूल्य उपहार है।

ईश्वर के पितृत्व में प्रवेश करना

इस प्रार्थना के द्वारा एक पुत्र और एक भाई के रूप में अपने रहस्य को प्रकट करने के बाद येसु हमें तैयार करते हैं कि हम ईश्वर के पिता तुल्य स्नेह को समझें। संत पापा ने कहा, मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूँ कि जब येसु "हे पिता हमारे" की प्रार्थना सिखलाते हैं तब हमें ईश्वर के पितृत्व में प्रवेश कराते हैं तथा एक पुत्र होने की दृढ़ता के साथ उनसे प्रार्थनामय एवं सीधे वार्ता में शामिल होने का रास्ता दिखलाते हैं।

पिता और पुत्र के बीच वार्तालाप

यह पिता और पुत्र के बीच वार्तालाप है, एक पुत्र  का अपने पिता से बातें करना है। अर्थात् जब हम पिता हमारे की प्रार्थना करते हैं तब वह उनके एकलौटे पुत्र में साक्षात् रूप से प्रकट किया जा चुका है। हमें उनके नाम पर पवित्र किया गया, उनके राज्य के आगमन, भोजन, क्षमा, और बुराई से बचाने का दान मिल चुका है। जब हम उनसे मांगते हैं तो ग्रहण करने के लिए हमें अपने हृदय को खोलना है। उन दानों को ग्रहण करने के लिए जिनको उन्होंने अपने पुत्र के लिए प्रकट किया है। जो प्रार्थना उन्होंने सिखलायी है वह सभी प्रार्थनाओं का सार है और हम अपने भाई-बहनों के साथ मिलकर पिता से मांगते हैं। कई बार प्रार्थनाओं में दो चिताई होती है किन्तु हम अनेक बार प्रार्थना के प्रथम अक्षर पिता पर रूक जाते हैं एवं हृदय में उनकी पितृत्व को महसूस करने लगते हैं।

प्रार्थना में जोर देने की आवश्यकता

उसके बाद येसु एक ऐसे व्यक्ति का दृष्टांत सुनाते हैं जिसका मित्र हठी था। संत पापा ने कहा, "प्रार्थना में जोर देने की आवश्यकता है।" बच्चों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि तीन साल या साढ़े तीन साल के बच्चे क्या करते हैं। वे उन चीजों को पूछते हैं जिन्हें नहीं समझते। इस अवस्था को "क्यों" की उम्र भी कही जा सकती है। संत पापा ने कहा कि यहाँ भी यही बात है। बच्चे अपने पिता को देखकर पूछते हैं क्यों पिताजी, क्यों? वे किसी चीज के बारे में जानना चाहते हैं और जब पिता उसके बारे बतलाने लगते हैं तो हम जानते हैं कि उनकी बात पूरी होने से पहले ही वे दूसरा सवाल पूछ बैठते हैं। यह इसलिए क्योंकि बच्चे कई चीजों से असुरक्षित महसूस करते हैं। वे अपने पिता के ध्यान को अपनी ओर खींचना चाहते हैं। हे पिता हमारे की प्रार्थना में यदि हम प्रथम शब्द पर ठहर जाते हैं तब हम वैसा ही करते हैं, जैसा कि हम बचपन में अपने पिता के साथ करते थे। हम उनका ध्यान अपनी ओर खींचते हैं क्योंकि उन्हें पिता...पिता... पुकारते हैं एवं पूछते हैं कि ऐसा क्यों? और वे हमारी ओर देखते हैं।

प्रार्थना की नारी माता मरियम से प्रार्थना

हम प्रार्थना की नारी माता मरियम से प्रार्थना करें, कि वे हमें येसु के साथ संयुक्त होकर "हे हमारे पिता" की प्रार्थना करने, सुसमाचार को जीने एवं पवित्र आत्मा से संचालित होने में मदद दे।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

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29 July 2019, 13:44