संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस 

पवित्र आत्मा से प्रेरित एक साथ चलें, जर्मन कलीसिया से संत पापा

29 जून को प्रकाशित एक पत्र में संत पापा फ्राँसिस ने जर्मनी की कलीसिया की सिनॉडल (धर्माध्यक्षीय धर्मसभा) यात्रा के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया है। उन्होंने पत्र में जर्मनी की कलीसिया की सराहना की है एवं आह्वान किया है कि यह अकेला आगे न बढ़े बल्कि पवित्र आत्मा से संचालित होकर नवीनीकरण पर ध्यान दे।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार, 29 जून 2019 (रेई)˸ पत्र में संत पापा ने कहा है, "हम सभी जानते हैं कि हम केवल परिवर्तन के युग में नहीं किन्तु नवयुगीन परिवर्तन में जी रहे हैं जो कुछ नये और पुराने सवालों को खड़ा करता है और जो न्यायसंगत एवं आवश्यक विवादों को निमंत्रण देता है।" उन्होंने कहा है कि वे देश की कलीसिया के नाटकीय परिस्थिति से अवगत हैं एवं इस मुद्दे पर चिंतन करने हेतु अपना समर्थन देते हैं।

एक साथ यात्रा

यह पत्र, सिनॉडल यात्रा को संत पापा फ्राँसिस का योगदान है जिसका निर्णय धर्माध्यक्षों ने मार्च महीना में हुए आमसभा में किया था।

इस सिनॉडल यात्रा का शुरूआती विन्दु था याजकों एवं धर्मसमाजियों द्वारा यौन दुराचार की विषयवस्तु पर अध्ययन करना। इसके साथ ही साथ बुलाहट की कमी, यौन एवं पुरोहितों की जीवन शैली में काथलिक शिक्षा को अस्वीकृति आदि विषयों पर भी चर्चा की गयी।  

पवित्र आत्मा पर केंद्रित

संत पापा ने इन सवालों का ठोस उत्तर नहीं दिया है। उनका योगदान है वाद-विवाद में आध्यात्मिक आधार प्रदान करना। वे न तो हल प्रदान किये हैं और न ही विवाद को रोकते हैं बल्कि पवित्र आत्मा को केंद्र में रखने का परामर्श देते हैं।

संत पापा ने अपने पत्र की शुरूआत जर्मनी की कलीसिया की दो विशेषताओं एवं ताकतों को रेखांकित करते हुए की है। पहला जर्मन कलीसिया की विविधता एवं दूसरा ख्रीस्तीय एकता के रास्ते को अपनाना।

विश्वास में कमी

ऊपर वर्णित विशेषताओं पर गौर करते हुए परिवर्तन का दौर तीसरा स्थान लेता है। संत पापा ने लिखा, "आज, आपके साथ मैं गहरे दुःख के साथ विश्वास में कमी आने एवं उसमें बिगड़ने की याद करता हूँ, न केवल आध्यात्मिक स्तर पर किन्तु सामाजिक एवं सांस्कृति स्तर पर भी, यह एक बहुमुखी पतन है जिसका समाधान आसान नहीं है।

सिनॉडालिटी

संत पापा ने सिनॉडालिटी का अर्थ बतलाते हुए इसके दो आयामों पर प्रकाश डाला है–नीचे से ऊपर और ऊपर से नीचे। विश्वास, सुसमाचार प्रचार एवं सबसे बढ़कर पवित्र आत्मा को केंद्र में रखे जाने पर जोर देते हुए संत पापा ने विभिन्न दृष्टिकोण को रखा है और उन्हें प्रतिदिन के जीवन में आत्मसात करने की सलाह दी है। संत पापा ने जर्मनी के धर्माध्यक्ष को गलत सुधार के लिए भी चेतावनी दी है।

प्रलोभन

संत पापा के अनुसार सिनॉडल रास्ते पर चलने के लिए साहस की आवश्यकता है। साथ ही साथ, उन्होंने प्रलोभन के जाल में नहीं पड़ने के लिए व्यक्ति को सावधान रहने की भी सलाह दी है। प्रलोभन सभी समस्याओं की जड़ है किन्तु समस्याओं एवं कमजोरियों का उत्तम जवाब है चीजों को पहचाना जाना, उसमें बदलाव लाना एवं एक साथ आना ताकि कलीसियाई जीवन को सरल बनाया जा सके। इसके विपरीत संत पापा ने कहा है कि एक व्यवस्थित कलीसियाई ईकाई मात्र समस्या का हल नहीं कर सकती है क्योंकि इसके लिए सुसमाचार के संदेश की आवश्यकता है।

सच्चा सुधार एवं सिनॉडालिटी

केवल भावना तक सीमित नहीं रहने के लिए संत पापा ने सच्चे सुधार का उपाय बतलाया है। इस सुधार के अनुसार भाई-बहनों से मुलाकात करने जाना है विशेषकर, फेंकने की संस्कृति के कारण जो लोग हाशिये पर जीवनयापन करते हैं और कमजोर हैं।

संत पापा ने कहा है कि जो चुनौतियाँ हमारी प्रतीक्षा कर रही हैं और जो मुद्दे एवं सवाल उठ रहे हैं उन्हें अनदेखा नहीं करना चाहिए और न ही छिपाना चाहिए किन्तु उनका सामना किया जाना चाहिए।

अतः संत पापा ने सिनॉड में सभी को सुने जाने पर जोर दिया है, विशेषकर, दीन एवं छोटे लोगों को।

उन्होंने कहा है कि "आइये, हम एक साथ चलें, एक प्रेरितिक ईकाई के रूप में तथा पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन में एक-दूसरे को सुनें, भले ही हम एक-दूसरे से सहमत न भी हों किन्तु प्रभु हमें आशीर्वचन का रास्ता दिखलायें।"

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29 June 2019, 16:03