कोरपुस क्रिस्टी का समारोही मिस्सा कोरपुस क्रिस्टी का समारोही मिस्सा  

जरूरतमंद लोगों को अपनी हैसियत अनुरूप सहायता करें, संत पापा

संत पापा फ्राँसिस ने रोम के बाहर कासेल बर्टोन में कोरपुस क्रिस्टी का समारोही मिस्सा का अनुष्ठान किया और उस क्षेत्र के पल्लीवासियों से आग्रह किया कि वे एक दूसरे के लिए आशीष बनें। जरुरतमंदों के साथ जो कुछ भी अपने पास है उसे साझा करें।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

रोम, सोमवार 24 जून 2019 (वाटिकन न्यूज़) : संत पापा फ्राँसिस ने संत मरिया कोनसोलात्रिचे पल्ली के प्रांगण में कोरपुस क्रिस्टी याने प्रभु के पवित्र शरीर और रक्त के महोत्सव के ख्रीस्तयाग अर्पित किया।

संत पापा ने मिस्सा के दौरान अपने प्रवचन को दो क्रियाओं ‘बोलना’ और ‘देना’ पर केंद्रित किया।

‘बोलना’ 

उन्होंने कहा, "बोलना ही आशीर्वाद देना है ... सब कुछ आशीर्वाद से शुरू होता है: अच्छाई के शब्द अच्छाई का इतिहास बनाते हैं। आशीष अच्छाई का झरना है। आशीर्वाद देना एक उपहार है, क्योंकि हम खुद के बजाय दूसरे व्यक्ति के लिए कुछ करते हैं।

उन्होंने कहा, आशीर्वाद देते समय यह जरुरी नहीं है कि हम किस शब्द या वाक्यांशों का प्रयोग करते हैं पर यह जरुरी है कि हम इसे प्यार से बोलते हैं। “युखारिस्त अपने आप में आशीष का केंद्र है। ईश्वर अपने प्यारे बच्चों को आशीर्वाद देते हैं और इस तरह हमें आगे बढ़ते रहने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

संत पापा ने इस बात के लिए शोक व्यक्त किया कि लोग बड़ी ही सहजता के साथ दूसरों पर क्रोध करते हैं तथा तिरस्कार और अपमान के शब्दों को बोलते हैं। उन्होंने कहा, "आइए, हम अपने आप को कड़वाहट से दूर रखें, क्योंकि हम उस रोटी को ग्रहण करते हैं, जो मिठास से भरी होती है।" ईश्वर के लोगों को शिकायत नहीं अपितु दूसरों की तारीफ करनी चाहिए, "क्योंकि हम दूसरों को आशीर्वाद देने के लिए बनाए गए हैं तिरस्कार करने के लिए नहीं।"

‘देना’

संत पापा फ्रांसिस ने इस पर चिंतन किया कि कैसे येसु ने चेलों को कई हजार लोगों को खिलाने के लिए रोटी और मछलियों को दी। यह चमत्कार, एक जादुई चाल नहीं है। येसु ने अपने पिता पर भरोसा किया "और वे पाँच रोटियाँ कभी भी खत्म नहीं हुई।"

संत पापा ने कहा कि येसु अपने शिष्यों को शिक्षा देते हैं, भले ही हमारे पास सीमित वस्तु है, जब हम उसी को दूसरों के साथ बांटते हैं तो वह और फलदायी होती है।"

उन्होंने कहा कि पवित्र युखारिस्त में, हम खुद को "प्रभु की रोटी में निहित" पाते हैं, जो हमें खुद को देने के लिए प्रेरित करते हैं।

पड़ोसियों के साथ साझा करना

अंत में संत पापा ने कहा कि यह क्षेत्र रोम से बाहर और उपेक्षित है। यहाँ बहुत से बुजुर्ग लोग हैं जो अकेले रहते हैं जिन्हें प्यार एवं अपनेपन की जरुरत है। बहुत सारे परिवार किसी तरह अपने परिवार और अपने बच्चों की परवरिश कर रहे हैं। आज प्रभु हमें जरुरतमंदों की मदद हेतु अपना हृदय खोलने हेतु आमंत्रित करते हैं। हम अपने हैसियत से जितना बन पड़े खुशी से जरुरतमंदों को दें। हमारी गलियों में गरीब लोगों के रुप में प्रभु हमसे मुलाकात करते हैं। हम दूसरों के लिए आशीष और उपहार बनें।

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24 June 2019, 16:18