खोज

प्रेरितिक राजदूत लेओन कलेंगा बादिकेबेले का अंतिम संस्कार करते हुए संत पापा प्रेरितिक राजदूत लेओन कलेंगा बादिकेबेले का अंतिम संस्कार करते हुए संत पापा  

प्रेरितिक राजदूत लेओन कलेंगा का अंतिम संस्कार समारोह

संत पापा ने मनेतो के महाधर्माध्यक्ष एवं अर्जेंटीना में प्रेरितिक राजदूत लेओन कलेंगा बादिकेबेले के अंतिम संस्कार मिस्सा समारोह का अनुष्ठान किया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार 15 जून 2019 (रेई) :  संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 15 जून को संत पेत्रुस महागिरजाघर में प्रातः परमधर्मपीठ के प्रतिनिधियों के साथ मनेतो के महाधर्माध्यक्ष एवं अर्जेंटीना में प्रेरितिक राजदूत लेओन कलेंगा बादिकेबेले के अंतिम संस्कार मिस्सा समारोह का अनुष्ठान किया।

महाधर्माध्यक्ष लेओन कलेंगा बादिकेबेले का जन्म 1956 में बेल्जियन कांगो में हुआ था। उन्होंने 1990 में परमधर्मपीठ की राजनयिक सेवा में प्रवेश किया था। उनकी आखिरी सेवा अर्जेंटीना में प्रेरितिक राजदूत की थी। रोम में लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हुआ।

बिदाई

संत पापा ने अपने प्रवचन में कहा, “हमारी आज की पूजन विधि हमारे भाई लेओन के लिए अंतिम विदाई प्रार्थना से समाप्त होगी। हम सभी हमारे भाई को ईश्वर के हाथों सौंप देंगे क्योकि धर्मग्रंथ कहता है धर्मियों की आत्माएं ईश्वर के हाथ में है उन्हें कभी कष्ट नहीं होगा। (प्रज्ञा,3.1) ईश्वर का हाथ प्रेम और करुणा से भरा है।

गवाही

संत पापा ने कहा कि यह विदाई प्रार्थना है, इससे भी ज्यादा एक चरवाहा, अपने झुँड से अपने लोगों से विदा लेता है। जैसा कि संत पौलुस ने मिलेतुस से जाते वक्त एफेसुस की कलीसिया के अध्यक्षों के सामने आँसु बहाते हुए उनसे विदा ली। जहाज चढ़ने से पहले सभी उनसे गले मिले और रोते हुए उन्हें बिदा किया। (प्रेरित 20: 17-38) पौलुस ने यह कहते हुए अपनी गवाही दी, “आप जानते हैं कि पहले दिन से ही मेरा आचरण आपके साथ कैसा था।” (पद 18): संत पौलुस ने कहा कि वे ईश्वर की आज्ञा मानते हुए उनसे विदा ले रहे हैं। उसका जीवन ईश्वर की आज्ञाकारिता का जीवन है: "और इसलिए, वे आत्मा द्वारा विवश होकर जा रहे हैं।” (पद 22) दूसरी तरफ, पवित्र आत्मा चरवाहे के जीवन में स्तंभ की तरह है, वही लाती और ले भी जाती है। यह चरवाहे के जीवन का समर्थन करता है।

अलगाव

संत पापाने कहा कि एक चरवाहा अपने झुँड से अलग होना भी जानता है। वह दुनियायी वस्तुओं से अपने आप को दूर रखता है। संत पौलुस कहते हैं कि आज के बाद कोई भी उसे नहीं देख पायेंगे और वे उन्हें विश्वास दिलाते हैं कि वे किसी के दुर्भाग्य का उत्तरदायी नहीं हैं।(पद 25-26) उन्होंने प्रभु की शिक्षा ग्रहण की है अब वे वयस्क हो गये हैं अपनी और झुँड की रखवाली खुद कर सकते हैं। उन्हें जो विरासत में मिली है उसकी देखभाल करना अब उनपर है। (28) वे कलीसिया के सच्चे चरवाहे बनें और आगे बढ़ें।

अंत में संत पौलुस एक भाई, एक पिता और एक चरवाहे के रुप में उन्हें भेड़ों से और भटकाने वाली शिक्षा से सावधान रहने को कहते हैं और उन्हें पिता ईश्वर के हाथों में सौंपते हैं। (पद 32)

छोड़ना सीखना

संत पापा ने कहा संत पौलुस की भांति आज हमारे भाई लेओने हमसे और अर्जेंटीना और साल्वादोर के अपने लोगों से कहेंगे। वे हमसे बिदा लेंगे और हमें ईश्वर के हाथों समर्पित करेंगे।

संत पापा ने कहा कि येसु भी विदा लेते वक्त अपने चेलों से कहा था,“मैं तुम लोगों के लिए स्थान का प्रबंध करने जाता हूँ।(योहन 14,2) हमें  हमारे प्रभु येसु, संत पौलुस और अपने भाई लेओने से इस दुनिया से विदा लेने हेतु सीखना चाहिए। जीवन की यात्रा में हमें बहुत कुछ को पीछे छोड़ना पड़ता है। मृत्यु तो अंतिम विदाई है। प्रभु हमें कृपा दें कि हम भी अलविदा कहना सीखें, जो प्रभु की कृपा है।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

15 June 2019, 17:02