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काथलिक मेडिकल एसोशिएशन के अंतरराष्ट्रीय संघ से मुलाकात करते संत पापा काथलिक मेडिकल एसोशिएशन के अंतरराष्ट्रीय संघ से मुलाकात करते संत पापा 

चिकित्सकों से संत पापा, लोगों के करीब आने पर चंगाई

संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 22 जून को काथलिक मेडिकल एसोशिएशन के अंतरराष्ट्रीय संघ के 500 सदस्यों से वाटिकन में मुलाकात की तथा उन्हें अपना संदेश दिया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

संत पापा ने अपने संदेश में आरम्भिक ख्रीस्तीय समुदाय की याद दिलाते हुए कहा कि उस समुदाय में प्रभु येसु को डॉक्टर की संज्ञा दी जाती थी और इसके द्वारा उन्हें एक करूणावान व्यक्ति रूप में प्रस्तुत किया जाता था, जो हर प्रकार की बीमारी से पीड़ित लोगों की बीमारी को दूर करता है। येसु का मिशन था रोगियों और अपाहिजों के करीब जाना, विशेषकर, वे उन लोगों के पास जाते थे जो अपनी बीमारी के कारण हाशिये पर रखे जाते थे। इस प्रकार उन्होंने कई बार उन सजाओं को पलट दिया जो रोगी व्यक्ति को पापी घोषित करता था। अपने करूणावान सामीप्य के द्वारा येसु ने पिता ईश्वर के असीम प्रेम को उनके बच्चों के लिए प्रकट किया जो सबसे अधिक जरूरतमंद थे।   

रोगियों की देखभाल करना ख्रीस्त के मिशन का आवश्यक पहलू है अतः यह कलीसिया का भी मिशन है। सुसमाचार हमें येसु के सुसमाचार प्रचार एवं चंगाई के कार्य के बीच स्पष्ट संबंध दिखलाता है।

रोगियों के करीब रहें

संत पापा ने कहा कि महत्वपूर्ण बात यह है कि येसु किस तरह रोगियों एवं पीड़ितों की चिंता करते थे। वे बहुधा उन लोगों का स्पर्श करते थे और उन्हें खुद का स्पर्श करने देते थे। यहाँ तक कि ऐसे मामलों में भी जिसपर पाबंदी होती थी, उदाहरण के लिए रक्तस्राव से पीड़ित महिला।

संत पापा ने कहा कि येसु के लिए चंगाई प्रदान करने का अर्थ है व्यक्ति के करीब आना, उस समय भी जब इसके लिए रोका जाए, जैसा कि जेरिखो का अंधा बारतिमेयुस के साथ किया गया था। जब येसु ऐसे लोगो के करीब आते थे तो वे पूछते थे कि तुम क्या चाहते हो? (मार. 10:51) एक डॉक्टर द्वारा रोगी को इस तरह से सवाल पूछा जाना हमें चकित कर सकता है किन्तु यह दिखलाता है कि देखभाल करते समय शब्दों और वार्तालाप का कितना महत्व है। येसु के लिए देखभाल के साथ वार्तालाप जुड़ा है ताकि व्यक्ति अपनी इच्छा एवं ईश्वर के प्रेमी कार्य की शक्ति को प्रकट कर सके।

व्यक्ति की पूरी चंगाई

रोगियों की देखभाल की प्रक्रिया राहत से शुरू होती है और सांत्वना, मेल-मिलाप एवं चंगाई तक पहुँचती है। जब सच्चा प्रेम प्रकट किया जाता है तब व्यक्ति के शरीर, मन और आत्मा में एकता आती है। हम इसे येसु के मिशन में पाते हैं येसु केवल एक भाग को चंगाई नहीं देते थे बल्कि उनके पूरे शरीर को चंगाई देते थे। कभी-कभी चंगाई शरीर से शुरू होती है और कभी-कभी हृदय से क्षमा देने के द्वारा, किन्तु चंगाई पूरे शरीर के लिए होता था।  

संत पापा ने येसु के मिशन की दूसरे महत्वपूर्ण क्रिया पर प्रकाश डालते हुए कहा कि चंगा करने के बाद येसु व्यक्ति को उठकर चलने को कहते थे। चंगा किये हुए व्यक्तियों में से कई येसु के शिष्य बन गये और उनका अनुसरण किया। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि चंगाई, मन-परिवर्तन, बुलाहट एवं प्रेषण में, येसु उनके करीब आये। इससे स्पष्ट है कि  इसके द्वारा, बीमारी और दुर्बलता से पीड़ित व्यक्तियों के साथ उनका एक व्यक्तिगत और गहरा संबंध स्थापित हुआ।

जीवन को सम्मान

संत पापा ने कहा कि येसु के इस उदाहरण के द्वारा पता चलता है कि कलीसिया के चिकित्सक, रोगियों एवं पीड़ितों के निकट रहने के लिए बुलाये गये हैं। वे संवेदनशीलता और मानव प्रतिष्ठा के प्रति सम्मान के साथ सेवा करने के लिए चुने गये हैं।

वे शारीरिक चिकित्सा प्रदान करने के अलावा रोगियों को ध्यान पूर्वक सुनने एवं उनका सही उत्तर देने के लिए बुलाये गये हैं। वे उन्हें उठने हेतु प्रोत्साहन एवं सांत्वना देने तथा आशा प्रदान करने के लिए बुलाये गये हैं।   

संत पापा ने मेडिकल के सभी सदस्यों को सम्बोधित कर कहा कि उनका मिशन मानवता का साक्ष्य देना है, हरेक व्यक्ति को यह देखने में मदद करना कि हमारे पिता ईश्वर बिना फर्क किये प्रत्येक व्यक्ति की कितनी चिंता करते हैं। वे प्रत्येक व्यक्ति को जीवन और प्रेम प्रदान करना चाहते हैं।

आध्यात्मिक नवीनीकरण

संत पापा ने कहा कि इसके लिए उन्हें क्षमता, धीरज, आध्यात्मिक शक्ति एवं भाईचारापूर्ण एकात्मता की आवश्यकता है।      

उन्होंने उन्हें सलाह दी कि वे एक काथलिक चिकित्सक के रूप में अपने मिशन को मिलकर और नैतिक सत्यनिष्ठा के साथ पूरा करें। इसके लिए संत पापा ने उन्हें ईशवचन एवं संस्कारों द्वारा आध्यात्मिक नवीनीकरण एवं बल प्राप्त करने की सलाह दी। उन्होंने कामना की कि पवित्र आत्मा उन्हें निर्णय लेने की कृपा प्रदान करे, विशेषकर, जब संवेदनशील एवं जटिल परिस्थितियाँ आ जाती हैं और ऐसे समय में वे सही चीजों को सही तरीके से कह सकें।  

उन्होंने उन्हें रोगियों एवं अपने सहकर्मियों और सेवकों के लिए प्रार्थना करने की सलाह दी।

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22 June 2019, 14:54