संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस 

सबसे कमजोरों के लिए सामाजिक न्याय सुनिश्चित करें, संत पापा

संत पापा ने सामाजिक अधिकारों और फ्राँसिस्कन सिद्धांत पर पान-अमेरिकन न्यायाधीशों के शिखर सम्मेलन का समापन किया, जो पोंटिफिकल एकाडमी ऑफ सोशल साइंसेज द्वारा अन्याय के खिलाफ चेतावनी, कईएक के लिए अवसर की कमी और न्यायिक प्रणाली में परिवर्तन करने हेतु बुलाई गई थी।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार 5 जून 2019 (वाटिकन न्यूज) : "सामाजिक अधिकारों और फ्राँसिस्कन सिद्धांत पर पान-अमेरिकन न्यायाधीशों के शिखर सम्मेलन के समापन पर संत पापा फ्रांसिस ने वाटिकन में उपस्थित 100 से अधिक न्यायाधीशों को संबोधित करते हुए उनसे आग्रह किया कि वे सामाजिक अधिकारों का बचाव करने हेतु प्रतिबद्ध रहें।

शिखर सम्मेलन ने तीनों अमेरिका के न्यायाधीशों की जिम्मेदारियों और कार्य पर ध्यान केंद्रित किया, जिनकी दक्षताओं में सामाजिक आर्थिक और सांस्कृतिक अधिकार का प्रभावी कार्यान्वयन शामिल है।

इसी विषय पर गत वर्ष जून 2018 में ब्यूनस आयर्स में सम्मेलन आयोजित किया गया था, जिसमें न्यायधीशों और न्यायिक अधिकारियों ने संत पापा फ्राँसिस के मजिस्ट्रियम के मूलभूत दस्तावेजों में निहित कानूनी प्रेरणा पर चर्चा की थी।

स्पानिश में अपने लंबे प्रवचन के दौरान, संत पापा ने कानूनी प्रक्रियाओं के अनुचित उपयोग और एक आम सहमति के लिए अपनी चिंता व्यक्त की, जो सामाजिक अधिकारों को "पुराने, अप्रचलित और हमारे समाजों में योगदान करने के लिए कुछ भी नहीं होने" के रूप में देखते हैं।

उन्होंने कहा, यह रवैया उन आर्थिक और सामाजिक नीतियों की पुष्टि करता है जिनके कारण "असमानता और अयोग्यता" को स्वीकृति और औचित्य मिल गई है।

संत पापा फ्राँसिस ने बहुत सारे गरीब लोगों के लिए बड़े पैमाने पर "अनुचित और ठोस अवसरों की कमी" की निंदा की। कई नीति-निर्माता "खुद को दूसरे के जूते में डालने में विफल रहे।संत पापा ने कहा,“मुझे जूता नहीं कहना चाहिए था क्योंकि इन गरीब लोगों के पास तो पहनने के लिए जूते तक नहीं हैं।”

लोगों की आत्मा दांव पर

संत पापा ने कहा कि हम परिवर्तन के एक ऐतिहासिक दौर में जी रहे हैं "जिसमें लोगों की आत्मा दांव पर है।"

उन्होंने कहा कि हमारा समय संकट और खतरों का है,जिसमें एक विरोधाभास हैः "एक तरफ, मानदंडों का एक अभूतपूर्व विकास, दूसरी तरफ, वैश्विक स्तर पर संरक्षित प्रभावी अधिकारों में गिरावट।"

उन्होंने कहा कि बहुत बार समाज और नीति-निर्माता "वास्तविक रूप से" नियमों और विनियमों को अपनाते हैं, विशेषकर सामाजिक अधिकारों को विनियमित करने वाले कानूनों के संबंध में वे अलग-अलग वजह से ऐसा करते हैं, चाहे वह घाटे का बजट हो या सामाजिक लाभ हो या कोई अन्य तर्क हो।

सामाजिक अधिकारों का व्यवस्थित उल्लंघन

संत पापा ने 'कानून किराया' के खिलाफ जोरदार प्रहार किया, इस प्रथा का इस्तेमाल एक कथित दुश्मन के खिलाफ किया जाता है, जिसमें कहा गया है कि लोकतंत्र को गंभीर रूप से खतरे में डालने के अलावा, "इसका इस्तेमाल उभरती हुई राजनीतिक प्रक्रियाओं को कमजोर करने और सामाजिक अधिकारों के व्यवस्थित उल्लंघन की ओर जाता है।"

संत पापा ने कहा, "राज्यों की संस्थागत गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए, समानान्तर मल्टीमीडिया संचालनों के संयोजन में, अनुचित न्यायिक गतिविधियों के परिणामस्वरूप होने वाली इन प्रकार की प्रथाओं को पहचानना और उन्हें बेअसर करना आवश्यक है।"

न्यायधीशों की महत्वपूर्ण भूमिका

संत पापा फ्राँसिस ने यह कहते हुए अपने लंबे भाषण का समापन किया: "प्रिय न्यायधीशो, आपकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है।" संत पापा ने उन्हें संभावित "सामाजिक कवि" के रूप में वर्णित किया जब वे न्यायिक प्रणाली के परिवर्तन में एक प्रमुख भूमिका निभाने से डरते नहीं हैं जो साहस, न्याय और मानव व्यक्ति की गरिमा की प्रधानता पर आधारित होनी चाहिए।

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05 June 2019, 16:34