रोमानिया में सेवारत येसु संघी पुरोहितों के साथ संत पापा रोमानिया में सेवारत येसु संघी पुरोहितों के साथ संत पापा 

उदासीनता से बचें, रोमानिया के जेस्विटों से संत पापा

संत पापा फ्राँसिस ने रोमानिया में अपनी प्रेरितिक यात्रा के दौरान वहाँ के 22 जेस्विट पुरोहितों से मुलाकात की तथा उन्हें सलाह दी कि वे उदासीनता में पड़ने से बचें। रोमानिया में जेस्विट पुरोहितों से संत पापा की मुलाकात और उनसे बातचीत को वाटिकन की प्रमुख पत्रिका "ला चिविलता कथोलिका" में प्रकाशित किया गया है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 13 जून 2019 (रेई)˸ प्रकाशित लेख में कहा गया है कि संत पापा फ्राँसिस एकलाप पसंद नहीं करते, बल्कि सवाल जवाब के द्वारा लोगों के बीच रहना चाहते हैं। उन्होंने अपनी इस रूचि को रोमानिया में 31 मई से 2 जून तक हुए प्रेरितिक यात्रा में जेस्विट पुरोहितों के साथ मुलाकात में प्रकट किया।

उन्होंने इसके लिए अपने यात्रा के प्रथम दिन समय निकाला, जब वे विभिन्न कार्यक्रमों के बाद शाम को बुखारेस्ट स्थित प्रेरितिक राजदूतावास लौटे। फादर अंतोनियो स्पादोरो ने लिखा है कि इस मुलाकात में रोमानिया के कुल 22 जेस्विट पुरोहित उपस्थित थे।

शिकायतों एवं तनाव में विनम्र एवं धीर बने रहें 

संत पापा से पुरोहित ने पहला सवाल किया कि कठिन समय में वे किस तरह व्यवहार करें? इसका जवाब देते हुए संत पापा ने कहा कि ऐसे समय में उन्हें धीरज रखना है। हमें "जीवन की घटनाओं और परिस्थितियों के भार" को इसके तनावों के साथ स्वीकार करना चाहिए। कुछ समय ऐसे होते हैं जब हम आगे नहीं बढ़ सकते, तब हमें अपने में धीरज एवं मधुरता बनाये रखना चाहिए। उन्होंने संत पीटर फाबेर का उदाहरण दिया जो एक संवाद, सुनने वाले एवं सामीप्य के व्यक्ति थे। उन्होंने कहा कि शिकायत के समय में हमें उनके उदारणों को अपनाना चाहिए। हमें प्रार्थना द्वारा प्रभु के करीब रहना तथा अपने दिनचर्या में ईश प्रजा के करीब, उनके घावों को चंगा करने के लिए रहना चाहिए। कलीसिया बहुत घायल है, तनावयुक्त है। यह समय सफाई देने और तर्क-वितर्क करने का नहीं होता और न ही हमें हमले का जवाब देना चाहिए। फादर लोरेंत्सो रिक्की ने अपने पत्र में लिखा है कि कठिनाई की घड़ी जेस्विट पुरोहितों को येसु का अनुकरण करना है जो अपने पर झूठा अभियोग लगाने वालों के सामने "चुप रहे"। जब अत्याचार हो रहा हो तो हमें साक्ष्य देते हुए, प्रार्थनामय सामीप्य, उदारता एवं अच्छाई के साथ जीना चाहिए और हमें क्रूस को अपनाना चाहिए।    

[ Photo Embed: रोमानिया के येसु समाजी पुरोहित]   

पोप को किन चीजों से सांत्वना मिलती हैं?

पुरोहितों के दूसरे सवाल का उत्तर देते हुए संत पापा ने कहा कि प्रार्थना में उन्हें सबसे अधिक सांत्वना मिलती है, जहाँ वे प्रभु को सुन सकते हैं। उन्हें ईश प्रजा में भी सच्ची सांत्वना मिलती है, खासकर, बीमार, बुजूर्ग एवं युवा लोगों में जो परेशान हैं और सच्चे साक्ष्य की खोज कर रहे हैं। संत पापा ने कहा किन्तु इसके लिए आपको, लोगों को सुनना होगा। उन्होंने बतलाया कि लोग ईशशास्त्रीय सिद्धांतों को पसंद करते हैं किन्तु ठोस व्यवहार को वे अधिक पसंद करते हैं। ईश प्रजा के जीवन में ही हम जीवन के ठोस रूप और प्रेरिताई के सवालों को पाते हैं जिन्हें हमें हल करने का प्रयास करना है।  

विवाह की शून्यता का सवाल

पुरोहितों के तीसरे सवाल विवाह की शून्यता पर गौर करते हुए संत पापा ने इस समस्या की गंभीरता को रेखांकित किया। उन्होंने ध्यान आकृष्ट किया कि किस तरह विवाह की शून्यता के अलग-अलग मामले हो सकते हैं अथवा किस तरह से वैध किन्तु विफल विवाह में सुधार लाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि विच्छेद का कारण मानसिक अपरिपक्वता अथवा बच्चों की भलाई भी हो सकती है।  

संत पापा के साथ बात करते रोमानिया के पुरोहित
संत पापा के साथ बात करते रोमानिया के पुरोहित

उदासीनता मूर्ति पूजा का एक रूप

संत पापा ने कहा कि उदासीनता आज का एक बड़ा प्रलोभन है यह सबसे आधुनिक मूर्ति पूजा का एक रूप है क्योंकि उदासीनता में सब कुछ का केंद्र "मैं" होता है। संत इग्नासियुस के अनुसार यदि आत्मा में न तो सांत्वना है और न ही अकेलापन, तब यह सही स्थिति नहीं है। यदि सब कुछ स्थिर हो गया है तो हमें आत्मजाँच करने की आवश्यकता है क्योंकि हमारे अंदर उदासीनता का प्रवेश हो सकता है। उन्होंने कहा कि पानी को बहने के लिए उसमें हलचल होने की आवश्यकता होती है। संत पापा ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जहाँ सब कुछ शांत है, कुछ प्रतिक्रया नहीं हो रही है उस समुदाय का कोई क्षितिज ही नहीं है।

रोमानिया के पुरोहितों के सवालों को उत्तर देते संत पापा
रोमानिया के पुरोहितों के सवालों को उत्तर देते संत पापा

कलीसिया के समान जेस्विटों के कई रंग हैं

मुलाकात के दौरान पुरोहितों में से एक ने पूछा कि इस उदासीनता को किस तरह दूर किया जा सकता है जहाँ विभिन्न प्रकार के लोग हैं। संत पापा ने कहा कि विषमताएँ कृपा हैं क्योंकि इसका अर्थ है कि समाज किसी व्यक्ति को अनदेखा नहीं कर सकता। उन्होंने बतलाया कि वार्ता एवं भाईचारा पूर्ण संवाद द्वारा उदासीनता का हल किया जा सकता है किन्तु जब यह बंद विचारधारा के द्वारा उत्पन्न हो, तो इसके लिए विविधता की आवश्यकता नहीं होती और इसका सामना किया जाना चाहिए। हमें हमेशा आगे बढ़ना है तभी हम शांति प्राप्त कर सकते हैं।  

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13 June 2019, 16:51