रोमानिया में संत पापा की यात्रा, घावों की चंगाई
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
रोमानिया, रविवार, 2 जून 2019 (रेई)˸ 7 शहीद धर्माध्यक्षों की धन्य घोषणा की धर्मविधि ब्लाज शहर के पूर्वी भाग में स्थित विशाल मैदान "कम्पो देल्ला लिबेरता" (आजादी के मैदान) में सम्पन्न हुआ। यह वही स्थान है जहाँ 15 मई 1848 ई. में करीब 40,000 लोगों ने एकत्रित होकर रोमानिया की राष्ट्रीयता का समर्थन किया था तथा रोमानिया के लोगों की पहचान, उनकी राष्ट्रीयता, स्वतंत्रता एवं समान नागरिक अधिकार की मांग की थी। यह स्थान ग्रीक काथलिक विश्वासियों के लिए न केवल देश की आजादी के लिए संघर्ष का प्रतीक है बल्कि आध्यात्मिक आजादी का भी प्रतीक है। यह कम्युनिस्ट तानाशाही शासन के दौरान शहीदों की गवाही का स्मारक भी है जिन्हें विश्वास के कारण शहीद होना पड़ा था।
ग्रीक काथलिक कलीसिया का दमन
आजादी की क्रांति के एक सौ साल बाद 15 मई 1948 को कम्युनिस्ट शासकों ने ग्रीक काथलिकों को काथलिक विश्वास त्याग कर ऑर्थोडॉक्स कलीसिया में शामिल होने का आदेश दिया था। तभी ग्रीक काथलिक धर्माध्यक्ष लोअन सुकू स्वतंत्र रूप से जवाब देने में असमर्थता के विरोध में सभा को छोड़ दिया था। इस प्रकार यह स्पष्ट था कि ग्रीक-काथलिक पुरोहितों और विश्वासियों ने ईमानदारी से उत्पीड़न और शहादत का रास्ता अपना लिया था।
2 जून 2019 को रोमानिया का विशाल आजादी मैदान विश्वासियों से खचाखच भरा था। मैदान पहुँचकर संत पापा फ्राँसिस ने एक पारदर्शी कार (पापा मोबीले) पर सवार होकर विश्वासियों के बीच जाकर उनका अभिवादन किया। उसके बाद रोमानिया के स्थानीय समयानुसार पूर्वाहन 11.00 बजे 7 शहीद धर्माध्यक्षों की धन्य घोषणा का पावन समारोह आरम्भ हुआ।
रोमानिया की ग्रीक काथलिक कलीसिया की ओर से फागारास और अल्बा यूलिया के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल लुचियन मुरेसान ने 7 शहीदों धर्माध्यक्षों की धन्य घोषणा हेतु संत पापा फ्राँसिस का स्वागत किया तथा इस समारोह में उनकी उपस्थिति एवं शहीदों की धन्य घोषणा के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।
पुरानी यादों को शुद्ध कर नवीकृत
उन्होंने कहा, "आपके पूर्वाधिकारी संत पापा पीयुस 12वें ने सन् 1952 में उन धर्माध्यक्षों के चेन का चुम्बन करना चाहा था जिन्हें रोमानिया में धर्म पर दमन के समय अन्याय से कैद की सजा दी गयी थी। आज वह स्वप्न साकार हो गया है, संत पेत्रुस (संत पापा फ्राँसिस) हमारे बीच उपस्थिति होकर हमारे विश्वास को सुदृढ़ कर रहे हैं। वे हमारा चुम्बन करने एवं हमारे घावों को चंगा करने आये हैं। इस ऐतिहासिक स्थल कम्पो देल्ला लिबेरता में पुरानी यादों को शुद्ध कर हमें नवीकृत करने आये हैं।"
उन्होंने कहा कि ब्लाज में ग्रीक काथलिकों की एक छोटी कलीसिया है जो एक सक्रिय कलीसिया है। यह निम्न, हाशिये पर जीवन यापन करने वाले लोगों एवं गरीबों का स्वागत करती तथा उनके प्रति सहानुभूति रखती है।
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