चेंतेसिमुस आन्नुस प्रो-पोंतेफीचे संस्थान के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के प्रतिभागियों के साथ संत पापा फ्राँसिस चेंतेसिमुस आन्नुस प्रो-पोंतेफीचे संस्थान के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के प्रतिभागियों के साथ संत पापा फ्राँसिस 

हमारे सामान्य घर की देखभाल मन परिवर्तन की मांग, संत पापा

1 मई 1991 को संत पापा जॉन पॉल द्वितीय के प्रेरितिक उद्बोधन "चेंतेसिमुस आन्नुस" के विचारों से प्रेरित होकर चेंतेसिमुस आन्नुस प्रो-पोंतेफीचे संस्थान की स्थापना की गई। इस वर्ष संत पापा फ्राँसिस के प्रेरितिक उद्बोधन ‘लौदातो सी’ को विचार-मंथन का आधार बनाया गया है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार, 8 जून 2019 (रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 8 जून को वाटिकन के शाला ‘रेजिया’ में "कलीसिया का सामाजिक सिद्धांत आरंभ से डिजिटल युग तक: ‘लौदातो सी’ के कैसे जीयें” विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के 500 प्रतिभागियों से मुलाकात की।

संत पापा ने चेंतेसिमुस आन्नुस प्रो-पोंतेफीचे संस्थान द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में उपस्थित प्रतिभागियों के गर्मजोशी के साथ स्वागत किया और अपने प्रेरितिक उद्बोधन ‘लौदातो सी’ को विचार मंथन हेतु चुनाव करने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया इस तरह हमारे पर्यावरण की रक्षा और अभिन्न विकास अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय और व्यक्तिगत रूप से अधिक प्राथमिकता बन सकती है। संत पापा ने कहा कि प्रेरितिक उद्बोधन ‘लौदातो सी’ के प्रकाशन के चार साल बाद आज निश्चित रुप से हमारे आमघर की देखभाल करने की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ी है। कई राष्ट्रों द्वारा संयुक्त राष्ट्र संगठन के टिकाऊ विकास लक्ष्यों को अपनाये जा रहे हैं। नवीकरणीय और स्थायी ऊर्जा स्रोतों में निवेश बढ़ रहा है। ऊर्जा दक्षता के नए तरीके की खोज जारी है और विशेष रूप से युवा लोगों के बीच, पर्यावरण के प्रति अधिक से अधिक संवेदनशीलता के बारे जागरुकता लाई जा रही है।

चुनौतियां

संत पापा ने कहा, “हालांकि, कई चुनौतियां और मुद्दे अभी भी बने हुए हैं। टिकाऊ विकास लक्ष्यों की उपलब्धि पर प्रगति कुछ मामलों में धीमी और यहां तक कि कुछ अस्तित्वहीन है। विकास के प्राकृतिक संसाधनों और मॉडलों का अनुचित उपयोग, जो समावेशी और स्थायी नहीं हैं, गरीबी, सामाजिक विकास और सामाजिक समानता पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं (सीएफ, लौदातो सी, 43, 48); और सार्वजनिक हित व्यक्तिवाद, उपभोग और अपव्यय के दृष्टिकोण से खतरे में हैं। यह सब अधिक मानवीय अर्थव्यवस्था के भीतर आर्थिक, पर्यावरण और सामाजिक एकजुटता और स्थिरता को बढ़ावा देने में आड़े आता है। फिर भी, "मनुष्य बुराई करने में सक्षम होते हुए भी खुद से ऊपर उठने में सक्षम है,। उसे जो अच्छा है उसे फिर से चुनना और एक नई शुरुआत करना है।"

मन परिवर्तन

संत पापा ने कहा कि वर्तमान की समस्याओं का समाधान आसानी से नहीं हो सकता। इसके लिए मन परिवर्तन की आवश्यकता है। हमारे दिल और दिमाग में परिवर्तन की आवश्यकता है। भूख और खाद्य असुरक्षा, लगातार सामाजिक और आर्थिक संकट, पर्यावरणीय तंत्र में गिरावट और "बर्बादी की संस्कृति" जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए एक नए सिरे से नैतिक दृष्टिकोण की मांग करती है। एक ऐसा दृष्टिकोण जो व्यक्ति को केंद्र में रखता है, जो किसी को हाशिये पर छोड़ने की इच्छा नहीं रखता। एक दृष्टिकोण जो विभाजन के बजाय एकजुट करती है और  इसमें सभी शामिल हैं। यह हमारे कार्यों, प्रयासों, जीवन के अंतिम उद्देश्य और लक्ष्य को ध्यान में रखकर रूपांतरित करता है।

 एक आह्वान और कार्य 

संत पापा ने कहा कि एक अभिन्न पर्यावरण का विकास, एक आह्वान और एक कार्य दोनों है। यह हमारे स्वर्गीय पिता के पुत्रों और पुत्रियों के रूप में हमारी पहचान को फिर से परिभाषित करने का एक आह्वान है, जिसके सदृश और अनुरुप हम बनाये गये हैं और पृथ्वी की देखभाल करने का उत्तरदायित्व हमें सौंपा गया है। (सीएफ, उत्पत्ति 1: 27,28; 2:15) इस संदर्भ में, भाई-बहनों के रूप में हमारी एकजुटता और हमारे आमघर के लिए एक साझा ज़िम्मेदारी बहुत जरुरी है।

संत पापा ने उनकी उदार प्रतिबद्धता की सराहना करते हुए आमघर की सुरक्षा में अपना प्रयास जारी रखने हेतु प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि अच्छे कार्यों को करने और सही मार्ग में चलने हेतु ईश्वर हमेशा हमारी सहायता करते हैं और हमारे साथ चलते हैं। हमारे कार्यो द्वारा ईश्वर की स्तुति हो।

अपने संदेश के अंत में संत पापा ने उन्हें माता मरियम के संरक्षण में रखते हुए उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों पर ईश्वर आशीष की कामना की।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

08 June 2019, 16:22