ख्रीस्तीय स्कूलों के धर्मबंधुओं से मुलाकात करते संत पापा ख्रीस्तीय स्कूलों के धर्मबंधुओं से मुलाकात करते संत पापा 

शिक्षा द्वारा वंचित लोगों की सहायता करें, संत पापा

संत पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तीय स्कूलों के धर्मबंधुओं को निमंत्रण दिया है कि वे समाज से बहिष्कृत लोगों को शिक्षा देने के अपने उत्साह को बनाये रखें तथा "पुनरूत्थान की संस्कृति" को बढ़ावा दें जो नये जीवन की आशा प्रदान करती है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 16 मई 2019 (रेई)˸ संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार 16 मई को वाटिकन के क्लेमेंटीन सभागार में ख्रीस्तीय स्कूलों के 300 धर्मबंधुओं से मुलाकात की, जो इस वर्ष अपने संस्थापक संत जॉन द बपटिस्ट दे ला सेल की तीसरी शतवर्षीय जयन्ती मना रहे हैं।

फ्राँस में ख्रीस्तीय स्कूलों के धर्मबंधुओं की संस्था की स्थापना 1680 में हुई थी जो गरीब बच्चों को उत्कृष्ठ शिक्षा प्रदान करती है।

शिक्षा का अधिकार

संत पापा ने कहा, "आपके संस्थापक का यह महत्वपूर्ण वर्षगाँठ, आपकी संस्था के लिए एक सुन्दर अवसर है जब आप शिक्षा के क्षेत्र में आपके अगुवे पर गौर कर सकते हैं जिन्होंने अपने समय में एक परिवर्तनात्‍मक शैक्षिक प्रणाली की कल्पना की थी।" उनका उदाहरण और साक्ष्य आज के ख्रीस्तीय समुदाय के लिए उनके संदेश के मूल की पुष्टि करते और आगे के रास्ते को आलोकित करते हैं। स्कूल के बारे में उनकी इस दृष्टिकोण ने उन्हें और अधिक स्पष्ट रूप से समझने में मदद दिया कि शिक्षा गरीबों सहित सभी के लिए एक अधिकार है। यही कारण है कि उन्होंने समाज के निचले स्तर के लोगों की सेवा में अपने आपको पूरी तरह समर्पित कर दिया था।

शिक्षा एक मिशन

संत पापा ने कहा कि स्कूल जगत से दैनिक संपर्क ने उन्हें शिक्षकों की एक नई संकल्पना की पहचान करने की जागरूकता में परिपक्व किया। वे इस पर दृढ़ विश्वास करते थे कि स्कूल एक गंभीर सच्चाई है जिसके लिए लोगों को उपयुक्त रीति से तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने महसूस किया कि शिक्षा देना एक नौकरी नहीं बल्कि मिशन है। इसलिए वे ऐसे लोगों के सम्पर्क में आये जो शिक्षा के लिए व्यवहारिक और प्राकृतिक गुणों के साथ ख्रीस्तीयता से प्रेरित थे। उन्हें प्रशिक्षित करने में अपनी पूरी शक्ति खर्च की। वे उनके लिए आदर्श बने जिन्हें एक ही समय में सेवा देना तथा शिक्षकों की सामाजिक एवं कलीसियाई प्रतिष्ठा के लिए कठिन कार्य करना था।

क्रांतिकारी शिक्षण विधियाँ

अपने समय में स्कूल के क्षेत्र में ठोस आवश्यकता की पूर्ति हेतु संत जॉन बपतिस्ता ने शिक्षा प्रणाली में साहसिक सुधार किया। उन्होंने सभी लोगों के लिए एक खुले स्कूल की कल्पना की, अतः वे शिक्षा की बड़ी आवश्यकता का सामना करने से नहीं हिचके तथा स्कूल एवं कार्य के द्वारा पुनर्वास पद्धति की शुरूआत की। इन प्रारंभिक वास्तविकताओं में उन्होंने एक क्रांतिकारी शिक्षण विधि की शुरुआत की, जिसके तहत  उन्होंने समय के विपरीत,  युवाओं के बीच कुशल गतिविधियों के साथ अध्ययन और काम को एक साथ लाया।

शिक्षा द्वारा उम्मीद जगाना

संत पापा ने ख्रीस्तीय स्कूल के धर्मबंधुओं को सम्बोधित कर कहा कि वे पिछड़े एवं बहिष्कृत लोगों के लिए संत जॉन बपतिस्ता के उत्साह का अनुकरण करें। उन्होंने कहा कि वे "पुनरूत्थान की संस्कृति" के अगुवे हैं, विशेषकर, उन क्षेत्रों में जहाँ मृत्यु की संस्कृति बढ़ रही है। उन लोगों की देखभाल करने एवं नई आशा प्रदान करने से कभी न थकें जो नुकसान, गिरावट, असुविधा और गरीबी रूपी आधुनिक कब्रों में हैं।  

संत पापा ने शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि शैक्षिक मिशन के लिए प्रेरणा, जिसने आपके संस्थापक को एक शिक्षक बनाया और उन्होंने शिक्षण का आदर्श प्रस्तुत किया, आज भी वह आपकी परियोजनाओं और आपके कार्यों को प्रेरित करता रहे।

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16 May 2019, 16:37