यूआईएसजी के सदस्यों से मुलाकात करते संत पापा यूआईएसजी के सदस्यों से मुलाकात करते संत पापा 

मिशन एक सेवा है, धर्मसमाजियों से संत पापा

संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 10 मई को महिला धर्मसमाजियों की परमाधिकारिणियों (यूआईएसजी) की 21वीं अंतरराष्ट्रीय सभा के प्रतिभागियों से मुलाकात की तथा उन्हें धन्यवाद देते हुए उनके सवालों का उत्तर दिया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

संत पापा ने शुक्रवार को विभिन्न धर्मसंघों की करीब 850 परमाधिकारिणियों से उनकी आमसभा के अंत में मुलाकात की। यह सभा हर तीन साल में आयोजित की जाती है।  

मुलाकात के दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर चर्चा की जिनमें महिला धर्मसमाजियों पर यौन दुराचार, महिला उपयाजक, कलीसिया में महिलाओं के योगदान तथा दक्षिणी सुडान में प्रेरितिक यात्रा की संभावना आदि मुद्दे प्रमुख थे।  

संत पापा ने धर्मसमाजियों को समकालीन समय के विकसित विश्व में साहसिक चुनाव के लिए धन्यवाद दिया तथा आगाह कराया कि उनका नया रास्ता जोखिम भरा है, किन्तु उन्होंने कहा कि यह और भी खतरनाक हो सकता है यदि वे इससे भयभीत हो जाएँ और बढ़ने की कोशिश न करें।  

 महिला धर्मसमाजियों पर पुरोहितों के यौन दुराचार के सवाल पर संत पापा ने कहा कि यह रातभर में हल नहीं हो सकता किन्तु इस समस्या के हल के लिए एक प्रक्रिया शुरू की गयी है, जिसके बारे हम सब सचेत हैं।       

उन्होंने कहा कि धर्मसमाजियों पर यौन दुराचार के सवाल पर हमें जागरूक होना है और इसका सामना करना है क्योंकि यह एक गंभीर समस्या है। संत पापा ने पद के दुरूपयोग और अंतःकरण के दुरूपयोग का उल्लेख भी किया, जिसपर धर्समाजियों को विशेष ध्यान देना चाहिए। धर्मसमाजियों को पुरोहितों का नौकर नहीं बनना चाहिए। "उन्हें सेवा के पैमाने पर अपनी प्रेरिताई को पूरा करना चाहिए न कि गुलाम के रूप में।"

महिला उपयाजक

महिला उपयाजक के मुद्दे पर गौर करते हुए संत पापा ने याद किया कि धर्मसमाजियों के अनुरोध पर इसकी जाँच हेतु एक विशेष आयोग का गठन किया गया है। उन्होंने बतलाया कि आयोग के भीतर समझौता पूर्ण नहीं हो पाया है तथा इसके लिए ईशशास्त्रीय, ऐसिहासिक आधार की आवश्यकता है, फिर भी, उन्होंने प्रण किया कि काम जारी रहेगा।

कलीसिया में महिलाओं की भूमिका

संत पापा ने कहा कि यह सोचना गलत है कि कलीसिया में धर्मबहनों का समर्पण केवल कार्यात्मक है। कलीसिया एक नारी है। उन्होंने कहा कि यह न केवल एक प्रतीक मात्र है बल्कि सच्चाई भी है।  

यह याद करते हुए कि बाईबिल में कलीसिया को नारी की संज्ञा दी गयी है, संत पापा ने कहा कि यह येसु की दुल्हिन है यही नारियों के ईशशास्त्र का क्षेत्र है इस चिंतन को आगे बढ़ाया जाना चाहिए।

संत पापा ने उस धर्मबहन के कथन पर सहमति जतायी जिन्होंने प्रस्ताव रखा कि महिला धर्मसमाजियों की अगली सभा में एक पुरूष धर्मसमाजी को भी शामिल किया जाए जिससे कि वह विश्व के विभिन्न महिला धर्मसमाजियों की आवाज को सुन सके जो अपनी बहनों के मिलकर येसु की सेवा विभिन्न क्षमताओं के साथ करती हैं।

दक्षिणी सूडान

महिला मिशनरियों के प्रति अपना आध्यात्मिक सामीप्य प्रकट करते हुए तथा मध्य अफ्रीका एवं दक्षिणी सुडान जैसे देशों में सेवा देने के लिए उनकी सराहना करते हुए संत पापा ने कहा कि यह उनकी तीव्र अभिलाषा है कि वे विश्व के सबसे छोटे देश का दौरा करें।  

उन्होंने दक्षिणी सुडान की यात्रा के संदर्भ में कहा कि मैं यह दावा नहीं करता किन्तु मोजाम्बिक, मडागास्कर एवं मौरितियुस की मेरी यात्रा के दौरान यह संभव हो सकता है। उन्होंने कहा, "मैं वहाँ जाना चाहता हूँ । मैं दक्षिणी सूडान को अपने हृदय में रखता हूँ।"  

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11 May 2019, 13:39