लोगों से मुलाकात करते संत पापा लोगों से मुलाकात करते संत पापा 

प्रसव पूर्व रोगनिदान गर्भपात के लिए बहाना नहीं, संत पापा

संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 25 मई को वाटिकन के क्लेमेंटीन सभागार में "जीवन को हाँ, जीवन के मूल्यवान वरदान को उसकी दुर्बलता में देखभाल" विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के 300 प्रतिभागियों से मुलाकात की।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

सम्मेलन का आयोजन लोकधर्मी, परिवार एवं जीवन के लिए गठित परमधर्मपीठीय परिषद तथा "हृदय एक बूंद है" फाऊँडेशन के संयुक्त पहल पर किया गया था। यह फाऊँडेशन उन बच्चों को मदद करने के लिए कार्य करती है जो अत्यन्त नाजुक स्थिति में जन्म लेते हैं।

हर बच्चा एक वरदान

संत पापा ने कहा कि उन बच्चों को कुछ मायने में, नष्ट करने की संस्कृति द्वारा जीवन के लिए अयोग्य परिभाषित की जाती है किन्तु कोई भी मानव प्राणी कभी भी जीवन के लिए अयोग्य नहीं हो सकता, न तो अपने उम्र के लिए, न स्वास्थ्य और न ही अपनी स्थिति के लिए। हर बच्चा जो अपनी माता के गर्भ में पल रहा होता है वह ईश्वर का वरदान है जो परिवार, माता-पिता, दादा-दादी एवं भाई-बहनों के इतिहास को बदल देता है। अतः इस बच्चे को स्वीकार किया जाना, प्यार देना और उसकी देखभाल की जानी चाहिए।   

एक गर्भवती महिला की स्थिति पर गौर करते हुए संत पापा ने कहा, "जब एक महिला जान जाती है कि वह एक बच्चे को जन्म देने वाली है, तब तुरन्त उसके मन में एक गहरा रहस्यात्मक विचार आता है। वह अपने आप में एक शिशु के पलने के प्रति सजग हो जाती है और यह उसके पूरे व्यक्तित्व को प्रभावित करता है। इस तरह वह अब एक महिला मात्र नहीं रह जाती बल्कि एक मां बन जाती है। शुरू से ही मां और पेट में पल रहे शिशु के बीच बातचीत होती है। यही दो मानव प्राणियों के बीच गहरा और सच्चा संबंध है जो एक-दूसरे के साथ गर्भधारण के समय से ही वार्तालाप करते हैं जिसके द्वारा बच्चे को विकास के अनुकूल प्रोत्साहन मिलता है।"

संत पापा ने कहा कि यह आपसी संपर्क की क्षमता न केवल महिला का है बल्कि सबसे बढ़कर मां का भी है जो माँ के पास अपनी उपस्थिति एवं अपनी जरूरतों को प्रकट करने के लिए संदेश भेजता है। इस तरह यह नया मानव प्राणी शीघ्र उसका बेटा या बेटी बन जाता तथा महिला को अपने नजदीक आने के लिए पूर्ण रूप से प्रभावित करता है।  

शिशु के जन्म से पहले रोगनिदान   

संत पापा ने गौर किया कि आज आधुनिक तकनीकी द्वारा प्रसव के पूर्व ही शिशु के शरीर में विकार अथवा बीमारी का पता लगाया जा सकता है जो कई बार बच्चे के जीवन एवं मां के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होता है।

बीमारी का भ्रम अथवा सचमुच में बीमारी होना गर्भावस्था के अनुभव को बदल देता है तथा महिला अथवा दम्पति को गहरी निराशा में डाल देता है। अकेलापन की भावना, शक्तिहीनता तथा बच्चे की पीड़ा का भय, पूरे परिवार में मौन रूदन उत्पन्न करता है। बीमारी के अंधेरे में मदद की मांग की जाती है किन्तु सही परिणाम प्राप्त नहीं किया जा सकता है क्योंकि प्रत्येक बीमारी का विकास हमेशा व्यक्तिपरक होता है और यहां तक कि डॉक्टरों को भी पता नहीं होता कि यह व्यक्ति में कैसे फैल रहा होगा।

चिकित्सकों को मानव जीवन के मूल्य की समझ भी आवश्यक

फिर भी, एक चीज है जिसको मेडिकल अच्छी तरह जानता है कि गर्भ में पल रहा बच्चा रोगी स्थिति में है जिसे औषधीय, सर्जिकल और असाधारण देखभाल प्रदान की गयी हो तो वह नैदानिक और चिकित्सीय संभावनाओं के बीच भयानक अंतर को कम करने में सक्षम होता है। जबकि गंभीर बीमारी होने पर कई सालों से इस तरह की स्थिति में गर्भपात का सहारा लिया जाता था अथवा उसकी देखभाल नहीं की जाती थी। भ्रूण चिकित्सा और प्रसवकालीन धर्मशालाओं के द्वारा अब विस्मयजनक परिणाम प्राप्त हुए हैं जो बीमार अवस्था में जन्मे बच्चे को स्वीकार कर परिवार के लिए आवश्यक सहायता उपलब्ध कराते हैं।

संत पापा ने कहा कि इन क्षमताओं एवं ज्ञान को सभी लोगों के लिए उपलब्ध किया जाना चाहिए ताकि सक्षम वैज्ञानिक एवं प्रेरितिक पहुँच प्रदान की जा सके। इसके कारण यह आवश्यक है कि चिकित्सकों को न केवल चंगाई प्रदान करने का ज्ञान होना चाहिए बल्कि मानव जीवन के पवित्र मूल्य की भी अच्छी समझ होनी चाहिए जो मेडिकल में सेवा देने का अंतिम लक्ष्य है।

स्वास्थ्य विभाग का मिशन

संत पापा ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग में कार्य करना एक प्रेरिताई है, जीवन के लिए एक बुलाहट है। यह महत्वपूर्ण है कि चिकित्सक खुद अपने आप में महससू करें कि वह स्वयं उन परिवारों के लिए वरदान है जिन्हें उन्हें सौंपा गया है। चिकित्सक उस परिवार के साथ संबंध स्थापित कर सकते हैं, दूसरों के जीवन की जिम्मेदारी ले सकते हैं। दुःख के सामने भी सक्रिय हो सकते हैं, आश्वस्त कर सकते हैं तथा मानव जीवन की प्रतिष्ठा के सम्मान में समाधान पाने के लिए अपने को सदा समर्पित कर सकते हैं।  

संत पापा ने उन सभी को धन्यवाद दिया जो इसके लिए कार्य करते हैं, खासकर, उन्होंने उन परिवारों, माताओं एवं पिताओं के प्रति आभार प्रकट किया जिन्होंने अत्यन्त दुर्बल बच्चों को गोद लिया है और इस समय दूसरों के परिवारों की मदद कर रहे हैं।

संत पापा ने कहा, "आपके प्रेम का साक्ष्य दुनिया के लिए एक वरदान है। मैं आप सभी को आशीर्वाद देता हूँ तथा आप सभी के लिए प्रार्थना करता हूँ और आपसे भी प्रार्थना का आग्रह करता हूँ।"

 

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

25 May 2019, 14:24