इतालवी खेल केंद्र के प्रतिनिधियों कोे साथ संत पापा फ्राँसिस इतालवी खेल केंद्र के प्रतिनिधियों कोे साथ संत पापा फ्राँसिस  

इतालवी खेल केंद्र के प्रतिनिधियों को संत पापा फ्राँसिस का संदेश

खेल लोगों की शक्ति और रुझान के अनुसार अपने कौशल एवं कल्पना को निखारने में मदद करता है। हर कोई उस विशेषता को पा सकता है जिसके लिए वह सबसे अनुकूल महसूस करता है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार 11 मई 2019 (रेई) :  संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन के क्लेमेंटीन सभागार में इतालवी खेल केंद्र के सदस्यों से मुलाकात की। संत पापा को पाँच साल पहले की पहली मुलाकात की मधुर स्मृति है। आज पुनः मुलाकात कर उन्होंने अपनी प्रसन्नता व्यक्त की। संत पापा ने परिचय भाषण के लिए अध्यक्ष को धन्यवाद दिया और कार्यकारी अधिकारियों, कोच, रेफरी और शिक्षकों सभी लड़कों और लड़कियों को शुभकामनाएं दी, जो अपने एसोसिएशन का सत्तरवाँ वर्षगाठ मना रहे हैं।  जिसमें दो सौ हजार से अधिक सदस्य हैं और बड़ी संख्या में खेल क्लबों, संघों और धर्मप्रांतीय खेल समूह हैं।

संत पापा ने कहा, “आप जिन प्रतियोगिताओं और गतिविधियों का आयोजन करते हैं, उनका उद्देश्य विशेष रूप से किशोरों के लिए है पर यह सभी आयु के समूहों के लिए खुला है। खेल के माध्यम से आप बड़ी संख्या में उन लोगों की शक्ति और रुझान के अनुसार उनके कौशल एवं कल्पना को निखारने में मदद करते हैं। हर कोई उस विशेषता को पा सकता है जिसके लिए वह सबसे अनुकूल महसूस करता है।”

संत पापा ने कहा कि इतालवी खेल केंद्र ख्रीस्तीय दृष्टिकोण पर आधारित अनेक खेलों के माध्यम से युवा लोगों के लिए एक स्वस्थ और सकारात्मक जीवन शैली की पेशकश करता है। “खेल, वास्तव में, एक महान विद्यालय है। खेल में हम अपने को नियंत्रण में रखना और दूसरों का सम्मान करना सीखते हैं। खेल खुद को बेहतर बनाने की प्रतिबद्धता में, समर्पण और दृढ़ता सिखाता है। हम प्रतिस्पर्धी भावना में खेलते हुए भी अपनी खुशी को नहीं खोते हैं। खेल हमें हार मानने का प्रशिक्षण भी देता है।”

अनुशासन

संत पापा ने कहा कि खेल हमें अनुशासन में रहना सिखाता है। हमें अपने दैनिक जीवन में अध्ययन और काम के साथ-साथ दूसरों के साथ संबंध बनाये रखने में मदद करता है। वास्तव में, अगर दौड़ प्रतियोगिता में कोई खिलाड़ी नियम का सम्मान करने से इनकार कर, सीटी लगने से पहले ही दौड़ना शुरु कर देता है तो यह कोई प्रतियोगिता नहीं होगी, लेकिन केवल व्यक्तिगत और अव्यवस्थित प्रदर्शन होगा। इसके विपरीत, जब आप एक दौड़ का सामना करते हैं, तो आप सीखते हैं कि एक साथ रहने के लिए नियम आवश्यक हैं, ईमानदारी से किसी के लक्ष्य को हासिल करने में आपको खुशी मिलती है और आप यह भी सीखते हैं कि जब आपके पास कोई सीमा नहीं होती है तो आप स्वतंत्र महसूस नहीं करते हैं, लेकिन जब आप अपनी सीमा के साथ होते हैं, तो आप अपना सर्वश्रेष्ठ देते हैं।

ख्रीस्तीय दृष्टिकोण

संत पापा ने कहा कि खेल बहुत सारी समस्याओं को हल करने और हमारे समाज में ऐसे गहन परिवर्तन को लाने का उपकरण है। खेल लोगों को बेहतर बनाता है, बातचीत और सम्मानजनक मुलाकात की संस्कृति को बढ़ावा देता है। खेल प्रतियोगिताओं में विरोधियों के साथ लड़ाई को हमेशा "मुकाबला" कहा जाता है और कभी भी "टकराव" नहीं होता है, क्योंकि अंत में, हालांकि जीतना बेहतर होता है, एक निश्चित अर्थ में आप दोनों को जीतते हैं। दृढ़ संकल्प के साथ, एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धात्मक भावना के आधार पर हम अपने सपने को साकार करना चाहते हैं। खेल में हम हमेशा एक दोस्त और एक भाई को विपरीत परिस्थितियों में देखते हैं। यही ख्रीस्तीय दृष्टिकोण है हम ख्रीस्त की आंखों से दूसरों और चीजों को देखना सीखते हैं। हमारे बीच की विविधता विभाजन नहीं अपितु आपस में जोड़ती है और हमें एक दूसरे के करीब लाती है। हमेशा उन लोगों के करीब रहें जो एक विकलांगता के कारण कमजोर हैं। उन्हें दूसरों के साथ विभिन्न गतिविधियों में भाग लेने दें ताकि वे कभी भी समुदाय से बाहर न महसूस करें। आप भी अपनी दोस्ती और सक्रिय समर्थन के साथ, उन लोगों के साथ हो सकते हैं जो अंतर्राष्ट्रीय खेल स्वयंसेवी परियोजनाओं के लिए समर्पित हैं, जिन्हें आप विभिन्न देशों में ले जा रहे हैं और हमारे समय के लिए एक कीमती संकेत का प्रतिनिधित्व करते हैं।

अंत में संत पापा ने अपनी इच्छा प्रकट करते हुए कहा,  आप हमेशा अपने सामुदायिक जीवन को आनंद के साथ जीएं और जिन जगहों पर आप अक्सर जाते हैं, वहां मिशनरी बनें, हर दिन खुद को बेहतर बनाने की खुशी का संचार करें और अपने आसपास के लोगों को हमेशा अपनी खुशी को बांटें। इतना कहने के बाद संत पापा ने उन्हें अपना आशीर्वाद दिया।

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11 May 2019, 13:42