मालटा के तट पर उतरे प्रवासी मालटा के तट पर उतरे प्रवासी 

शरणार्थियों के विश्व दिवस 2019 के लिए संत पापा का संदेश

प्रवासन द्वारा उत्पन्न चुनौतियों के प्रति हमारी प्रतिक्रिया को चार क्रियाओं में अभिव्यक्त किया जा सकता है: स्वागत, रक्षा, प्रोत्साहन और एकीकरण। ये क्रियाएं केवल प्रवासियों और शरणार्थियों पर लागू नहीं होती हैं। परंतु विश्व के सबसे गरीब, हासिये पर जीने वाले उन सभी लोगों के लिए है।

वाटिकन सिटी, सोमवार 27 मई 2019 (रेई) : वाटिकन  प्रेस कार्यालय ने प्रवासी और शरणार्थियों के विश्व दिवस 2019 के लिए संत पापा फ्राँसिस के संदेश को प्रकाशित किया है, जो 29 सितंबर को मनाया जाएगा। इस वर्ष की विषय वस्तु है,“यह सिर्फ प्रवासियों के बारे में नहीं है।”

अपने संदेश में संत पापा ने लिखा कि विश्वास हमें भरोसा दिलाता है कि एक रहस्यमय तरीके से परमेश्वर का राज्य पहले से ही पृथ्वी पर व्याप्त है (सीएफ, गौदियुम एत्स्पेस 39)। फिर भी वर्तमान में, हम बाधाओं को देखकर दुखी होते हैं और इसका विरोध करते हैं। हिंसक संघर्ष और चौतरफा युद्ध मानवता को तोड़ मरोड़ कर पेश करते रहते हैं, अन्याय और भेदभाव एक दूसरे के साथ चलते हैं, स्थानीय या वैश्विक स्तर पर आर्थिक और सामाजिक असंतुलन को दूर करना मुश्किल साबित होता है और सबसे ज्यादा गरीब इसकी कीमत चुकाते हैं।

किसी को न छोड़ना

सबसे अधिक आर्थिक रूप से उन्नत समाज चरम व्यक्तिवाद की ओर बढ़ते रुझान को देख रहे हैं, जिसे उपयोगितावादी मानसिकता और मीडिया द्वारा बल मिलता है और यह "उदासीनता के वैश्वीकरण" को विकसित कर रहा है। इस परिदृश्य में, प्रवासी, शरणार्थी, विस्थापित व्यक्ति और तस्करी के शिकार लोग बहिष्कार के प्रतीक बन गए हैं। इस कठिनाई के अलावा, उन्हें अक्सर समाज की सभी बीमारियों के जड़ के रूप में देखा जाता है। यह रवैया नैतिक पतन की एक खतरे की घंटी है। इस कारण से, प्रवासियों और शरणार्थियों की उपस्थिति और सामान्य रूप से कमजोर लोगों के लिए - हमारे ख्रीस्तीय अस्तित्व और हमारी मानवता के उन आवश्यक आयामों में से कुछ को पुनर्प्राप्त करने हेतु एक निमंत्रण है जिसे समृद्ध समाज में अनदेखा या दरकिनार कर देने का खतरा है। इसलिए यह सिर्फ प्रवासियों के बारे में नहीं है। जब हम उनके लिए चिंता करते हैं, तो हम अपने लिए, सभी के लिए भी चिंता करते हैं; उनकी देखभाल में, हम सभी की देखभाल करते हैं, जब हम उनकी सुनते हैं, तो हम अपने आप की उस आवाज़ को सुनते हैं जिसे हम छिपा कर रखते हैं क्योंकि आजकल यह अच्छा नहीं माना जाता है।

"ढारस रखो, मैं ही हूँ, डरो मत!" (मत्ती 14:27)। यह सिर्फ प्रवासियों के बारे में नहीं है: यह हमारे डर के बारे में भी है। हम आज विशेष रूप से अज्ञात, हाशिए पर जीने वाले और विदेशी जो  सुरक्षा और बेहतर भविष्य की आशा में अनेक कठिनाईयों का सामने करते हुए हमारे दरवाजे पर दस्तक  देते हैं। कुछ हद तक, यह डर वैध है, क्योंकि उनको स्वीकार करने के लिए हम तैयार नहीं है। समस्या यह नहीं है कि हमें संदेह और भय है। समस्या तब है जब हम उनके प्रति असहिष्णु होते हैं और उनकी बातें सुनना नहीं चाहते। उन लोगों के माध्यम से आप प्रभु से मुलाकात करने के अवसर को खो देते हैं।

संत योहन के सुसमाचार अध्याय 10 पद संख्या 10 कहता है, "मैं इसलिए आया हूँ कि वे जीवन प्राप्त करें-बल्कि परिपूर्ण जीवन प्राप्त करें।” यह केवल प्रवासियों के बारे में नहीं है, यह सभी लोगों के बारे में है। येसु के शब्दों में, हम उनके मिशन के सार को पाते हैं, पिता की इच्छा के अनुसार सभी को पूर्णजीवन उपहार में मिलना। प्रत्येक राजनीतिक गतिविधि में, धर्मप्रांतीय कार्यक्रमों में, हमें हमेशा व्यक्ति को आध्यात्मिक आयाम सहित उसके कई अन्य पहलुओं को ध्यान में रखना चाहिए और यह सभी लोगों पर लागू होता है, सबकी मौलिक समानता को मान्यता दी जानी चाहिए। नतीजतन, “विकास केवल आर्थिक विकास तक ही सीमित नहीं रह सकता। सबका सर्वींगीण विकास होना चाहिए।

स्वागत, रक्षा, प्रोत्साहन और एकीकरण

आगे संत पापा ने लिखा कि प्रवासन द्वारा उत्पन्न चुनौतियों के प्रति हमारी प्रतिक्रिया को चार क्रियाओं में अभिव्यक्त किया जा सकता है: स्वागत, रक्षा, प्रोत्साहन और एकीकरण। ये क्रियाएं केवल प्रवासियों और शरणार्थियों पर लागू नहीं होती हैं। परंतु विश्व के सबसे गरीब, हासिये पर जीने वाले उन सभी लोगों के लिए है। कलीसिया के मिशन उनका स्वागत, संरक्षण, प्रोत्साहन और एकीकृत करना है। यदि हम उन चार क्रियाओं को व्यवहार में लाते हैं, तो हम ईश्वर के राज्य और मानवीय समाज के निर्माण में मदद करेंगे। हम सभी लोगों के अभिन्न मानव विकास को बढ़ावा देंगे। हम विश्व समुदाय को सतत विकास के लक्ष्यों के करीब आने में भी मदद करेंगे।

केवल प्रवासी नहीं परंतु हम सभी

एक शब्द में, यह केवल प्रवासियों का कारण नहीं है जो दांव पर है; यह केवल उनके बारे में नहीं है, बल्कि हम सभी के बारे में है और मानव परिवार के वर्तमान और भविष्य के बारे में है। प्रवासियों, विशेष रूप से जो सबसे कमजोर हैं, वे हमें "समय के संकेत" को पढ़ने में मदद करते हैं। उनके माध्यम से, प्रभु हमें अपना मनपरिवर्तन करने के लिए, विशिष्टता, उदासीनता और फेंकने की संस्कृति से मुक्त होने के लिए बुला रहे हैं। उनके माध्यम से, ईश्वर ने हमें अपने ख्रीस्तीय जीवन को पूरी तरह से गले लगाने और प्रत्येक व्यक्ति को अपनी ही योजना के अनुरूप दुनिया के निर्माण में योगदान करने के लिए आमंत्रित किया है।

संदेश के अंत में संत पापा ने कुवारी मरिया के संरक्षण में दुनिया के सभी प्रवासियों और शरणार्थियों के अर्पित किया।  माता मरियम उनकी जीवन यात्रा को सफल बनायें।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

27 May 2019, 16:41