विमान में पत्रकारों से बात करते संत पापा विमान में पत्रकारों से बात करते संत पापा 

संत पापा ने विमान में महिला उपयाजक, ऊर्जा के स्रोत पर चर्चा की

संत पापा फ्राँसिस ने बुल्गारिया एवं उत्तरी मकेदुनिया में अपनी प्रेरितिक यात्रा समाप्त करने के बाद 7 मई को रोम वापसी के दौरान विमान में पत्रकारों के विभिन्न सवालों का उत्तर दिया। उन्होंने ऑर्थोडॉक्स कलीसिया के साथ संबंध, महिला उपयाजक, अपनी ताकत और ऊर्जा के रहस्य आदि विषयों पर चर्चा की।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

बुल्गारिया एवं उत्तरी मकेदुनिया में तीन दिवसीय प्रेरितिक यात्रा के बाद रोम वापस लौटते हुए पत्रकारों के सवालों का उत्तर दिया।

बुल्गारिया एवं उत्तरी मकेदुनिया का प्रभाव

यह पूछे जाने पर कि उन दोनों देशों में किस बात ने उन्हें अधिक प्रभावित किया, संत पापा ने कहा कि "वे दोनों देश एक-दूसरे से बिलकुल भिन्न हैं।"

उन्होंने कहा कि बुल्गारिया सदियों पुरानी परंपराओं का एक देश है जबकि मकेदुनिया में सदियों पुरानी परंपराएँ हैं किन्तु यह एक युवा देश है और इसमें युवा लोग भी हैं।

इस तथ्य पर टिप्पणी करते हुए कि हाल ही में उत्तर मकेदुनिया ने खुद को एक राष्ट्र के रूप में स्थापित करने में कामयाबी हासिल की है, उन्होंने कहा कि यह इस बात का प्रतीक है कि किस तरह ख्रीस्तीय धर्म ने प्रेरित पॉल के माध्यम से पश्चिम में प्रवेश किया जो एशिया जाना चाहते थे, लेकिन मकेदुनिया बुला लिए गये थे।

संत पापा ने कहा कि मकेदुनिया के लोग यह याद दिलाना कभी नहीं छोड़ते हैं कि ख्रीस्तीयता उनके द्वार से प्रवेश किया है जबकि बुल्गारिया को बहुत अधिक युद्ध और हिंसा का सामना करना पड़ा है। सन् 1877 ई. में ओटोमन साम्राज्य से स्वतंत्रता हासिल करने के लिए 200,000 रूसी सैनिक मारे गए थे।

आजादी के लिए कई संघर्ष हुए थे, कितने खून बहे थे, एक पहचान को मजबूत करने के लिए इतने रहस्यवादी हो गये थे किन्तु संत पापा ने गौर किया कि दोनों ही देशों में ऑर्थोडॉक्स ख्रीस्तीय समुदाय, काथलिक समुदाय एवं मुसलमान एक साथ रहते हैं।  

उन्होंने इस बात की सराहना की कि दोनों राष्ट्रों में विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोगों के बीच अच्छा संबंध है एवं विविधता तथा मानव अधिकार के प्रति "सम्मान" की भावना झलकती है।

संत पापा अपनी ताकत कहाँ से प्राप्त करते हैं?

एक पत्रकार ने संत पापा से प्रश्न किया कि वे यात्रा करने एवं कार्यों को पूरा करने के लिए ताकत एवं ऊर्जा कहाँ से प्राप्त करते हैं? इस पर संत पापा ने कहा, "मैं इसके लिए जादू टोना का सहारा नहीं लेता। उन्होंने बतलाया कि यह प्रभु की कृपा है तथा जब वे उन्हें अपने को समर्पित कर देते हैं तब वे अपने आपको भूल जाते हैं और वे वहीं रह जाते हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि यात्रा के बाद वे थकान महसूस करते हैं। "मैं यात्रा के दौरान थकान महसूस नहीं करता बल्कि बाद में थकान महसूस करता हूँ। मैं सोचता हूँ कि प्रभु ही मुझे शक्ति प्रदान करते हैं। मैं प्रभु से निष्ठावान बने रहने, उनकी सेवा करने और यह यात्रा कोई पर्यटन न बने इसके लिए प्रार्थना करता हूँ और तब... मैं अधिक कठिन काम नहीं करता।"  

ऑर्थोडॉक्स कलीसिया के साथ संबंध

ऑर्थोडॉक्स कलीसिया के साथ संबंध के बारे संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि सामान्य रूप से दोनों के बीच संबंध अच्छा है और लोगों में सद्भावना है।

उन्होंने कहा कि ऑर्थोडॉक्स कलीसिया के प्राधिधर्माध्यक्ष ईश्वर के व्यक्ति हैं। पूर्व के मतभेद के बारे में उत्तरी मकेदुनिया के राष्ट्रपति के शब्दों की याद करते हुए संत पापा ने कहा कि क्या संत पापा इस मतभेद को समाप्त करने आ रहे हैं? उन्होंने कहा, "मैं नहीं जानता। हम भाई हैं, हम तृत्वमय ईश्वर की आराधना तब तक नहीं कर सकते हैं जब तक कि भाई के रूप में एक-दूसरे का हाथ न पकड़ें।"  

कार्डिनल स्तेपिनाक की संत घोषणा प्रक्रिया

कार्डिनल स्तेपिनाक की संत घोषणा के संबंध में संत पापा ने बतलाया कि वे एक धर्मी व्यक्ति थे, यही कारण है कि कलीसिया ने उन्हें धन्य घोषित किया है। प्रक्रिया में कुछ बिन्दु स्पष्ट नहीं थे जिसके कारण अनुमोदन देने के पूर्व उन्होंने प्रार्थना की, चिंतन किया एवं सेर्विया के प्राधिधर्माध्यक्ष इरेनियुस से सलाह मांगी।

संत पापा ने कहा कि उन्होंने एक ऐतिहासिक आयोग का गठन किया है क्योंकि दोनों आपस में गलती नहीं करने बल्कि सच्चाई पर रूचि रखते हैं।

उन्होंने कहा कि कुछ मामलों के जाँच चल रहे हैं ताकि सच्चाई स्पष्ट हो जाए, मैं सच्चाई से नहीं डरता। मैं केवल ईश्वर के न्याय से भय रखता हूँ।"

महिला उपयाजक

संत पापा ने बुल्गारिया में ऑर्थोडॉक्स समुदाय से मुलाकात की जिसमें सुसमाचार प्रचार हेतु महिलाओं को उपयाजक का अभिषेक किये जाने की परम्परा है। यात्रा के कुछ दिनों बाद वे धर्मसमाजों के अंतरराष्ट्रीय संघ की सभा से भी मुलाकात करेंगे। एक पत्रकार ने संत पापा से सवाल किया कि उन्होंने इससे क्या सीखा और महिला उपयाजक पर उनके क्या विचार हैं?

संत पापा फ्राँसिस ने महिला उपयाजक के अध्ययन के लिए 2016 में एक आयोग का गठन किया है।

पत्रकार के सवाल का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि आयोग ने दृष्टि में अंतर के कारण लगभग दो साल तक काम किया।

उन्होंने कहा कि महिला उपयाजक के मामले को स्वीकार करने का एक रास्ता है कि इसे पुरूष उपयाजक से अलग दृष्टि से अपनाया जाए। यद्यपि महिला उपयाजक के मिशन से संबंधित ऐतिहासिक दस्तावेज हैं फिर भी यह स्पष्ट नहीं है कि उनका अभिषेक पुरूष उपयाजकों के अभिषेक के समान ही था।

संत पापा ने कहा कि आयोग ने अच्छा काम किया है और उनका मूल्यांकन आगे बढ़ने में, हाँ या न कहने में मदद देगा। ईशशास्त्री विभिन्न शोधों पर अध्ययन कर रहे हैं।

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08 May 2019, 17:44