प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर 

दुराचार या उसे ढांकने के खिलाफ पूरी कलीसिया के लिए नया मानदण्ड

संत पापा फ्रासिस ने, बृहस्पतिवार, 9 मई को “मोतू प्रोप्रियो” अर्थात् स्वप्रेरणा से रचित पत्र की घोषणा कर, यौन दुराचार या उसे ढांकने वालों के खिलाफ पूरी कलीसिया के लिए नए मानदण्डों को प्रकाशित किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

संत पापा के मोतू प्रोप्रियो "वोस एसतीस लुक्स मुन्दी" (आप संसार की ज्योति हैं) में उत्पीड़न और हिंसा को रिपोर्ट करने के लिए नई प्रक्रियाएं स्थापित की गयी है तथा यह सुनिश्चित किया गया है कि धर्माध्यक्ष एवं धर्मसमाजों के अधिकारी अपने कार्यों के लिए उत्तरदायी हैं। इसमें याजकों और धर्मसमाजियों को यौन दुराचार की रिपोर्ट के लिए दायित्व का परिचय दिया गया है। कहा गया है कि हरेक धर्मप्रांत में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए जिसके द्वारा जनता आसानी से रिपोर्ट दर्ज करा सके।

अंद्रेया तोरनेल्ली

"वोस एसतीस लुक्स मुन्दी" आप संस्कार की ज्योति हैं ... हमारे प्रभु येसु ख्रीस्त सभी विश्वासियों को बुलाते हैं कि हम सदगुणों, ईमानदारी एवं पवित्रता के ज्वलंत उदाहरण बनें। संत मति रचित सुसमाचार में अंकित प्रभु के इन्हीं शब्दों को संत पापा फ्राँसिस के इस मोतू प्रोप्रियो का शीर्षक बनाया गया है। इसे याजकों एवं धर्मसमाजियों द्वारा यौन दुराचार, धर्माध्यक्षों एवं धर्मसमाज के अधिकारियों द्वारा दुराचार की जाँच में हस्तक्षेप करने या उन्हें हटाने के उद्देश्य से कार्रवाई नहीं करने अथवा उसे ढांकने की कोशिश के खिलाफ संघर्ष करने हेतु समर्पित किया गया है।  

संत पापा ने याद किया है कि "यौन दुराचार के अपराध ने हमारे प्रभु को अपमानित किया है, पीड़ितों को शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक हानि पहुँचायी है और विश्वासी समुदाय का नुकसान किया है। मोतू प्रोपियों में कहा गया है कि प्रेरितों के उतराधिकारियों पर इस अपराध को दूर करने की विशेष जिम्मेदारी है। दस्तावेज़ फरवरी 2019 में वाटिकन में आयोजित नाबालिगों के संरक्षण पर आयोजित बैठक के एक और फल को प्रकट करता है। यह यौन शोषण का मुकाबला करने के लिए प्रक्रियात्मक नया नियम स्थापित करता है और यह सुनिश्चित करता है कि धर्माध्यक्ष और धर्मसमाजों के अधिकारी अपने काम के प्रति जिम्मेदार हों। यह विश्वव्यापी नियम है जो समस्त काथलिक कलीसिया पर लागू की जाती है।

हरेक धर्मप्रांत में रिपोर्ट दर्ज कराने हेतु एक "काउंटर"

नये कानून में, विश्व के हरेक धर्मप्रांत के लिए दायित्व सौंपे गये हैं कि वे जून 2020 तक एक ऐसी व्यवस्था स्थापित करें जिसमें लोग याजकों द्वारा यौन दुराचार अथवा उसे ढांकने के मामलों में आसानी से अपना रिपोर्ट दर्ज करा सके, किन्तु कानून में निर्दिष्ट नहीं किया गया है इसे धर्मप्रांत पर छोड़ दिया जाए कि वह इसके लिए किस प्रकार का कदम उठाना चाहता है जो विभिन्न संस्कृति एवं स्थानीय क्षेत्र की परिस्थिति के अनुसार अलग हो सकता है। उम्मीद की जाती है कि जिन लोगों को दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा है उन्हें स्थानीय कलीसिया में अच्छी तरह स्वीकार किया जाए।

यह सुनिश्चित किया गया है कि उन्हें बदले की भावना से बचाया जाए तथा उनके रिपोर्टों को पूरी गंभीरता के साथ लिया जाए।

रिपोर्ट करने का दायित्व

सभी याजकों एवं धर्मसमाजियों का दूसरा दायित्व है कि अगर उन्हें किसी यौन दुराचार अथवा उसे छिपाने की कोशिश की जानकारी मिली हो तो वे उसकी जानकारी शीघ्र कलीसियाई अधिकारियों को दें। यह दायित्व जो एक निश्चित अर्थ में केवल व्यक्तिगत विवेक से संबंधित था, अब सार्वभौमिक रूप से कानूनी अवधारणा बन गया है। यह दायित्व केवल याजकों एवं धर्मसमाजियों के लिए स्वीकृत की गयी है किन्तु लोक-धर्मियों को भी प्रोत्साहन दिया जाता है कि वे इसी प्रणाली से यौन दुराचार एवं उत्पीड़न के मामलों में कलीसिया के उपयुक्त अधिकारियों के पास मामला दर्ज करें।  

केवल बाल यौन दुराचार के लिए नहीं

दस्तावेज का निर्माण न केवल बच्चों अथवा कमजोर लोगों के यौन दुराचार के मामलों पर ध्यान देते हुए किया गया है बल्कि इससे अधिकारियों द्वारा यौन दुराचार एवं उत्पीड़न पर भी सचेत किय गया है। इस दायित्व के अनुसार याजकों द्वारा महिला धर्मसमाजियों पर किसी प्रकार की हिंसा, साथ ही साथ गुरूकुल छात्रों या नवशिष्यों के उत्पीड़न के मामले भी शामिल हैं।

ढांकना

सबसे महत्वपूर्ण तत्वों में से एक है पहचान, तथाकथित ढांकने वाले आचरण की एक विशिष्ट श्रेणी है किसी पुरोहित अथवा धर्मसमाजी द्वारा यौन दुराचार के मामले की कानूनी, प्रशासनिक या आपराधिक जाँच प्रक्रिया में बाधा डालने की कोशिश करना अथवा जान-बूझकर उसे दरकिनार करने का प्रयास करना। ये वे लोग हैं जिन्हें कलीसिया की ओर से विशेष जिम्मेदारी मिली है किन्तु वे दूसरों के अपराध को प्रकट करने के बदले, उसे छिपाने का प्रयास करते और अपराधी को बचाने का भी प्रयास करते हैं।

नाबालिगों की सुरक्षा

वोस एसतीस लुक्स मुन्दी में नाबालिगों (18 साल से नीचे) एवं कमजोर लोगों की  सुरक्षा के महत्व पर जोर दिया गया है। वास्तव में, कमजोर लोगों का अर्थ न केवल बौद्धिक रूप से कमजोर लोग बल्कि समझने और इच्छा की अक्षमता के मामलों और साथ ही साथ शारीरिक रूप से अयोग्य लोगों को भी शामिल किया गया है। इस तरह मोतू प्रोप्रियो वाटिकन के नये नियम को प्रतिध्वनित करता है। (सीसीएक्ससी 7, 26 मार्च 2019)

राज्य कानूनों का पालन

स्थानीय अधिकारी या धर्मसंघ के अधिकारी को घटना की जानकारी देने का दायित्व किसी भी देश के कानूनों और अन्य दायित्वों को बाधित या संशोधित नहीं करता है: वास्तव में नियम “प्रत्येक स्थान पर स्थापित अधिकारों और दायित्वों के प्रति पूर्वाग्रह के बिना लागू होते हैं राज्य के कानून जो विशेष रूप से सक्षम सिविल अधिकारियों के लिए दायित्वों से संबंधित हैं”।

जानकारी देने वालों और शोषण के शिकारों की सुरक्षा

वे जो मोतू प्रोप्रियो के अनुरूप शोषण की घटनाओं की जानकारी प्रदान करते, वास्तव में, उन्हें अपने बयान के कारण किसी तरह के "पूर्वाग्रह, प्रतिशोध या भेदभाव" का शिकार नहीं होना चाहिए। हमें उन शोषण के शिकार व्यक्तियों की ओर भी ध्यान देने की जरुरत है जिनका मुंह अतीत में बंद करा दिया गया था, इन विश्वव्यापी नियमों के आधार पर “हम उन्हें शांत रहने हेतु किसी तरह का दबाव नहीं दे सकते हैं। वहीं जाहिर है कि पापस्वीकार की गोपनीयता सदैव निरपेक्ष और अदृश्य रहती और इसलिए यह किसी भी तरह इस कानून के दायरे में नहीं आती है। वोस एसतीस लुक्स मुन्दी , इस बात पर जोर देता है कि शोषण के शिकार व्यक्ति और उनके परिवारों के साथ मानवीय सम्मान और आदर से व्यावहार किया जाये तथा उन्हें उचित आध्यात्मिक, चिकित्सा और मनोवैज्ञानिक सहायता मिले।

धर्माध्यक्षों के खिलाफ जाँच

मोतू प्रोप्रियो धर्माध्यक्षों, कार्डिनलों, धर्मसंघ के अधिकारियों और उन लोगों की जांच-पड़ताल को निर्देशित करता है जो कलीसिया या धर्मप्रांत के विभिन्न अधिकारिक पदों पर हैं। उनके बारे में जांच-पड़ताल की प्रकिया न केवल यौन दुर्व्यवहार में संलिप्त होने पर हो बल्कि घटनाओं के संबंध में जानकारी रहने पर भी उन पर कार्रवाई न करने और उनकी लीपा-पोती के प्रयास पर भी किया जाना चाहिए जो कि उनके कर्तव्य के विरूद्ध है।

धर्मप्रांत का उत्तरदायित्व

यौन दुर्व्यवहार में किसी भी धर्माध्यक्ष की संलिप्तता के संबंध में महाधर्माध्यक्ष के लिए यह बात महत्वपूर्ण है कि वह इस तरह घटना की जांच-पड़ताल हेतु वाटिकन से एक अनुमति प्राप्त करे। जांच-पड़ताल की जिम्मेदारी दिये गये लोगों को तीस दिनों के अंदर में वाटिकन को रिपोर्ट सौंपने की जरुरत है और उसे 90 दिनों में पूरा होना है।

लोकधर्मियों की सहभागिता

कलीसियाई नियमों और मोतू प्रोप्रियो के आधार पर जरुरत के अनुसार लोकधर्मियों के मध्य से योग्य व्यक्ति, केस की छानबीन में सहायता कर सकते हैं। संत पापा फ्रांसिस ने इस संबंध में इस बात पर जोर दिया है कि लोकधर्मी विशेषज्ञ और सक्षम व्यक्ति कलीसिया हेतु महत्वपूर्ण हैं। धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों और धर्मप्रांतों को इस संबंध में लोकधर्मियों को तैयार करने की जरुरत है।

बेगुनाही का अनुमान

जांच के तहत व्यक्ति की निर्दोषता को अनुमान के सिद्धांत पर फिर से दुहराया गया है। आरोपी को सक्षम विभाग द्वारा सूचना दिया जायेगा। केवल औपचारिक कार्यवाही की शुरूआत पर ही आरोपों को अधिसूचित किया जाना चाहिए। यदि यह उपयुक्त समझा जाता है, तो जांच की अखंडता सुनिश्चित करने के लिए प्रारंभिक चरण को छोड़ा जा सकता है।

जांच की समाप्ति

मोतू प्रोप्रियो अपराध की सजा को संशोधित नहीं करता है लेकिन यह प्रारंभिक जांच और रिपोर्ट प्रक्रियाएं स्थापित करता है। जांच के अंत में वाटिकन विभाग को परिमाणों की एक रिपोर्ट सौंपी जानी है। वाटिकन विभाग इस तरह "विशिष्ट मामले के लिए कानून के अनुसार", पहले से मौजूदा कलीसियाई मानकों के आधार पर केस के अनुसार उचित कदम लेगा। प्रारंभिक जांच के परिणामों के आधार पर वाटिकन तुरंत व्यक्ति के कार्यों पर रोकथाम और पाबंदी की घोषणा कर सकता है।

निष्ठापूर्ण ठोस कार्य

इन नए न्यायिक नियमों के आधार पर संत पापा फ्रांसिस काथलिक कलीसिया को यौन शौषण मामलों के संबंध में रोकथाम और कार्य करने का आहृवान करते हुए,  हमसे ठोस कदम लेने की मांग करते हैं। वे दस्तावेज के प्रारम्भ में कहते हैं कि यौन शोषण की घटनाएँ पुनः कभी न हों, इसके लिए हमें लगातार अपने हृदयों को पूर्णरूपेण बदले की आवश्यकता है, इसके लिए कलीसिया में हमें ठोस और प्रभावशाली कदम लेने की जरुरत है।”

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

09 May 2019, 15:52