बुल्गारिया में ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा बुल्गारिया में ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा 

बुल्गारिया में ख्रीस्तयाग, प्रभु बुलाते, विस्मित एवं प्रेम करते

संत पापा फ्रांसिस ने बुल्गारिया की अपने प्रेरितिक यात्रा के दौरान सोफिया के क्यनास अलेक्सआंद्र प्रथम प्रांगण में ख्रीस्तीयाग अर्पित किया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

संत पापा ने अपने प्रवचन में कहा कि ख्रीस्त पुनर्जीवित हैं, पास्का काल की खुशी में इन वचनों से एक-दूसरे का अभिवादन करना कितना रमणीय लगता है। सुसमाचार का पूरा वृतांत जिसे हमने सुन है हमें खुशी में सराबोर करता जिसे येसु हमें प्रसारित करने को कहते हैं। यह हमें तीन बातों की याद दिलाती है, ईश्वर हमें बुलाते, हमें आश्चर्यचकित करते और हमें प्रेम करते हैं।

ईश्वर का बुलावा

सारी घटना गलीलिया झील के तट पर होता है जहाँ येसु ने पहली बार पेत्रुस को बुलाया। उन्होंने उसे अपने व्यवसाय को छोड़कर अपने पीछे आने को कहा था जिससे वे उसे मनुष्यों का मछुवारा बना सकें। (लूका. 5.4-11) येसु पर हुई सारी घटनाओं को देखकर, अपने स्वामी की मृत्यु और पुनरुत्थान की बातों को सुनकर पेत्रुस पुनः अपने पुराने व्यवसाय की ओर लौट जाता है। वह दूसरे चेलों से कहता है, “मैं मछली मारने जा रहा हूँ”। और वे उसका अनुसारण करते हैं। दुःख का बोझ, निराशा और धोखा ने चेलों के हृदय को मानों पत्थर से अवरुध कर दिया था। वे अपने में अब भी दर्द और आत्मग्लानि से बोझिल थे क्योंकि पुनरूत्थान का शुभ संदेश उनके हृदयों में जड़ित नहीं हुआ था।

येसु ख्रीस्त जानते हैं कि पुराने स्थिति की ओर लौटना हमारे लिए एक कठिन परीक्षा की भांति होती है। धर्मग्रंथ में पेत्रुस का जाल मिस्र के मांस के बरतन जैसा है, जो हमारे लिए विषाद की निशानी है जिसे हमने छोड़ने का विचार किया था लेकिन हम पुनः उसे अपने साथ लाने की परीक्षा में पड़ जाते हैं। असफलता, चोट या वैसी परिस्थितियाँ जहां चीजें हमारी योजना के अनुरूप नहीं चलती हैं तो ऐसी स्थिति में हम निराश होकर परित्याग करने के एक खतरनाक परीक्षा में पड़ जाते हैं। यह कब्र मनोविज्ञान के समान है जो सभी चीजों को खत्म कर देता है जहाँ हम अपनी आत्मातरस का शिकार होते और हमारी आशा को कीड़े चट कर जाते हैं। समुदायों में ऐसी चीजों का घटित होना जीवन की व्यावहारिकता को सामान्य दिखलाती लेकिन असल विश्वास अपने में नष्ट होता हुआ संकीर्णता में परिणत हो जाता है।  

लेकिन पेत्रुस की ऐसी असफल परिस्थिति में येसु प्रकट होते हैं और धैर्य में उसके पास आते हुए उसे पुकारते हैं। येसु एक पूर्ण परिस्थिति का इंतजार नहीं करते हैं वरन वे उसका निर्माण करते हैं। वे लोगों से मुलाकात करते हुए इस बात की आशा नहीं करते कि वे समस्याओं निराशाओं, पापों या खामियों से मुक्त हों। येसु ने खुद पाप और निराशा भरी स्थिति का सामना किया जिससे वे लोगों को दृढ़ता में बने रहने हेतु प्रोत्साहित कर सकें। संत पापा ने कहा, “येसु हमें अपने पास बुलाते हुए कभी नहीं थकते हैं। येसु के प्रेम में हम नये जीवन की शुरूआत करते हैं। येसु ख्रीस्त में ईश्वर हमें सदा एक दूसरा मौका प्रदान करते हैं। वे हमें प्रति दिन बुलाते जिससे हम उनके प्रेम में मजबूत हो सकें और उनकी अनंत नवीनता के भागीदार हो सकें। वे हर सुबह हमें खोजने आते हैं कि हम कहाँ हैं। वे हमें अपने वचनों के द्वारा उठाते और ऊपर देखते हुए इस बात को अनुभव करने हेतु कहते हैं कि हम स्वर्गराज्य के लिए बनाये गये हैं धरती के लिए नहीं, जीवन की ऊचाइयों के लिए बने हैं न की मृत्यु की गहराई के लिए। हमें उन्हें मृतकों के बीच नहीं खोजना है। जब हम उनका स्वागत करते तो हम अपने जीवन की ऊंचाइयों में पहुंचते और चकमते भविष्य का आलिंगन करते हैं जो जीवन की संभावना नहीं अपितु जीवन की हकीकत है। जब येसु हमारे जीवन को संचालित करते तो हमारा हृदय युवा बना रहता है।

ईश्वर हमें आश्चर्यचकित करते हैं

वे आश्चर्य के ईश्वर हैं। वे न केवल हमें आश्चर्यचकित होने हेतु बुलाते वरन वे हमें आश्चर्यचकित करने वाली चीजों को करने का निमंत्रण देते हैं। अपने चेलों को बुलाने और उनकी जालों को खाली देखकर वे उन्हें कुछ विचित्र कार्य करने को कहते हैं। झील में सुबह को मछली पकड़ता अपने में बेतुकी बात है। लेकिन वे चेलों के विश्वास को नवीन करते और जोखिम लेने हेतु निमंत्रण देते हैं। येसु हमें साहस से भरते हैं और हमारे मन के संदेह, अविश्वास और भय को दूर करते हैं। ईश्वर अपने बुलावे और इतिहास के समुद्र में न केवल जाल वरन अपने को प्रस्तुत करने के फलस्वरुप हमें आश्चर्यचकित करते हैं। हमारे पापों में वे हमें अपनी संतानों के रुप में बचाते, मृत्यु में भाई-बहनों के रुप में जीवन देते और हताशी में हमारे हृदयों को सजीव बनाते हैं। संत पापा ने कहा कि इसलिए हम न डरें, अपने जीवन को अपने हाथों में लेने और इसे देखने में भय का अनुभव करने पर भी वे हमें प्रेम करते हैं।

ईश्वर हमें आश्चर्यचकित करते हैं क्योंकि वे हमें प्रेम करते हैं। प्रेम ईश्वर की भाषा है। इसीलिए वे पेत्रुस को और हमें भी कहते हैं,“क्या तुम मुझे प्रेम करते हो”ॽ येसु के साथ इतने सालों तक अपना जीवन व्यतीत करने के बाद पेत्रुस इस बात को समझता है कि वे जीवन के केन्द्र नहीं वरन येसु जीवन के केन्द्र-विन्दु हैं। वह येसु से कहता हैं,“प्रभु आप सबकुछ जानते हैं”ॽ(यो.21.18) पेत्रुस अपनी कमजोरी को पहचानता है, वह इस बात का अनुभव करता है कि वह खुद अपने जीवन में विकास नहीं कर सकता है। वह अपने को ईश्वर को सौंप देता और उनके प्रेम से शक्ति प्राप्त करता है।

संत पापा ने कहा, “ईश्वर हमें प्रेम करते हैं यही हमारे जीवन की ताकत है और हमें इसे मजबूत करने की जरूरत है।” एक ख्रीस्तीय के रुप में हमें इस बात को अपने में अनुभ करने की जरूरत है कि येसु का प्रेम हमारे लिए हमारी कमजोरियों और पापों से भी बढ़कर है। वर्तमान में हमारी सबसे बड़ी निराशा और कठिनाई यह नहीं कि हम ईश्वर के प्रेम को नहीं जानते बल्कि हमारे कार्य करने और जीवन जीने में हम उनके प्रेम का साक्ष्य नहीं दे पाते हैं, जो उनके नाम को सत्यापित करता हो। ईश्वर प्रेम है जो हमें प्रेम करते और अपने को देते, हमें बुलाते और हमें आश्चर्यचकित करते हैं।

संत पापा ने कहा कि अपने जीवन को उनके द्वारा संचालित करने देने पर वे हमारे जीवन में चमत्कार करते और हमारे जीवन को कलात्मक बना देते हैं। बेल्गारिया की पुण्य भूमि में कितने ही लोगों ने पुनर्जीवित प्रभु पर अपने अद्वितीय विश्वास का साक्ष्य और अपने प्रेम प्रस्तुत किया है। अपने जीवन के अर्पित करते हुए वे जीवित ईश्वर की निशानी बन गये, अपने जीवन में दुःखों का सामना करते हुए उन्हें ख्रीस्तीय विश्वास की मिलास पेश की। हमें अपनी नजरें ईश्वर की ओर उठाते हुए अपने जीवन में उनके कार्यों को स्वीकार करने की जरुरत है और उनके साथ भविष्य की ओर चलना है चाहे हम सफल हो या असफल, वे हमें सदैव हमारे साथ रहेंगे और हमें अपना जाल फेंकने को कहेंगे।

संत पापा ने युवाओं को कही गई अपनी बातों को दुहराते हुए कहा, “युवा कलीसिया अपनी आयु के आधार पर युवा नहीं बल्कि पवित्र आत्मा की कृपा में युवा है जहाँ हम येसु के प्रेम का साक्ष्य देने हेतु बुलाये जाते हैं जहाँ प्रेम में सामान्य भलाई हेतु हम दूसरों को प्रेरित करते और उनका मार्गदर्शन करते हैं। यह प्रेम हमें गरीबों की सेवा करते हुए करूणा और सेवा में क्रांतिकारी अगुवे होने हेतु निमंत्रण देता है जिसके परिणाम स्वरुप हम उपभोक्तावाद और छिछले व्यक्तिवाद की रोकथाम कर सकें। येसु के प्रेम से सराबोर हम सारी दुनिया में सुसमाचार का साक्ष्य दे सकें।(किस्तुत भीभीत 174-175) आप संत बनने हेतु न डरें जिसे इस देश को जरुरत है। आप पवित्रता से भयभीत न हों। यह आप की किसी भी शक्ति औऱ खुशी का दोहन नहीं करेगी बल्कि इस देश के सभी पुत्र-पुत्रियां उस मुकाम तक पहुंचने में मददगार होगी जो हम सभों की सृष्टि के समय पिता ईश्वर के मन में था।  हम बुलाये गये हैं आश्चर्यचकित किये गये हैं और प्रेम करने हेतु भेजे गये हैं।

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05 May 2019, 17:55