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ख्रीस्तीय परिप्रेक्ष्य में शांति के लिए शिक्षा

अंतरधार्मिक वार्ता हेतु गठित परमधर्मपीठीय समिति एवं कलीसियाओं की विश्व समिति ने ख्रीस्तीय कलीसियाओं एवं ख्रीस्तीय संस्थाओं को विश्व की शांति में व्यवधान पैदा करने वाली संरचनात्मक जड़ों पर चिंतन करने का प्रोत्साहन देने हेतु एक संयुक्त दस्तावेज जारी किया है।

उषा मदस्तावेज का शीर्षक है, "बहु-धार्मिक विश्व में शांति के लिए शिक्षा: एक ख्रीस्तीय परिप्रेक्ष्य," जिसे अंतरधार्मिक वार्ता हेतु गठित परमधर्मपीठीय समिति (पीसीआईडी) एवं कलीसियाओं की विश्व परिषद (डब्ल्यू सीसी) द्वारा जेनेवा में 21 मई को "एक साथ शांति को बढ़ावा" विषय पर एक सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया।

दस्तावेज़ को "पारस्परिक बातचीत को बढ़ावा देने के माध्यम से पारिस्थितिक संबंधों को मजबूत करने की हमारी निरंतर प्रतिबद्धता में एक महत्वपूर्ण मील के पत्थर" के रूप में परिभाषित किया गया है।

ग्रह पर आतंकवाद का डर

दस्तावेज की प्रस्तुति के दौरान लघु सारांश प्रस्तुत करते हुए धर्माध्यक्ष अयूसो ने कहा, "हमारा दैनिक अनुभव पुष्टि देता है कि हम एक खंडित दुनिया में जीते हैं तथा यहाँ ध्रुवीकरण बढ़ रही है। आर्थिक और राजनीतिक एवं सामाजिक अस्थिरता जीवन को लगातार भयभीत कर रहा है।

उन्होंने कहा कि घातक आतंकवाद, सामाजिक संचार द्वारा धार्मिक रूप से प्रेरित हिंसा, कट्टरता के कार्य, अभद्र भाषा, चरमपंथी उपदेशक, मिशनरी और धार्मिक संस्थाएं जो घृणा और हिंसा के बीज बोते हैं वे सामाजिक संकट हैं, जिन्हें संबोधित किया जाना चाहिए।"

शांति निर्माण हेतु धर्म

यही कारण है कि स्पानी धर्माध्यक्ष ने कहा कि दस्तावेज "हमारे साझा विश्वास में आधारित है जिसमें शिक्षा में संघर्षों को हल करने, उनकी पुनरावृत्ति को रोकने, घायलों को ठीक करने, न्याय बहाल करने और सभी की समान गरिमा को बनाए रखने की  महत्वपूर्ण एवं आवश्यक भूमिका है।"

यद्यपि पीसीआईडी-डब्ल्यू दस्तावेज मुख्य रूप से ख्रीस्तीयों द्वारा तैयार किया गया है फिर भी, धर्माध्यक्ष ने गौर किया कि शांति निर्माण के लिए सभी का आलिंगन किया जाना आवश्यक है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि दस्तावेज विभिन्न धर्मों के लोगों और हमारे बहु-धार्मिक दुनिया में सामाजिक और राजनीतिक अभिनेताओं के बीच, शांति के लिए शिक्षा पर एक विस्तृत विवाद उत्पन्न करेगा।

दस्तावेज "बहु-धार्मिक दुनिया में शांति के लिए शिक्षा: एक ख्रीस्तीय परिप्रेक्ष्य" तीन खंडों में विभाजित है। पहला भाग सात कारण देता है कि क्यों ख्रीस्तीयों को शांति की शिक्षा से संलग्न होना चाहिए। दूसरे भाग में शिक्षा द्वारा शांति निर्माण हेतु 12 क्षेत्र और रणनीतियाँ हैं। अंतिम भाग में कलीसियाओं, ख्रीस्तीय शैक्षणिक संस्थाओं एवं राष्ट्रीय तथा प्रार्थनामय चिंतन हेतु क्षेत्रीय समुदायों और अंतरधार्मिक निकायों के लिए दस सिफारिशें प्रदान की गयी है।नोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

 

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23 May 2019, 17:49