वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन 

रोमानिया में संत पापा द्वारा ख्रीस्तीयता के मूल पर प्रकाश

संत पापा फ्राँसिस अपनी 30वीं प्रेरितिक यात्रा पर 31 मई से 2 जून को रोमानिया जा रहे हैं। वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन ने इस यात्रा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह यात्रा ख्रीस्तीय एकतावर्धक वार्ता एवं यूरोपीय महाद्वीप में ख्रीस्तीय मूल पर ध्यान आकृष्ट करेगा।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

संत पापा के रोमानिया प्रस्थान करने की पूर्व संध्या, वाटिकन न्यूज से बातें करते हुए कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन ने कहा कि रोमानिया संत पापा के आगमन का इंतजार आशा एवं उम्मीदों के साथ कर रहा है। वह उनके प्रोत्साहन एवं एकता के संदेश की आस में है।  

संत पापा जॉन पौल द्वितीय के पदचिन्हों पर संत पापा फ्राँसिस रोमानिया की यात्रा करने जा रहे हैं। इस प्रेरितिक यात्रा का आदर्श वाक्य है, "आओ, हम एक साथ चलें।"

माता मरियम

कार्डिनल परोलिन ने गौर किया कि संत पापा फ्राँसिस, रोमानिया ऐसे दिन में पहुँच रहे हैं जब कलीसिया माता मरियम का एलीजाबेथ से मुलाकात का पर्व मनाती है। उन्होंने कहा कि संत पापा रोमानिया के लोगों के साथ, धन्य कुँवारी मरियम की तरह, दीनता, सेवा एवं उदारता के मनोभाव के साथ जरूरतमंद लोगों की ओर बढ़ेंगे।

संत पापा रोमानिया के लोगों की यात्रा में सहभागी होंगे, उन्हें प्रोत्साहन देंगे तथा उन्हें उनके विश्वास में आगे बढ़ायेंगे, साथ ही साथ, देश में विविध कलीसियाओं की समृद्धि पर भी ध्यान देंगे।  

वे वहाँ युवाओं से मुलाकात करेंगे और निमंत्रण देंगे कि वे मुलाकात की संस्कृति को सदा बढ़ावा दें, विशेष रूप से यह यात्रा ऐतिहासिक संदर्भ में महत्वपूर्ण है जहां विभाजन और विरोधाभास प्रबल होते हैं।

ख्रीस्तीय एकतावर्धक वार्ता

कार्डिनल परोलिन ने बतलाया कि संत पापा की प्रेरितिक यात्रा का एक महत्वपूर्ण मुद्दा है ख्रीस्तीय एकतावर्धन वार्ता। उन्होंने याद दिलाया कि ठीक 20 वर्षों पूर्व मई 1999 को संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने भी इस देश की यात्रा की थी, परिणाम यह हुआ था कि ऑर्थोडॉक्स बहुल अन्य देशों के द्वार भी खुल गये थे।

उन्होंने कहा, "हम सभी याद करते हैं कि प्रांगण से "एकता! एकता!" के नारे गूँज रहे थे। निश्चय ही, वह पहला कदम था, एक आधारभूत कदम।"

कार्डिनल ने कहा कि संत पापा फ्राँसिस की यात्रा ख्रीस्तीय एकतावर्धक वार्ता की दिशा में दूसरी यात्रा होगी।

उन्होंने कहा कि रोमानिया एक चौराहा है जहाँ पूर्वी और पश्चिमी यूरोप एक साथ मिलते हैं। यह कई संस्कृतियों का संगम-स्थल है जो अपने समृद्ध कलात्मक धरोहर एवं आम साक्ष्य के इतिहास द्वारा प्रकट होता है।

संत पापा ने इसे ख्रीस्तीय एकतावर्धक वार्ता का रूधिर कहा, जिसके नायक हैं विश्वासी जो काथलिक कलीसिया एवं ऑर्थोडॉक्स कलीसिया के सदस्य हैं और जिन्होंने नास्तिक शासनकाल में अत्यचार सहा है जिन्होंने उन्हें धार्मिक स्वतंत्रता एवं विश्वासियों के अधिकार से वंचित कर दिया था। उन्होंने पीड़ा और शहादत में ही एकता को प्राप्त कर लिया है।  

रोमानिया की विभिन्न धार्मिक सच्चाइयों पर प्रकाश डालते हुए कार्डिनल ने संत पापा जॉन पौल के शब्दों में रोमानिया को "ईश्वर की माता की वाटिका" कहा क्योंकि इसमें बहुत अधिक विविधता है। 

उन्होंने स्मरण दिलाया कि संत पापा निश्चय ही यूरोप की आधारभूत मूल्यों एवं ख्रीस्तीय मूल्यों पर ध्यान देंगे क्योंकि ये मानव व्यक्ति की प्रतिष्ठा एवं एकात्मता को महत्व देते हैं, जो ख्रीस्तीय धरोहर में उसकी सुदृढ़ नींव है, जिसका रोमानिया भी एक वाहक है।

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30 May 2019, 17:06