प्रेरितिक उदबोधन "क्रिस्टुस वीवित" प्रेरितिक उदबोधन "क्रिस्टुस वीवित" 

ईश्वर को आपसे प्यार है, कलीसिया को आपकी जरुरत है,संत पापा

वाटिकन प्रेस कार्यालय ने युवा लोगों को समर्पित संत पापा फ्राँसिस के दस्तावेज को वाटिकन में धर्माध्यक्षों की धर्मसभा के महासचिव कार्डिनल लोरंजो बाल्दिसेरी ने प्रस्तुत किया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार 2 अप्रैल 2019 (रेई) :  संत पापा फ्राँसिस के पोस्ट-सिनॉडल एपोस्टोलिक एक्सजर्टेशन,(प्रेरितिक प्रबोधन) "क्रिस्टुस वीवित" (मसीह जीवित है) युवा लोगों को समर्पित है। मंगलवार 2 अप्रैल को यह दस्तवेज वाटिकन प्रेस कार्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रकाशित किया गया। युवा लोगों को समर्पित संत पापा के इस दस्तावेज को वाटिकन में धर्माध्यक्षों की धर्मसभा के महासचिव कार्डिनल लोरंजो बाल्दिसेरी ने प्रस्तुत किया।

मसीह जीवित हैं

“मसीह जीवित हैं! वे हमारी आशा हैं, और एक शानदार तरीके से वे युवाओं को हमारी दुनिया में लाते हैं। सबसे पहले मैं हर युवा ख्रीस्तीय से कहना चाहूँगा,वो ये हैं,“मसीह जीवित हैं और वो चाहते हैं कि आप जीवित रहें! ”   

इस वाक्य द्वारा संत पापा फ्राँसिस के पोस्ट-सिनॉडल एपोस्टोलिक एक्सजर्टेशन, "क्रिस्टुस वीवित" की शुरूआत होती है।  युवा लोगों और ईश्वर के सभी लोगों को संबोधित प्रेरितिक प्रबोधन में संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार 25 मार्च को लोरेटो के पवित्र परिवार घर में हस्ताक्षर किया था। दस्तावेज में, 299 अनुच्छेद हैं जो नौ अध्यायों में विभाजित हैं। संत पापा ने कहा कि उन्होंने अक्टूबर 2018 में वेटिकन में आयोजित युवा लोगों पर "धर्मसभा के गहन चिंतन और वार्तालाप से स्वयं को प्रेरित होने दिया।

अध्याय एक: "ईश्वर का वचन युवा लोगों के बारे में क्या कहता है?"

अध्याय दो: "येसु, सदा युवा"

अध्याय तीन: "आप ईश्वर के 'अभी' हैं"

अध्याय चार: "सभी युवाओं के लिए एक महान संदेश"

अध्याय पाँच: युवाओं के पथ

अध्याय छह: "विश्वास करने वाले युवा"

अध्याय सात: "युवाओं के लिए प्रेरितिक कार्य"

अध्याय आठ: "बुलाहट"

अध्याय नौ: "आत्म-परीक्षण"

अध्याय 1 - "ईश्वर का वचन युवा लोगों के बारे में क्या कहता है?"

संत पापा फ्राँसिस ने धर्मग्रंथ के पुराने नियम के युवाओं जैसे जोसेफ, गिदोन सामुएल, राजा दाउद, सलोमोन, जेरेमियाह, नामान के छोटे युवा नौकर और युवा रूथ का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करते हैं कि "उस युग में जब युवा लोगों पर अत्यधिक विचार नहीं किया जाता था, पर ईश्वर उन्हें अलग तरह से देखते थे।"

नया नियम के आधार पर संत पापा कहते हैं कि "येसु, जो सदा युवा हैं, हमें ऐसे दिल देना चाहते हैं जो सदा युवा रहे" वे आगे कहते हैं: "आइए हम यह भी ध्यान रखें कि "येसु को यह तथ्य पसंद नहीं था कि वयस्क लोग तिरस्कार के साथ युवा लोगों को देखे या उन्हें निरंकुश तरीके से अपनी सेवा में रखे। इसके विपरीत, उन्होंने जोर देकर कहा "जो तुम लोगों में बड़ा है वह सब से छोटे जैसा बने। (लूकस 22:26), पवित्र शास्त्र बुजुर्गों के लिए सम्मान की सिफारिश भी करता है।संत पापा लिखते हैं कि युवा होना सिर्फ उम्र की बात नहीं है। येसु अमीर युवक से मिलते हैं, लेकिन उस युवक की आत्मा इतनी युवा नहीं थी क्योंकि वह पहले से ही धन और आराम का आदी बन गया था। सुसमाचार में पाते हैं कि कुछ युवा लोग" तैयार और चौकस "होते हैं, जबकि अन्य" विचलित और सोए हुए "होते हैं। इन युवाओं से प्रभु कहते हैं,"लड़का, मैं तुमसे कहता हूं। उठ जाओ!"

अध्याय 2 - ईसा मसीह हमेशा युवा थे

धर्मसभा ने पुष्टि की कि युवा जीवन की एक उत्साह भरी अवधि है जिसे स्वयं येसु ने व्यतीत किया था। लेकिन इसके बारे में सुसमाचार कैसे बोलता है? हमें नहीं सोचना चाहिए, कि "येसु एक एकान्त किशोर (...) थे। लोगों के साथ उसका रिश्ता एक ऐसे युवक का था जिसने गाँव में अच्छी तरह से मिल-जुल कर परिवार में जीवन को साझा किया। संत पापा लिखते हैं कि युवा मिनिस्ट्री करने वालों को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि वे जो भी योजना बनाते हों वो युवाओं को दुनिया और परिवार से जोड़े, न कि उसे अलग कर दे, या अल्पसंख्यक बना कर अपने आप में सिमट जायें।  

कलीसिया अपने में युवा है

संत पापा फ्राँसिस कलीसिया के युवा होने की बात लिखते हैं, “आइए हम प्रभु से कलीसिया को उन लोगों से मुक्त करने के लिए कहें जो उसे बूढ़ा बना देंगे, अतीत में उसका अपमान करेंगे, उसे वापस पकड़ लेंगे या उसे एक स्थिर बना देंगे। संत पापा ने कहा कि हम प्रभु से एक और प्रलोभन से मुक्त करने के लिए भी कहें: यह सोचकर कि वह युवा है क्योंकि वह सब कुछ स्वीकार करती है जिसे दुनिया उसे प्रदान करती है, वह अपना नवीनीकरण करती है। नहीं! कलीसिया युवा तब है जब वह खुद में है, जब वह ईश्वर के वचन, युखारिस्त, और मसीह की उपस्थिति को दैनिक जीवन में अनुभव कर उनकी शक्ति को प्राप्त करती है।

अध्याय 3 - आप ईश्वर के 'अभी' हैं"

संत पापा फ्राँसिस ने इस अध्याय में कहा है कि युवा न केवल दुनिया के भविष्य हैं, बल्कि वर्तमान हैं और इसलिए उनकी बातें सुनी जानी चाहिए। "तैयार जवाब और तैयार व्यंजनों" को प्रदान करने के प्रलोभन का विरोध करते हुए, उनकी सकारात्मकता को देखने की क्षमता होनी चाहिए। जहां दूसरों को केवल दीवारें दिखाई देती हैं वहाँ युवा अपने लिए रास्ता ढूँढ़ लेते हैं। संत पापा ने वर्तमान में विभिन्न युवाओं की वास्तविकताओं को ध्यान में रखा है। युद्ध के संदर्भों में रहने वाले युवा, अपराध, मानव तस्करी, दासता और यौन शोषण से पीड़ित युवा, जिनका उपयोग तोप चारे के रूप में किया जाता है।"कई युवा धार्मिक, जातीय या आर्थिक कारणों से हाशिए पर हैं। वे लड़कियों जो गर्भवती हो जाती हैं, गर्भपात का कहर, एचआईवी का प्रसार और निर्भरता के विभिन्न रूपों, सड़क पर रहने वाले बच्चों की स्थिति। संत पापा ने निष्कर्ष में कहा, "हम कलीसिया नहीं बन सकते हैं जब हम इन मासुमों के क्रंदन को अनुभव नहीं करते।  

अध्याय 4 - सभी युवाओं के लिए महान संदेश

चौथे अध्याय में पोप फ्रांसिस ने सभी परिस्थितियों से परे, युवा लोगों को संबोधित किया, सबसे महत्वपूर्ण संदेश जो तीन महान सच्चाइयों को दर्शाती है : पहला: "ईश्वर आपसे प्यार करते है"; दूसरा: "मसीह आपको बचाते हैं", क्योंकि उसका प्रेम "हमारे सभी विरोधाभासों और अपराधों से बहुत बड़ा है", तीसरा सच: "वे जीवित हैं!" और अगर "वे जीवित हैं, तो वह वास्तव में आपके जीवन में किसी भी क्षण, उसे प्रकाश से भरने के लिए उपस्थित हो सकते हैं"। प्रेरितिक उद्बोधन में हम पढ़ते हैं: "यदि आप इस घोषणा की सुंदरता की अपने दिल से सराहना कर सकते हैं और अपने आप को प्रभु से मिलने के लिए छोड़ देते हैं, यदि आप अपने आप को उनके प्यार और संरक्षण में छोड़ देते हैं, यदि आप उसके साथ दोस्ती करते हैं और उसमें विश्वास करना शुरू करते हैं और अपने दैनिक जीवन की ठोस परिस्थितियों में येसु के साथ वार्तालाप करना शुरु कर देते हैं तो यह आपके जीवन का मौलिक अनुभव होगा जो आपके ख्रीस्तीय जीवन को आगे ले जाएगा।  और आप इसे अपने युवा दोस्तों के साथ संवाद कर सकते हैं।"   

क्रमशः.....

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02 April 2019, 17:26