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स्वर्गीय रानी प्रार्थना के दौरान संत पापा फ्रांसिस स्वर्गीय रानी प्रार्थना के दौरान संत पापा फ्रांसिस 

येसु के घाव हमारी शांति के स्रोत

संत पापा फ्रांसिस ने पास्का के दूसरे रविवार को स्वर्गीय रानी प्रार्थना के पूर्व येसु के घावों पर चिंतन करने का आहृवान किया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 31 दिसम्बर 2018 (रेई) संत पापा फ्राँसिस ने 28 अप्रैल को संत पेत्रुस महागिरजा घर के प्रांगण में स्वर्गीय रानी प्रार्थना हेतु जमा हुए हज़ारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को  संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाई और बहनो, सुप्रभात।

आज का सुसमाचार हमें बतलाता है कि पास्का रविवार की संध्या येसु ख्रीस्त अंतिम व्यारी की कोठरी में अपने शिष्यों को दर्शन देते हुए तीन उपहारों शांति, खुशी और प्रेरितिक कार्यभार सौंपा।

हमारी शांति येसु के घावों में

“तुम्हें शांति मिले”। यह प्रथम वाक्य है जिसे येसु अपने चेलों से कहते हैं। येसु ख्रीस्त हम सभों के लिए सच्ची शांति लेकर आते हैं क्योंकि अपने क्रूस मरण के द्वारा उन्होंने पाप और मृत्यु पर विजयी पाई तथा ईश्वर और मानव जाति के बीच मेल करा लिया। यह शांति है। संत पापा ने कहा कि येसु के शिष्यों को इस शांति की आवश्यकता थी क्योंकि अपने गुरू के गिरफ्तार होने और मृत्युंदड दिये जाने के कारण उनमें भय और आतंक छाया हुआ था। येसु अपने को उनके बीच में जीवित उपस्थित करते और उन्हें अपने घावों को दिखलाते हैं- वे अपने घावों को अपने महिमान्वित शरीर में सुरक्षित रखना चाहते हैं- वे अपनी विजय का फल अपने चेलों को शांति के रुप में प्रदान करते हैं। लेकिन उस संध्या को प्रेरित थोमस उनके बीच में उपस्थित नहीं था। दूसरों के द्वारा इस अभूतपूर्व घटना का जिक्र करने पर उसे उनकी बातों पर विश्वास नहीं हुआ बल्कि वह उन बातों को व्यक्तिगत रुप में स्वयं सत्यापित करने की बात कहता है। आठ दिनों के बाद येसु पुनः अपने शिष्यों को दिखाई देते हैं- वे अविश्वासी थोमस से मिलते और उन्हें अपने घावों के निशानियों को स्पर्श करने का निमंत्रण देते हैं। येसु के घाव शांति के स्रोत हैं, क्योंकि वे येसु के असीम प्रेम की निशानी हैं जिनके द्वारा उन्होंने मानव के शत्रु रुपी ताकतों पाप और मृत्यु पर विजय पाई। येसु का थोमस को अपने घावों को छूने का निमंत्रण देना हमारे लिए येसु की एक शिक्षा के समान है मानों वे हमें कह रहे हों, “यदि तुम अपने में शांति का अनुभव नहीं करते हो तो मेरे घावों का स्पर्श करो”।

येसु के घावों का स्पर्श करें

येसु के घावों का स्पर्श करना, हमारा ध्यान दुनिया की मुसीबतों, कठिनाइयों, सतावटों, बहुत सारी बीमारियों से कष्ट झेल रहे लोगों की ओर करता है। संत पापा ने कहा कि क्या आप शांति में नहीं है। यदि ऐसी बात है तो आप उस व्यक्ति की भेंट करें, उसके पास जायें जिसे आप येसु के घावों की निशानी के रुप में देखते हैं। आप येसु के घाव को छूवें। उस घाव से ईश्वर की करुणा हमारे लिए प्रवाहित होती है। उन्होंने कहा कि यही कारण है इस रविवार को हम दिव्य करुणा के रविवार स्वरुप मनाते हैं। एक संत हमें करते हैं कि येसु का क्रूसित शरीर हमारे लिए करूणा का सागर के समान है जो घावों के माध्यम हम सभों के पास पहुँचता है। हम सभी जानने हैं कि हमें करूणा की आवश्यकता है। हम येसु के निकट आते हुए अपने भाई-बहनों में उनके घावों का स्पर्श करें। येसु ख्रीस्त के घाव हमारे लिए निधि हैं क्योंकि वहां से हमारे लिए करुणा प्रवाहित होती है। हम अपने में साहसी होते हुए येसु ख्रीस्त के घावों को छूवें। अपने इन घावों के साथ येसु अपने पिता के सामने खड़े होते हैं, मानों वे उन्हें दिखाते हुए उनसे कह रहे हो, “पिता, यह वह मूल्य है जिसे मैंने अपने भाइयों के लिए चुकाया है।” अपने घावों के द्वारा वे हमारे लिए अपने पिता से निवेदन करते हैं। जब हम तेरे सम्मुख आते तो हमें अपनी करूणा प्रदान कर और हमारे लिए निवेदन कर। संत पापा ने कहा कि हम येसु ख्रीस्त के घावों को न भूलें।

खुशी पुनरूत्थान का दूसरा उपहार

येसु अपने शिष्यों को अपने पुनरूत्थान का दूसरा उपहार खुशी के रुप में प्रदान करते हैं। सुसमाचार लेखक हमें बतलाते हैं कि शिष्य येसु को देखकर आनंदित होते हैं। संत लूकस का सुसमाचार हमें यह भी कहता है कि आनंद के मारे उन्हें विश्वास भी नहीं हो रहा था। संत पापा ने कहा कि हमारे जीवन में भी जब कुछ अच्छी और अविश्वासनीय घटनाएं घटती तो हम अपने में स्वतः ही कहते हैं,“मुझे विश्वास नहीं होता, यह सच नहीं है।” चेलों के साथ ऐसा ही हुआ वे खुशी के मारे विश्वास नहीं कर सके। येसु ख्रीस्त हमारे जीवन में ऐसी खुशी लेकर आते हैं। यदि आप अपने जीवन में खुश नहीं हैं, यदि आप शांति का अनुभव नहीं करते तो आप क्रूसित येसु की ओर अपनी निगाहें फेरें, आप पुनर्जीवित येसु की ओर देखें, उनकी घावों की ओर देखें और अपने में खुशी का अनुभव करें।

प्रेरिताई कार्य की जिम्मेदारी

इस शांति और खुशी के अलावे येसु अपने शिष्यों को प्रेरिताई कार्य का उपहार सौंपते हैं। वे उन्हें कहते हैं,“जिस तरह पिता ने मुझे भेजा है, उसी तरह मैं तुम्हें भेजता हूँ”। येसु का पुनरूत्थान हमारे जीवन में प्रेम के नये आयम की शुरूआत करता है जहाँ हम पवित्र आत्मा की उपस्थिति में विश्व को परिवर्तन करने की शक्ति पाते हैं।

पास्का के इस दूसरे रविवार में हम येसु के निकट विश्वास के साथ अमांत्रित किये जाते हैं। हम अपना हृदय शांति, खुशी और प्रेरिताई हेतु खोलें। संत पापा ने कहा कि लेकिन हम येसु के घावों को न भूलें क्योंकि शांति, खुशी और हमारे लिए प्रेरिताई कार्य हेतु शक्ति उन्हीं से आती है। हम अपनी इस प्रार्थना को माता मरियम की मध्यस्थता द्वारा जो स्वर्ग की रानी है अर्पित करें।

इतना कहते के बाद संत पापा फ्रांसिस ने सभों से साथ स्वर्गीय रानी प्रार्थना का पाठ किया और सभों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।

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29 April 2019, 16:14