खजूर रविवार की धर्मविधि में संत पापा खजूर रविवार की धर्मविधि में संत पापा  

येसु की खामोशी प्रभावशाली

संत पापा फ्रांसिस ने 14 अप्रैल को संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में खजूर रविवार महोत्सव का मिस्सा बलिदान अर्पित किया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, 14 अप्रैल 2019 (रेई) संत पापा ने अपने प्रवचन में कहा कि येसु का आनंदमय येरुसलेम में प्रवेश करना अपमान में बदल जाता है। इस आनंदमय त्योहार के बाद हम उन्हें बुरी तरह सताये जाते हुए पाते हैं। येसु के इन दो रहस्यों की याद करते हुए हम हर साल पवित्र सप्ताह में प्रवेश करते हैं, हम खजूर की डालियों के साथ शोभायात्रा करते औऱ उसके बाद येसु के दुःखभोग की गाथा सुनते हैं।

पवित्र आत्मा से प्रेरित होकर हम इस महोत्सव में प्रवेश करें और अपने को ईश्वरीय आशीष से प्रोषित होने दें जैसा की आज का प्रवेश भजन कहता है, हम विश्वास में अपने मुक्तिदाता येसु का अनुसरण नम्रता में करें, धैर्यपूर्ण ढ़ग से उनके कष्टों को देखकर सीखें औऱ इस भांति बुराई पर विजयी होते हुए उनकी महिमा के भागीदार बनें।

परीक्षा से बचने की शिक्षा     

संत पापा ने कहा कि येसु हमें विश्वास में अपने को पिता के हाथों में अर्पित करते हुए जीवन की कठिन परिस्थितियों और कपटी परीक्षाओं से बचने की शिक्षा देते हैं। हम उन्हें अपने जीवन के शुरूआती दिनों विशेषकर मरूभूमि में चालीस दिनों तक उपवास और प्रार्थना करने से लेकर अपने दुःखभोग की चरमसीमा तक अपने को पिता के हाथों में समर्पित करते हुए देखते हैं जो उनके लिए करूणा और पिता की आशीष लेकर आता है। वे अपनी इच्छा के अनुरूप अपने कार्यों को नहीं करते लेकिन पिता के प्रति आज्ञाकारी बने रहते हुए उनकी इच्छा पूरी करते हैं।

आज भी अपने येरुसलेम प्रवेश के द्वारा येसु हमें दिशा निर्देश देते हैं। इस परिदृश्य में दुनिया का राजकुमार अपने में विजयी कार्ड पकड़े रहता है लेकिन येसु अपनी नम्रता में दृढ़ बने रहते हुए उसका प्रतिउत्तर देते हैं।

विजयवाद अपने में सुगम और झूठे समझौतों को अपनाते हुए अपनी मंजिल तक पहूँचने की कोशिश करती है। यह एक सूक्ष्म रुप में वह आध्यात्मिक दुनियादारी है जो अपने में बहुत बड़ा खतरा है, प्रलोभन देने वाली एक परीक्षा जो कलीसिया को प्रभावित करती है। येसु अपने दुःखभोग के द्वारा इस विजयवाद का विनाश करते हैं।

येसु का हृदय गरीबों के साथ

येसु उन युवा लोगों के साथ वास्तव में खुशी मनाते और आनंदित होते जो उन्हें राजा और मसीह घोषित करते हुए उनके नाम की जयजयकार करते हैं। उनका हृदय इसराएल के गरीबों के जोश और उमंग को देख कर गद्गद हो जाता है। भीड़ के जोश को देख कर फरीसी अपने में विचलित हो जाते और वे येसु से उन्हें शांत करने हेतु निवेदन करते हैं। येसु उन्हें कहते हैं, “यदि वे शांत हो जायें, तो पत्थर अपने में चिल्लाने लगेंगे। (लूका. 19.40) नम्रता का अर्थ सच्चाई को अस्वीकार करना नहीं है, येसु सचमुच में मसीह दुनिया के राजा है।

सेवक का रूप

वहीं दूसरी ओर येसु अपने लिए “ईश्वरीय रुप” से “सेवक रुपी” मार्ग का चुनाव करते और मरण तक यहां तक की क्रूस के मरण तक आज्ञाकारी पुत्र बने रहते हैं। (फिलि. 2.6-8) वे अपने में इस बात का अनुभव करते हैं कि सच्ची विजयी अपने को पूर्णरूपेण खाली करने में है। वे अपने में चुपचाप रहते, प्रार्थना करते और सारी बातों को नम्रता में स्वीकारते हैं। वे क्रूस का आलिंगन करने या उसका परित्याग करने में कोई तोल-मोल नहीं करते हैं। अपने को अपमानित किये जाने के द्वारा वे हमारे लिए विश्वास के मार्ग को खोलना चाहते हैं जिससे हम उसमें चल सकें।

विश्वास रात्रि के समान

संत पापा ने कहा कि येसु के मार्ग का अनुसरण करने वालों में उनकी माता मरियम प्रथम शिष्य थी। धन्य कुंवारी मरियम और संतों को विश्वास और ईश्वर की इच्छा अनुसार आज्ञाकारिता के मार्ग में चलने के कारण कष्ट उठाना पड़ा। विश्वास के फलस्वरुप जीवन की दर्द भरी घटनाओं को वहन करना हमारे हृदय को बोझिल बना देता है। विश्वास के कारण हम अपने को अंधेरे में पाते हैं। लेकिन रात्रि के बाद ही हम पुनरूत्थान की सुबह को देखते हैं। क्रूस के नीचे माता मरियम स्वर्गदूत द्वारा कहे गये वचनों पर पुनः चिंतन करती है, “वे महान होंगे... ईश्वर उन्होंने उनके पिता दाऊद का सिंहासन प्रदान करेंगे, वे याकूब के घराने पर सदा-सर्वदा राज्य करेंगे और उनके राज्य का अंत नहीं होगा”।(1.32-33) गोलगोथा में मरियम अपने को की गई इस प्रतिज्ञा के विपरीत पाती हैं उनका बेटा क्रूस में एक अपराधी की तरह मार डाला जाता है। विजयवाद येसु के अपमान में नष्ट किया जाता जैसा कि वह माता के हृदय में नष्ट हो जाता है।

येसु आपके जीवन हैं

मरियम के पद चिन्हों का असंख्य लोगों ने अनुसारण करते हुए येसु के मार्ग नम्रता और आज्ञाकरिता में चला है। संत पापा ने कहा कि आज हम विश्व युवा दिवस मनाते हैं मैं उन युवा संतों की याद करना चाहता हूँ जो हमारे “द्वार की बगल” में हैं जो केवल ईश्वर द्वारा जाने जाते हैं, कभी-कभी ईश्वर हमें उनके द्वारा आश्चर्यचकित करते हैं। संत पापा ने युवाओं का आहृवान करते हुए कहा, “आप येसु के लिए अपने जोश का प्रदर्शन करने हेतु शर्म का अनुभव न करें, आप यह घोषित करें कि वे जीवित हैं और वे आपके जीवन हैं। आप उनके क्रूस के मार्ग का अनुसरण करने हेतु न डरें। जब आप उनकी पुकार सुनते जहाँ वे आप को आत्म-त्याग करने हेतु निमंत्रण देते तो आप अपनी सुख-सुविधाओं का परित्याग करने और अपने को पूरी तरह पिता के हाथों में सौंपने से न डरें। यह आप को आनंदित करेगा क्योंकि आप ईश्वरीय राज्य की राह में हैं।  

येसु तूफानों को शांत करने आते

संत पापा ने कहा कि अपने पूरे दुःखभोग में येसु की खामोशी अपने में अत्यधिक प्रभावशाली है। वे एक “सुपरस्टार” की भांति जवाब देने की परीक्षा में नहीं पड़ते हैं। अपने जीवन के अंधकारमय और कष्ट भरे क्षणों में हमें शांत रहने की जरुरत है। हमें अपने में यह साहस करने की आवश्यकता है कि क्रोध के क्षणों में हम नम्रता को धारण करते हुए चुप रहें। नम्रता में हमारी खामोशी कमजोरी प्रतीत होती है और शैतान साहस करते हुए बाहर निकलता है। हमें शांति में बने रहते हुए येसु के समान उसका सामना करने की जरुरत है। येसु जानते हैं कि यह ईश्वर और दुनिया के राजकुमार के बीच का युद्ध है अतः हम तलवार न उठायें बल्कि विश्वास में सुदृढ़ बने रहें। यह ईश्वर का समय है वे हमारी ओर से लड़ने हेतु आते हैं। हम ईश्वर की माता के अंचल में अपने को सुरक्षित पाते हैं। वहीं ईश्वर हमारे जीवन के तूफानों को शांत करने हेतु आते और हम अपनी शांतिमय स्थिति के द्वारा दूसरों को आशा में बने रहने की शिक्षा देते हैं। यह हमारे जीवन में पवित्र तनाव और हमें की गई प्रतिज्ञा को जीने में मदद करता है जिसे हम येसु के क्रूस में पाते और उनके पुनरुत्थान की आशा में बने रहते हैं।

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15 April 2019, 16:18