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स्पेन के एक भाईचारा धर्मसंघ के सदस्यों से मुलाकात करते हुए संत पापा फ्राँसिस स्पेन के एक भाईचारा धर्मसंघ के सदस्यों से मुलाकात करते हुए संत पापा फ्राँसिस 

‘भाईचारा धर्मसंघ’ एकजुटता की पुष्टि करने वाला समुदाय है, संत पापा

संत पापा ने स्पेन के एक भाईचारा धर्मसंघ के सदस्यों का स्वागत किया, जो अपनी संस्था की 400वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। संत पापा ने उन्हें कलीसिया को गरीबों और हाशिए पर जीने वाले लोगों के प्रति खुले रहने हेतु प्रेरित किया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार 13 अप्रैल 2019 (वाटिकन न्यूज) :  "आप अपने को दूसरों के भाई कहते हैं, और इसलिए आप हमारे जीवन की मौलिक वास्तविकता को प्रकट करते हैं, कि हम सभी ईश्वर के बच्चे हैं।” संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार को वाटिकन में रिब्बोन की माता मरियम के ‘भाईचारा धर्मसंघ’ सदस्यों से मुलाकात के दौरान यह टिप्पणी की।

रिब्बोन की माता मरियम के ‘भाईचारा धर्मसंघ’ की स्थापना स्पेन के तोरतोसा शहर में हुई थी। संस्था की स्थापना के 400वी वर्षगांठ पर उन्होंने रोम की तीर्थयात्रा की। संत पापा ने कहा कि रोम संत पेत्रुस के कब्र का दर्शन उनके उतराधिकारी के साथ उनकी एकात्मकता को दर्शाता है।

विभाजन पर काबू पाएं

संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि "भाईचारा" शब्द का अर्थ है "भाइयों और बहनों का मिलन" और यह अपने सदस्यों को बांधने वाली एक संस्थागत एकता की ओर इशारा करती है।

संत पापा ने कहा, "हम जानते हैं कि भाई अक्सर बहस करते हैं और कई चीजों के लिए झगड़ पड़ते हैं।" "लेकिन ऐसा होते हुए भी वे जानते हैं कि भलाई के लिए अपनी खोज को जारी रखना है, जो आपस में शांति और सद्भाव को बनाये रखते हैं।”

सामंजस्य स्थापित करने में असफल होने से भाइयों और बहनों को पीड़ा सहनी पड़ती है।

एकजुटता का भाव

संत पापा ने कहा कि एक संस्था के सदस्य आपस में उदारता के बंधन को साझा करते हुए धर्मप्रांत में अपने धर्माध्यक्ष के साथ जुड़ जाते हैं। तथा धर्माध्यक्ष के माध्यम से वे परमाध्यक्ष (संत पापा) के साथ जुड़ जाते हैं।”  इस बंधन ने उनके जीवन को समृद्ध किया है और उन्हें "समाज में एकजुटता का एक आदर्श" होने के अपने मिशन को पूरा करने हेतु प्रेरित करता है।

गरीबों का स्वागत

संत पापा ने कहा कि ‘भाईचारा धर्मसंघ’ रिब्बोन की माता मरियम को समर्पित है। उन्हें माता मरियम का उदाहरण देते हुए कहा कि वे तोरतोसा धर्मप्रांत के गरीबों और हाशिए पर जीने वाले लोगों को हर तरह से मदद करने के लिए तत्पर रहें, ताकि गरीब भी पल्ली को अपना घर मान सकें तथा पल्ली रुपी परिवार का एक सदस्य बन सकें। अगर हम ऐसा कर पाते हैं तो यह मिशन बन जाता है और हम आपसी प्रेम और बंधुत्व में बढ़ते हैं। 

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13 April 2019, 14:54