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सि. यूजिनिया बोनेत्ती सि. यूजिनिया बोनेत्ती  

क्रूस रास्ता पर चिंतन

सि. यूजिनिया बोनेत्ती पवित्र शुक्रवार को कोलोसेयुम में होने वाले क्रूस रास्ता का चिंतन प्रस्तुत करती हैं। उनके द्वारा 14 स्थानों पर लिखित चिंतन मानव व्यापार, नाबालिकों की खरीद-बिक्री, देह-व्यापार, नारियों और प्रवासियों की झलक प्रस्तुत करती है।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार 19 अप्रैल 2019 (रेई) पवित्र शुक्रवार को हजारों शहीदों की यादगारी में संत पापा द्वारा रोम के कोलोसेयुम में किये जाने वाले क्रूस रास्ता की प्रार्थनाओं और चिंतन की रुप रेखा सि. यूजिनिया बोनेत्ती ने तैयारी की है।

सि. यूजिनिया बोनेत्ती कोनसोलाता प्रेरिताई धर्मसमाज की धर्मबहन है जो “स्लेभ्स नो मोर” (गुलामी अब और नहीं) संस्थान की अध्यक्षिका है। देह व्यापार का दंश झेल रहे लोगों के लिए कार्यरत सि. यूजिनिया ने अपनी चिंतन प्रार्थना में अपने अनुभव के आधार पर प्रवासी, मानव व्यापार के शिकार हुए दुःखित और पीड़ित लोगों की वेदनाओं को प्रस्तुत किया है।

गरीबों की पुकार को सुनना

पहले स्थान में, पिलातुस हमें उन लोगों के लिए प्रार्थना करने को प्रेरित करते हैं जो उच्च पदों में हैं, “हम गरीबों की पुकार सुने”, जो अपने स्वार्थ के कारण अपने पदों का दुरूपयोग करते हुए दूसरों को अपराधी घोषित करते हैं। येसु जो अपना क्रूस ढ़ोते हैं इस वर्तमान समय में क्रूसित हो रहे लोगों की ओर ध्यान देने हेतु निमंत्रण देते हैं, गृहविहीन लोग, युवा जो निराश हैं, प्रवासी जो अपने हाशिये पर जीवन व्यतीत करने हेतु विवश हैं। वे बच्चों जिन्हें अपने रुप-रंग के कारण समाज में भेदभाव का शिकार होना पड़ता है।

जरूरतमंदों की सुधि लेना

येसु की मरियम से भेंट, यहाँ हम उन माताओं को देखते हैं जो अपनी संतानों को यूरोप पलायन करने हेतु छोड़ देती  हैं इस आशे में कि उनके पारिवारिक जीवन को सहारा मिल सकें, जो की गम्भीर दरिद्रता की स्थिति में जीवनयापन करने को मजबूर हैं। उन बच्चों को जीवन के बदले बदनामी, घृणा और मृत्यु का शिकार होना पड़ता है। वहीं येसु जब पहली बार क्रूस के नीचे गिरते हैं तो हम वर्तमान समय की मानवीय कमजोरियों और तुष्टियों पर चिंतन करते हैं। सि. यूजिनिया अपने चिंतन में लिखती है कि हम कई बार जरूरतमंदों की सहायता करने से चूक जाते हैं। हम गरीबों को भूल जाते हैं। हम ईश्वर से निवेदन करें कि वे हम दूसरों के प्रति संवेदनशील बनाये जिससे हम दूसरों के दुःखों औऱ दर्द की घड़ी में उनका सहारा बन सकें।

मानव व्यापार के शिकार

क्रूस के रास्तें में, वे लिखती हैं कि हम बहुत सारे बच्चों को देखते हैं जो विद्लाय जाने में असक्षम हैं, जो समुद्री और जमीनी मार्ग पर दुराचार का शिकार होते हैं, जिनके जिस्मों की खरीद-बिक्री होती है। कितने ही नाबालिक हैं जिन्हें अपने बचपन की खुशी के अधिकारों से वंचित होना पड़ता है। मानव व्यापार के बारे में सि. यूजिनिया लिखती हैं कि हमें इस समस्या के प्रति उत्तरदायी होने की जरुरत है साथ ही हम अपनी ओर से इसके समाधान हेतु किस तरह का योगदान दे सकते हैं। आठवें साथ पर येसु का येरुसलेम की दुःखित नारियों से मिलन, आज नारियों को साहस और विश्वास के साथ आगे चलने का निमंत्रण देता है।   

फेंकने का संस्कृति

नवें स्थान जहाँ येसु तीसरी बार भारी क्रूस के नीचे गिरते हैं क्योंकि वे अपने में थंके-मांदे और अपमानित है हमारा ध्यान उन युवतियों की ओर कराता है जो गुलामों के बिक्रेताओं द्वारा गलियों में अपने शरीर को बिक्री करने के लिए बाध्य किये जाते हैं। वे नारियाँ अपने युवा शरीर का शोषण और हनन सहन नहीं कर पाती हैं वे कई रुपों में कचड़े की भांति फेंके जाने की संस्कृति का शिकार होती हैं।

शक्ति और धन रूपी मूर्तियाँ

येसु के बदन से उनके कपड़ो को खींचकर उतारा जाना हमें उन नाबालिकों को अपने सम्मान से नंगा किये जाने पर चिंतन करने को निमंत्रण देता है जो केवल बिक्री की वस्तु स्वरुप देखे जाते हैं। सि. यूजिनिया हमें धन और शक्ति रुपी क्षणिक मूर्तियों पर मनन करने का आहृवान करती हैं जिसके द्वारा हम अपने जीवन में सारी चीजों को प्राप्त करने का विश्वास रखते हैं। वहीं दूसरी ओर कुछ हैं जो अपने जीवन को जोखिम में डालते हुए भूमध्यसागर में लोगों के जीवन को बचाने हेतु अपने को समर्पित करते हैं।

येसु का मरण और पुनरूत्थान, आशा की ज्योति

क्रूस रास्त का अंतिम स्थान जहाँ येसु क्रब में रखे जाते हैं हमें वर्तमान समय के “नये क्रबों” की ओर देखने को विवश करता है, मरूभूमि औऱ समुद्र जहाँ हम स्त्री-पुरूष और बच्चों को बचा पाने में असमर्थ होते जो उनके लिए अंनत विश्राम का स्थल बन जाता है। वे लिखती हैं कि हम सहारा के मरूस्थल को हड्डियों से भरा हुए देख सकते हैं जबकि समुद्र लोगों के लिए जलसमाधि का स्थल बन जाता है।

क्रूस रास्ता पर लिखा गया, इस वर्ष की चिंतन-प्रार्थना येसु की मृत्यु पर टिकी मानवीय आशा के साथ समाप्त होती है, यहाँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय नेताओं का धन्य इस ओर आकृष्ट कराया जाता है कि वे सभी लोगों के जीवन की रक्षा हेतु अपने कार्य का निर्वाहन करें। येसु ख्रीस्त का पुनरूत्थान पूरे मानव समाज के लिए आशा, खुशी और नये जीवन, स्वीकृति और देश तथा धर्मों के बीच एकता-मिलन की ज्योति बने।

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19 April 2019, 15:07