बुधवारीय आमदर्शन में संत पापा बुधवारीय आमदर्शन में संत पापा  

हम दूसरों को क्षमा करें

संत पापा फ्रांसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह में दूसरे के पाप क्षमा करने पर बल दिया जो हमारे लिए ईश्वरीय कृपा का स्रोत बनती है।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार 24 अप्रैल 2019 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर वाटिकन संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में विश्व के विभिन्न देशों से आये हुए विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को “हे पिता हमारे” पर अपनी धर्मशिक्षा देने के पूर्व अभिवादन करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों सुप्रभात।

आज हम “हे पिता हमारे” प्रार्थना के पांचवें निवेदन पर अपनी धर्मशिक्षा माला को पूरा करते हैं, “जैसे हम भी अपने अपराधियों को क्षमा करते हैं”(मत्ती.6.12)। हम अपने को ईश्वर के समाने एक ऋणी व्यक्ति के रुप में पाते हैं क्योंकि हमने ईश्वर से सारी चीजों को, पृथ्वी और कृपा के रुप में पाया है। ईश्वर न केवल हमारे जीवन की चाह की वरन् उन्होंने हमें प्रेम किया है। कलीसिया में कोई “स्व-निर्मित व्यक्ति” नहीं है जिसने अपने आपको तैयार किया है। हम ईश्वर और दूसरों के प्रति ऋणी हैं जिन्होंने हमारे जीवन के लिए अनुकूल परिस्थितियों को तैयार किया है। हमारे जीवन की पहचान अच्छी चीजों से होती है जिसमें जीवन सर्वप्रथम आता है।

ईश्वर के प्रति हम ऋणी

संत पापा ने कहा कि वे जो प्रार्थना करते हैं वे “धन्यवाद” देना सीखते हैं। हम अपने जीवन में बहुत बार धन्यवाद कहना भूल जाते हैं। हम अपने में घमंडी हो जाते हैं। प्रार्थना करने वाले ईश्वर के प्रति कृतज्ञता के भाव अर्पित करते औऱ ईश्वर की दयालुता हेतु निवेदन करते हैं। हम अपनी ओर से कितना भी प्रयास करें हमें ईश्वर के प्रति सदैव ऋणी ही रहेंगे, हम उनके कर्ज को कभी अदा नहीं कर पायेंगे। वे हमें बेइंतहा प्रेम करते हैं। हम अपने जीवन में ख्रीस्तीय धर्मशिक्षा के अनुसार कितनी भी निष्ठा में जीने का प्रयास क्यों न करें, हमारे जीवन में कुछ बातें हमेशा रह जाती हैं जिसके लिए हमें ईश्वर से क्षमा मांगने की जरुरत है। हम अपने उन दिनों की याद करें जिन्हें हमने सुस्तीपन में व्यतीत किया, जब हमने अपने हृदय में दूसरों के प्रति शिकायत के भाव रखें...हमारे जीवन की ये अनुभूतियां हमें ईश्वर से क्षमा की याचना हेतु प्रेरित करते हैं, “हे प्रभु, पिता, हमारे अपराधों को क्षमा कर”। हम ईश्वर से क्षमा की याचना करते हैं।

संबंध अच्छा बनायें

अपने लम्बवत्त संबंध को ईश्वर हमें अपने भाई-बहनों के साथ संयुक्त करते हुए एक नये क्षैतिज संबंध में परिणत करने की मांग करते हैं। ईश्वर हमें सभों के संग एक अच्छा संबंध स्थापित करने का निमंत्रण देते हैं। यह हमारे लिए द्विपक्षीय निवेदन को व्यक्त करता है, हम अपने पापों के लिए ईश्वर से क्षमा की याचना करते हैं “जैसे” हम अपने मित्रों और अपने साथ रहने वाले पड़ोसियों के अपराधों को क्षमा करते हैं।

संत पापा ने कहा कि ख्रीस्तियों के रुप में हम इस बात से वाकिफ हैं कि ईश्वर सदा हमें और हमारे पापों को क्षमा करते हैं। इस संबंध में येसु अपने शिष्यों को शिक्षा देते हुए ईश्वर के करूणामय प्रेम का जिक्र करते हुए कहते हैं, “धर्मियों की अपेक्षा जिन्हें पश्चाताप की आवश्यकता नहीं है, एक पश्चातापी पापी के लिए स्वर्ग में अधिक आनन्द मनाया जायेगा।”(लूका. 15.7) सुसमाचार में ऐसा कुछ भी नहीं है जो हमें यह बतलाये कि ईश्वर सच्चे हृदय से क्षमा मांगने वालों का पुनर्अलिंगन नहीं करेंगे।

ईश्वरीय कृपाओं को बांटना

ईश्वर की कृपा हमें चुनौती देती है। वे जिन्हें ईश्वर की कृपा बहुतायत में मिली है उसे वे केवल अपने लिए न रखें वरन उसे खुले हृदय से दूसरों को बांटें है। जिन्होंने बहुतायत में मिला है उन्हें बहुतायत में देने की जरूरत है। संत मत्ती के सुसमाचार में “हे पिता हमारे” प्रार्थना के तुरंत बाद क्षमा की चर्चा अपने में कोई संयोग नहीं है। “यदि तुम दूसरों के अपराध क्षमा करोगे, तो तुम्हारा स्वर्गिक पिता भी तुम्हें क्षमा करेगा। परन्तु यदि तुम दूसरों को क्षमा नहीं करोगे, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता भी तुम्हारे अपराध क्षमा नहीं करेगा।” (मत्ती. 6.14-15) संत पापा ने कहा कि यह अपने में कठिन है, कई बार मैंने लोगों को यह कहते हुए सुना है, “मैं उस व्यक्ति को क्षमा नहीं करूंगा। उसके कार्य के लिए मैं उसे कभी माफ नहीं करूँगा।” उन्होंने कहा कि यदि आप क्षमा नहीं करते तो ईश्वर भी आपको क्षमा नहीं करेंगे। आप अपने लिए इस भांति द्वार को बंद कर देते हैं। हम विचार करें कि दूसरों को हम क्षमा करते हैं या नहीं। संत पापा ने एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि मैं जब एक दूसरे धर्माप्रांत में था एक पुरोहित ने मुझे दुःखी मन से यह बतलाया कि वह मृत्युशय्या में पड़ी एक महिला को रोगियों का संस्कार देने गया था। वह बीमार महिला बोलने में असमर्थ थी। पुरोहित ने उससे कहा, “क्या आप अपने पापों के लिए पश्चताप करती हैंॽ” उस महिला ने कहा,“हाँ” लेकिन मैं बोलने में असमर्थ हूँ”। पुरोहित ने कहा, “यह काफी है”। तब पुरोहित ने उससे कहा, “क्या आप दूसरों को क्षमा करती हैंॽ” मृत्यु की खाट में पड़े उस बीमारी महिला ने कहा, “नहीं”। वह पुरोहित अपने में बहुत दुःखित हुआ। यदि हम अपने जीवन में दूसरों को क्षमा नहीं करते तो ईश्वर हमें क्षमा नहीं करेंगे। “यदि हम दूसरों को क्षमा करने के योग्य नहीं हैं तो हम ईश्वर से शक्ति की याचना करें जिससे हमें दूसरों को क्षमा करने की शक्ति मिले”। संत पापा ने कहा कि यहाँ हम ईश्वर और अपने पड़ोसियों के बीच प्रेम के संबंध को देखते हैं। प्रेम हमसे प्रेम की मांग करता है, क्षमा हमसे क्षमा की मांग करती है। संत मत्ती का सुसमाचार इस क्षमाशीलता का उदहारण और भी ठोस रुप में हमारे लिए प्रस्तुत करता है। (मत्ती. 18.21-35)  

क्षमा नहीं करना दण्ड के भागीदार बनाता

संत पापा ने कहा कि किसी राजा का एक सेवक अपने स्वामी का बहुत बड़ा, दस हजार अशर्फियों का ऋणी था। वह उसे कभी चुका नहीं सकता था। लेकिन हम यहाँ एक चमत्कार देखते हैं राजा ने उसके सारे कर्ज माफ कर दिये। हम यहाँ आशातीत कृपा को देखते हैं। लेकिन वह सेवक तुरंत बाहर निकलते ही अपने सह-सेवक पर कुद्ध हो जाता है जो कि उसकी एक छोटी रकम, सौ दिनार का कर्जदार था। वह उस सह-सेवक के विनय की ओर ध्यान नहीं देता है। अतः स्वामी उसे वापस बुला कर सजा देता है। जब हम क्षमा करने की कोशिश नहीं करते तो हमें भी क्षमा नहीं किया जायेगा, यदि हम प्रेम करने की कोशिश नहीं करते तो हमें भी प्रेम नहीं किया जायेगे।

बुराई घुटन का कारण

संत पापा ने कहा कि येसु मानवीय जीवन में क्षमा की शक्ति को निर्देशित करते हैं। न्याय जीवन में सारी चीजें का समाधान नहीं करती है। हम अपने जीवन में बुराई के बदले प्रेम का चुनाव करते हुए कृपा की एक नई कहानी शुरू करनी है। बुराई बदला लेना जानती है यदि हम इसे न रोकें तो यह फैलती जाती और सारी दुनिया के लिए घुटन का कारण बनती है।

बदले के नियम को येसु प्रेम के नियम में बदलते हैं। ईश्वर ने जिन चीजों को मेरे लिए किया है मैं उन्हें दूसरों के लिए करूंगा। पास्का के इस सुन्दर सप्ताह में हम इस बात पर चिंतन करें। यदि हम क्षमा करने में अपने को असमर्थ पाते तो हम ईश्वर से क्षमा करने की शक्ति मांगें, क्योंकि यह एक कृपा है।

संत पापा ने कहा कि ईश्वर हर एक ख्रीस्तीय को विशेषकर जिनके विरुद्ध कोई बुराई की गई है एक अच्छी कहानी लिखने की कृपा देते हैं। हम अपने शब्दों, एक अलिंगन, एक मुस्कान के द्वारा अपने जीवन की कीमती चीजों को दूसरों के साथ बांट सकते हैं। हमारे जीवन में वह कीमती वस्तु कौन-सी हैॽ क्षमाशीलता, हम इसे भी दूसरों के संग बांटें।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

24 April 2019, 15:27