सन्त पापा फ्राँसिस मोरॉक्को में सन्त पापा फ्राँसिस मोरॉक्को में  

अतिवाद के बहिष्कार हेतु सन्त पापा ने की मोरक्को की प्रशंसा

मोरॉक्को में शनिवार को सन्त पापा फ्राँसिस ने अतिवाद के बहिष्कार के लिये देश की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उत्तरी अफ्रीकी राज्य मोरॉक्को ने मुसलमान जगत में संयम तथा धार्मिक सहिष्णुता के प्रकाशस्तम्भ रूप में अपनी पहचान बनाने का प्रयास किया है।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

राबात, रविवार, 31 मार्च 2019 (रेई, वाटिकन रेडियो): मोरॉक्को में शनिवार को सन्त पापा फ्राँसिस ने अतिवाद के बहिष्कार के लिये देश की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उत्तरी अफ्रीकी राज्य मोरॉक्को ने मुसलमान जगत में संयम तथा धार्मिक सहिष्णुता के प्रकाशस्तम्भ रूप में अपनी पहचान बनाने का प्रयास किया है।

मोरॉक्को धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक

मोरॉक्को की कुल आबादी तीन करोड़, साठ लाख, बावन हज़ार है जिसमें 93 प्रतिशत जनता इस्लाम धर्मानुयायी है। अन्य लोग यहूदी एवं बहाय एवं ख्रीस्तीय धर्मों के अनुयायी है। ख्रीस्तीयों में केवल 0.7 प्रतिशत काथलिक धर्मानुयायी हैं। हालांकि मोरॉक्को मुसलमान बहुल देश है तथापि, अन्य धर्मों के लोगों को धर्मपालन की स्वतंत्रता है। काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा फ्राँसिस शनिवार को मोरॉक्को की दो दिवसीय यात्रा के लिये रोम से रवाना हुए थे। इटली से बाहर यह उनकी 28वीं प्रेरितिक यात्रा है जिसके दौरान वे मोरॉक्को के सरकारी एवं कलीसियाई अधिकारियों से मुलाकात के साथ-साथ राष्ट्र के काथलिक धर्मानुयायियों को अपना सन्देश दे रहे हैं। उनकी दो दिवसीय यात्रा का उद्देश्य ख्रीस्तीयों एवं मुसलमानों के बीच सम्बन्धों के सुदृढ़ करना तथा मोरॉक्को में नित्य बढ़ते आप्रवासियों के प्रति एकात्मता का प्रदर्शन करना है।  

राबात अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अभिवादन के बाद शनिवार को सम्राट मुहम्मद और सन्त पापा फ्राँसिस अपने-अपने वाहनों पर सवार राजधानी राबात स्थित सम्राट मुहम्मद पंचम एवं सम्राट हसन द्वितीय के मकबरों पर निर्मित स्मारक पहुंचे। तदोपरान्त, हसन टावर कॉम्प्लेक्स की छतरियों के नीचे से सम्राट मुहम्मद के साथ निकलते सन्त पापा फ्राँसिस का, ऊलूलू की आवाज़ निकालती महिलाओं ने भावपूर्ण स्वागत किया।

धार्मिक कट्टरता का मुकाबला एकजुटता के साथ  

मोरॉक्को की राजधानी राबात के हसन टावर कॉम्प्लेक्स में मोरॉक्को के अधिकारियों के साथ साक्षात्कार में सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा, "सभी धर्मों के लोगों के लिये यह अनिवार्य है कि वे एकात्मता एवं एकजुटता के साथ धार्मिक कट्टरता और अतिवाद का मुकाबला करें।" उन्होंने धार्मिक अतिवाद को धर्म "खिलाफ अपराध" और स्वयं "ईश्वर के खिलाफ अपराध" निरूपित किया।

आप्रवासियों के प्रति एकात्मता के लिये मोरॉक्को की सराहना करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने सम्पूर्ण यूरोप को चेतावनी दी कि सीमाओं पर दीवारें तथा भय-मुग्धता लोगों को कहीं और बेहतर जीवन की तलाश करने के अधिकारों का उपयोग करने से नहीं रोकेंगे।

मोरक्को विगत वर्ष स्पेन से यूरोप की ओर जानेवाले अफ्रीकी उप-सहारा के आप्रवासियों के लिए मुख्य गंतव्य बना। आप्रवासियों के आगमन ने राज्य के संसाधनों पर दबाव डाला है और 28 अप्रैल के लिये निधार्रित यूरोपीय संघ के आम चुनाव की पृष्टभूमि में आप्रवासी-विरोधी भावनाओं को प्रश्रय दिया है।

शनिवार को ही सन्त पापा फ्राँसिस ने मोरॉक्को में विश्वव्यापी काथलिक लोकोपकारी संगठन कारितास द्वारा आप्रवासियों के लिये राबात शहर के हसन इलाके में संचालित केन्द्र के कुछेक आप्रवासियों से मुलाकात कर उनके साक्ष्य सुनें तथा अपना आशीर्वाद प्रदान किया। कारितास केन्द्र की भेंटकर सन्त पापा ने यूरोप के दरवाज़े पर दस्तक देनेवाले हज़ारों आप्रवासियों एवं शरणार्थियों की व्यथा को उजागर कर उनके प्रति एकात्मता को जागृत करने का प्रयास किया।

दीवारों का निर्माण समस्या का समाधान नहीं

मोरॉक्को के दार-एल माकज़ेन शाही महल में सम्राट मुहम्मद षष्टम से मुलाकात के अवसर पर सन्त पापा फ्रांसिस ने आशा व्यक्त की मोरॉक्को आप्रवासियों एवं शरण मांगनेवालों को सुरक्षा प्रदान करना जारी रखकर मानवता का प्रतीक बना रहेगा। सन्त पापा ने कहा, "दीवारों के निर्माण से, दूसरों के प्रति भय को भड़काकर तथा वैध रूप से अपने लिए बेहतर जीवन की आकांक्षा रखनेवालों के अधिकारों का हनन कर पलायन का मुद्दा कभी भी सुलझाया नहीं जा सकेगा।"

सन्त पापा फ्राँसिस की दो दिवसीय मोरॉक्को यात्रा के दौरान शनिवार को सम्राट मुहम्मद षष्टम संस्थान की भेंट यात्रा का प्रकाशस्तम्भ सिद्ध हुआ। मुहम्मद छठवाँ संस्थान ईमामों की ज्ञानपीठ है जो अफ्रीका, मध्यपूर्व एवं यूरोप के राष्ट्रों में अपने प्रचारकों को भेजकर इस्लाम को उदारवादी धर्म के रूप में विश्व के समक्ष रखने की दिशा में प्रयासरत है। तीन करोड़, साठ लाख की आबादी के साथ मोरॉक्को राज्य सुन्नी मुस्लिम बहुल देश है, जिसने, सन् 2004 में, काज़ाब्लांका पर हुए आतंकवादी हमले के उपरान्त रूढ़िवाद और चरमपंथ पर रोक लगाने के लिये अपनी धार्मिक एवं शैक्षिक नीतियों में सुधारों को अंजाम दिया है। 2004 के आतंकवादी हमले में 43 व्यक्तियों की हत्या हो गई थी।    

सन्त पापा फ्राँसिस ने सम्राट मुहम्मद षष्टम संस्थान की प्रशंसा की और कहा कि यह ज्ञानपीठ हिंसा और आतंकवाद को जन्म देनेवाले चरमपंथ और उसके सभी रूपों के विरुद्ध प्रभावशाली एवं ठोस प्रशिक्षण प्रदान करने का प्रयास करता है।

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31 March 2019, 12:14