अमरीकी यहूदी समिति के प्रतिनिधियों से मुलाकात करते संत पापा अमरीकी यहूदी समिति के प्रतिनिधियों से मुलाकात करते संत पापा 

महिलाएँ शांति एवं प्रेम के साथ विश्व का निर्माण करतीं, संत पापा

अमरीकी यहूदी समिति के प्रतिनिधियों से 8 मार्च को वाटिकन में एक मुलाकात के दौरान, संत पापा फ्राँसिस ने मानव परिवार के निर्माण हेतु शांति और प्रेम को बढ़ाने में महिलाओं के योगदान की याद की।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को रेखांकित करते हुए, एक ऐसे विश्व के निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला जो सभी का घर बन सकता है।

उन्होंने 40 प्रतिनिधियों को सम्बोधित कर कहा, "शांति और प्रेम बढ़ाने के अपने प्रयासों के द्वारा महिलाएँ दुनिया को सुन्दर बनातीं, उसकी रक्षा करतीं और उसे जीवित रखतीं हैं। वे नवीनीकरण की कृपा को लाती हैं, समावेशी मनोभाव को अपनातीं तथा अपने आपको समर्पित करने का साहस करती हैं।"  

महिलाएँ- शांति, प्रेम, परिवार

महिलाओं की भूमिका की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए संत पापा ने कहा कि महिलाओं  द्वारा उत्पन्न शांति, बढ़ती और माताओं की ममता में आलोकित होती है। इस प्रकार जब हम महिलाओं की ओर देखते हैं तब शांति की कल्पना साकार रूप लेती है। अतः उन्होंने महिलाओं पर विशेष ध्यान देने का आग्रह करते हुए कहा कि यदि हम भविष्य के महत्व पर ध्यान देते हैं, भविष्य की शांति की कल्पना करते हैं, तब हमें महिलाओं को स्थान देने की आवश्यकता है।

संत पापा फ्राँसिस ने अमरीकी यहूदी समिति के प्रतिनिधियों का ध्यान यहूदियों एवं ख्रीस्तियों के संबंध की ओर खींचा तथा कहा कि वे एक-दूसरे के धर्मों के सम्मान एवं सराहना द्वारा एक पारिवारिक भावना एवं आपसी मित्रता का माहौल उत्पन्न करें जो हमारा भविष्य होगा।  

यहूदी विरोधी

संत पापा ने विभिन्न देशों में यहूदी विरोधी हमलों एवं दुष्टता तथा रोष के माहौल पर चिंता जतायी। उन्होंने कहा कि एक विस्तृत और दुष्ट घृणा जड़ पकड़ रही है। इस तरह की परिस्थिति हमें जागने की चेतावनी देती है क्योंकि यहूदी-विरोधी के थोड़े से बोधगम्य रूप, शोआह जैसी मानवीय त्रासदी की ओर ले सकती है, जिसमें दो-तिहाई यूरोपीय यहूदियों का सफाया हो गया था।

संत पापा ने कहा कि ख्रीस्तियों की तरफ से किसी तरह का यहूदी विरोधी कार्य अपने ही मूल का तिरस्कार है, एक बड़ा विरोधाभास है। उन्होंने कहा, "हमें बच्चों में प्रेम एवं सम्मान की भावना भरने से कभी नहीं थकना चाहिए। इस दुनिया को एक माँ की दृष्टि से, शांति की नजर से देखा जाना चाहिए।"   

संत पापा ने गौर किया कि नफरत और असामाजिकता के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण उपकरण है अंतरधार्मिक वार्ता, जो शांति निर्माण के प्रति समर्पण, आपसी सम्मान, जीवन की सुरक्षा, धार्मिक स्वतंत्रता एवं सृष्टि की देखभाल को बढ़ावा देता है।

उदासीनता से बाहर निकलना

संत पापा ने कहा कि चूँकि यहूदियों एवं ख्रीस्तियों का एक आम समृद्ध आध्यात्मिक धरोहर है, वे एक साथ मिलकर अधिक अच्छाइयों को आगे ले सकते हैं। ऐसे समय में जब पश्चिम, सांसारिकता को अपना रहा है, यहूदियों और ख्रीस्तियों को एक साथ आने एवं मानवता के लिए स्पष्ट रूप से प्रकट ईश्वरीय प्रेम को फैलाने में एक-दूसरे का सहयोग करते हुए  उदासीनता को बढ़ने से रोकने के लिए सामीप्य के ठोस मनोभाव को आगे बढ़ाने की जरूरत है।  

काईन का उदाहरण देतु हुए संत पापा ने कहा कि उसने अपने भाई हाबिल को मार डाला। आज भी लोगों में दूरी है क्योंकि कई लोगों के पास बहुत कम धन है जबकि कुछ लोगों के पास बहुत अधिक। हम अपने सबसे दुर्बल भाई-बहनों की सहायता करने के लिए बुलाये गये हैं जो गरीब, कमजोर, बीमार, बच्चे एवं बूढ़े हैं।

युवा और वार्ता

संत पापा ने मानवता की सेवा में युवाओं की सहभागिता पर भी ध्यान दिया तथा कहा कि वे स्वप्न देखना चाहते हैं तथा नये विचारों की खोज करने के लिए खुले हैं। उन्होंने यहूदी-ख्रीस्तीय वार्ता में भावी पीढ़ी को प्रशिक्षित किये जाने पर भी जोर दिया तथा कहा कि राष्ट्रों में हिंसा को रोकने एवं सबके साथ मिलकर शांति के नये रास्तों को खोलने के लिए यह भी एक प्रभावशाली हथियार है।

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09 March 2019, 13:08