संत पापा फ्राँसिस और धर्माध्यक्ष डेविड संत पापा फ्राँसिस और धर्माध्यक्ष डेविड 

गैर-कानूनी अनुपस्थिति के मामले में धर्मसंघी जीवन के लिए नए नियम

संत पापा फ्राँसिस ने मंगलवार 26 मार्च को "मोतू प्रोप्रियो" स्वप्रेरणा लिखित प्रेरितिक पत्र “कम्युनिस वीता” (सामूदायिक जीवन) जारी किया, जिसके साथ कलीसिया के कानून संहिता के कुछ मानदंडों को बदल दिया गया है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार,27 मार्च 2019 (रेई) : संत पापा द्वारा स्वप्रेरणा से लिखित (मोतू प्रोप्रियो) ‘कम्युनिस वीता’ उन धर्मसंघियों के लिए कलीसिया के कानून संहिता में कुछ बदलाव स्थापित करता है, जो अपने समुदाय से दूर चले गए हैं और उन्हें ढूंढा नहीं जा सकता है। संत पापा द्वारा 19 मार्च को हस्ताक्षर किया गया नया नियम अगले 10 अप्रैल से लागू होगा।

"समुदाय में जीना धर्मसंघी जीवन का एक अनिवार्य तत्व है", संत पापा ने अपने प्रेरितिक पत्र जिसे मोतू प्रोप्रियो के रूप में प्रख्यापित किया गया है, जो अवैध और लंबे समय तक अनुपस्थिति के मामलों में संस्थानों से बर्खास्तगी के लिए सुपीरियर द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं में कुछ बदलाव करता है। जैसा कि कलीसिया का कानून संहिता में कहा गया है कि "धर्मसंघी को अपने स्वयं के समुदाय के घर में रहना चाहिए और सामान्य जीवन का पालन करना चाहिए। वह अपने सुपीरियर की अनुमति के बिना अनुपस्थित नहीं रह सकता है।" (कानून 665 §1 सीआइसी)

अनुपस्थित धर्मसंघी की खोज आवश्यक

संत पापा ने गौर किया कि, पिछले कुछ वर्षों के अनुभव से पता चला है कि धर्मसंघी के समुदाय से अवैध रूप से अनुपस्थित रहने से संबंधित परिस्थितियां उत्पन्न हुई हैं, जहां धर्मसंघी का पता नहीं लगाया जा सकता है। "इन मामलों में कलीसिया के कानून के कोड के अनुसार सुपीरियर को गैर-कानूनी रूप से अनुपस्थित धर्मसंघी की तलाश की आवश्यकता है ताकि वह उसे लौटने और अपने बुलाहट में दृढ़ रहने में मदद कर सके। संत पापा ने कहा कि धर्मसंघी को काफी तलाशने के बाद भी सुपीरियर उसका पता लगाने में सक्षम नहीं है, तो अनुपस्थित धर्मसंघी की कम से कम छह महीने की अवैध अनुपस्थिति के बाद धर्मसमाज से बर्खास्तगी की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं। संत पापा ने इस बात को रेखांकित किया कि जब धर्मसंघी की अनुपस्थिति के स्थान और समय को नजरअंदाज कर दिया जाता है, तो वास्तविक स्थिति में कानूनी निश्चितता देना मुश्किल हो जाता है।

12 महीने  बाद समुदाय से निलम्बित करना आवश्यक 

इसलिए धर्मसंघी के "गैर-कानूनी रूप से समुदाय में अनुपस्थिति होने के बावजूद उसे फिर से वापस समुदाय में लौटने और अपने बुलाहट में बने रहने के लिए के उद्देश्य से कम से कम बारह महीनों के निरंतर अनुपस्थिति में बर्खास्तगी जरुरी है। कलीसिया की कानून की संहिता के 694 का कोड 1, जो पहले से ही धर्मसंघी, "जो काथलिक धर्म में विश्वास करना छोड़ दिया है" या "शादी का अनुबंध किया है या भले ही केवल सामान्य नागरिक हो," के लिए बर्खास्तगी का प्रावधान करता है। "ऐसे मामलों में, संत पापा कहते हैं, कि धर्मसंघ के सुपीरियर जेनरल को अपने सलाहकारों के साथ बिना देरी के, सबूत इकट्ठा करना चाहिए, इस तथ्य की घोषणा जारी करना चाहिए कि बर्खास्तगी कानूनी रूप से वैध है।" लंबे समय तक नाजायज अनुपस्थिति के विशिष्ट मामले में, सुपीरियर द्वारा जारी की गई बर्खास्तगी की घोषणा, मोतू प्रोप्रियो में कहा गया है, कि संत पापा द्वारा "पुष्टि की जानी चाहिए", जबकि "धर्मप्रांत के अधीनस्थ संस्थानों के लिए" पुष्टि के अधिकार से संबंधित मुख्य कार्यालय धर्माध्यक्ष द्वारा पुष्टि की जानी चाहिए।" कलीसिया का कानून संहिता 729, जो सेकुलर संस्थानों के जीवन को नियंत्रित करता है, जिनके सदस्यों के लिए अवैध अनुपस्थिति बर्खास्तगी का नियम लागू नहीं होता है।

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27 March 2019, 15:44