सहयोग का चमत्कार रिश्तों पर, 'लाभ पर नहीं, संत पापा फ्राँसिस
माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी,शनिवार 16 मार्च 2019 (रेई) : वाटिकन के संत पॉल छठे सभागार में संत पापा फ्राँसिस ने इटली के विभिन्न क्षेत्रों से आये सहकारी समितियों के परिसंघ के करीब सात हजार सदस्यों के साथ मुलाकात की, जो अपने संघ की स्थापना के शतवर्षीय जुबली के अवसर पर संत पापा का आशीर्वाद लेने आये हुए हैं।
संत पापा ने वाटिकन में सभी का तहे दिल से स्वागत करते हुए, परिसंघ के अध्यक्ष को संघ द्वारा किये गये सौ वर्षो कार्यों और प्रतिबद्धता को साझा करने हेतु धन्यवाद दिया। संत पापा ने कहा कि संत पापा लियो तेरहवें के विश्व प्रेरितिक पत्र “रेरुम नोवारुम” में की गई अपील से प्रेरित होकर यह संघ शुरु किया गया था। संत पापा लियो तेरहवें ने कलीसिया के सामाजिक सिद्धांत पर अपने विचारों को व्यक्त किया, कि सुसमाचार को केवल कुछ ही लोगों के लिए सीमित नहीं रखा जा सकता या कुछ ही समाज के लोगों की भलाई हो परंतु सुसमाचार सभी समाज और सभी लोगों के सर्वांगीण विकास के लिए हो। जब संत पापा लियो ने प्रेरितिक पत्र लिखा, उस समय मजदूर और गरीब लोग अनेक तरह की कठिनाइयों और अन्याय का सामना कर रहे थे। संत पापा लेयो तेरहवें के वचनों से प्रेरित होकर आपके संघ ने समाज में शांति, न्याय और सभी को समानता का हक दिलाने के लिए अथक प्रयास किया है।
संत पापा ने कहा कि आज भी कलीसिया को सचाई बताने के साथ-साथ ऐसे पुरुषों और महिलाओं की जरूरत है जो पुरोहितों के उपदेश को ठोस रुप दे सकें। सुसमाचार के संदेश को ठोस रुप देने के लए संत पापा ने उनके सौ वर्षों की प्रतिबद्धता के लिए पुनः उन्हें धन्यवाद दिया।
सहकारी कार्य
कलीसिया के सामाजिक सिद्धांत से प्रेरित आपका सहकारी मॉडल सही है और यह सामूहिकता और सांख्यिकी की विशिष्ट प्रवृत्ति को ठीक करता है, साथ ही व्यक्तिवाद और स्वार्थ के प्रलोभनों पर अंकुश लगाता है। वास्तव में, पूंजीवादी कार्य मुख्य रूप से व्यक्तिगत लाभ का लक्ष्य रखता है, जबकि सहकारी कार्य का मुख्य उद्देश्य सामाजिक आवश्यकताओं की संतुलित और आनुपातिक संतुष्टि है। निश्चित रूप से सहकारी समितियों को भी अपनी आर्थिक गतिविधि में प्रभावी और कुशल बनाने के लिए मुनाफे का उत्पादन करना होगा, लेकिन आपसी एकजुटता की दृष्टि को खोए बिना। सहकारी कार्य सुसमाचार के प्रकाश में अपने भविष्य के कार्य और सामाजिक गवाह को आगे बढ़ाता है।
सच्चा धन रिश्तों में
संत पापा ने कहा कि हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि रिश्तों पर आधारित यह सहयोग दुनिया की मानसिकता के खिलाफ जाती है। अगर हम यह जान पाते कि समाज में खुशीपूर्वक रहने के लिए हमारी सच्ची सम्पत्ति रिश्ते हैं, भौतिक वस्तुएँ नहीं, तो हम एक ऐसे समाज में रहने और जीने के लिए वैकल्पिक तरीके खोजते जो पैसे के देवता द्वारा शासित नहीं है और जो उन्हें अमानवीय और अन्यायपूर्ण कार्य करने हेतु मजबूर नहीं करता है।
महिलाएँ और सहकारी परियोजनाएँ
संत पापा ने समाज की उन महिलाओं की ओर उनका ध्यान दिलाया जो गरीबी, सामाजिक और सांस्कृतिक बहिष्कार का बोझ उठाती हैं। महिलाओं के विषय को सहकारी क्षेत्र में भविष्य की परियोजनाओं की प्राथमिकताओं में से एक होना चाहिए। महिलाओं के विचार को विशेषाधिकार प्राप्त करने के दृष्टिकोण के रूप में माना जाए, ताकि वह न केवल सामरिक बल्कि मानवीय भी हो। महिला सभी के चेहरे पर प्यार की भावना को बेहतर देखती है। बहुधा हम पुरुष जिसे योजना के रुप में देखते हैं महिलाएं उसे ठोस रुप से व्यवहार में लाना जानती हैं।
अंत में संत पापा ने उनके कार्यों को जारी रखने और नये विकल्पों की खोज करते हुए नई प्रतिबद्धताओं के लिए शुभकामनाएं दी और सुसमाचार रुपी जड़ के प्रति विश्वस्त बने रहने हेतु प्रेरित किया।
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