राखबुध को लोगों के माथे पर राख से क्रूस का चिन्ह बनाते संत पापा फ्राँसिस राखबुध को लोगों के माथे पर राख से क्रूस का चिन्ह बनाते संत पापा फ्राँसिस  

संत पापा ने चालीसा काल की शुरूआत की

संत पापा फ्राँसिस ने रोम के प्राचीन महागिरजाघर संत सबीना में 6 मार्च को राखबुध की धर्मविधि सम्पन्न करते हुए चालीसा काल की शुरूआत की।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 7 मार्च 2019 (रेई)˸ चालीसा काल पश्चाताप, उपवास एवं प्रार्थना करने का समय है जिसकी शुरूआत राखबुध से की जाती है। राखबुध के दिन विश्वभर के ख्रीस्तीय अपने माथे पर पुरोहितों द्वारा राख से क्रूस चिन्ह को धारण करते हैं। संत पापा फ्राँसिस ने कलीसिया की एक प्राचीन परम्परा का पालन करते हुए राखबुध की इस धर्मविधि को सम्पन्न किया।

राखबुध की शाम, संत पापा ने रोम के संत अनसेलेम महागिरजाघर से संत सबीना महागिरजाघर की ओर पश्चाताप की शोभायात्रा की। संत अनसेलेम महागिरजाघर में प्रार्थना करने के बाद शोभायात्रा शुरू की गयी थी। शोभायात्रा के दौरान संतों की स्तुति विन्ती की गयी। सभी संतों एवं शहीदों से अगले 40 दिनों की यात्रा के लिए सहायता की याचना की गयी।

संत सबीना महागिरजाघर पहुँचकर संत पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तयाग अर्पित किया। इस तरह उन्होंने "स्टेशन गिरजाघरों" का दौरा करते हुए चालीसा काल की शुरूआत की।  

स्टेशन (पड़ाव) गिरजाघर

"स्टेशन गिरजाघर" के दर्शन की परम्परा अत्यन्त पुरानी है जब आरम्भिक ख्रीस्तीय काटाकोम्ब में ख्रीस्तयाग अर्पित करते थे जहाँ शहीद ख्रीस्तियों को दफनाया जाता था। चौथी शताब्दी में यह संत पापा के लिए एक परम्परा बन गयी थी कि वे चालीसा के दौरान रोम के विभिन्न हिस्सों के गिरजाघर का दौरा कर, अपने धर्मप्रांत के विश्वाससयों के साथ ख्रीस्तयाग अर्पित करते थे।

वर्तमान में स्टेशन गिरजाघरों की शुरूआत संत सबीना से होती है जिसकी स्थापना संत पापा ग्रेगोरी महान ने छटवीं शताब्दी में की थी। हर पड़ाव में उस गिरजाघर के शहीद के पवित्र अवशेष का भी दर्शन किया जाता है।

संत सबीना महागिरजाघर

संत सबीना महागिरजाघर को प्रथम पड़ाव गिरजाघर के रूप में क्यों चुना गया है यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। एक सिद्धांत के अनुसार कहा जाता है कि रोम के अभेनटीन पर्वत की चोटी पर बने गिरजाघर में चढ़ना, येसु का गोलगोथा पहाड़ पर चढ़ने का प्रतीक है।  

गिरजाघर ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण नहीं है। यह उसी जगह पर निर्मित है जहाँ दूसरी शताब्दी में शहीद संत सबीना का घर था। उनका घर कई "घरेलू गिरजाघरों" में से एक था तथा रोमी सम्राट द्वारा ख्रीस्तियों के अत्याचार के दौरान प्रयोग किया जाता था। बाद में यह महागिरजाघर में बदल गया तथा आज वहाँ संत सबीना का पवित्र अवशेष सुरक्षित है।    

रोम के विभिन्न गिरजाघरों में संतों के पवित्र अवशेष रखे गये हैं जिनका दर्शन कर तीर्थयात्री संतों की मध्यस्थता द्वारा चालीस दिनों तक प्रार्थना एवं उपवास करते एवं अपने विश्वास में सुदृढ़ होते हैं जिसके अंत में पास्का महापर्व मनाया जाता है।

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07 March 2019, 16:03