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सिस्टर मरिया कोनचेत्ता को संत पापा सम्मानित करते हुए सिस्टर मरिया कोनचेत्ता को संत पापा सम्मानित करते हुए 

85 वर्षीय सिस्टर मरिया कोनचेत्ता को संत पापा का सम्मान

60 वर्षों से अफ्रीका मिशन में संलग्न 85 वर्षीय सरदेन्या (इटली) की सिस्टर मरिया कोनचेत्ता की गवाही, हम सभी को अपने स्थानों में सुसमाचार को जीने में मदद करे।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार, 27 मार्च 2019 (रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के दौरान विश्वासियों के समक्ष 60 वर्षों से अफ्रीका में कार्यरत मिशनरी सिस्टर मरिया कोनचेत्ता एसु को प्रस्तुत किया और कहा कि वे खुशी से सिस्टर मरिया कोनचेत्ता एसु का परिचय देना चाहते हैं, 85 वर्षीय सरदेन्या की सिस्टर मरिया कोनचेत्ता जेनोनी के संत जोसेफ धर्मसमाज की सदस्य हैं।

संत पापा ने विशेष रुप से उसे प्रस्तुत करने का वजह बताते हुए कहा कि उसने 2015 में दया का वर्ष घोषित करने के दौरान बंगुई में सिस्टर मरिया से मुलाकात की थी। सिस्टर ने बताया कि वे (मिड वाइफ) दाई का काम करती हैं और करीब 3000 बच्चों को इस दुनिया में लाने हेतु मदद की हैं। 85 वर्ष की उम्र में भी वे कानोआ में कांगो से बंगुई चीजें खरीदने आई थी।  

संत पापा ने कहा, “इन दिनों में वे अपनी बहनों से मिलने रोम आई और आज वे अपनी सुपीरियर के साथ आमदर्शन समारोह में आई, तो मैंने सोचा कि मैं इस अवसर पर उसे मिशनरी गवाही देने हेतु उन्हें धन्यवाद दूँ!”  

संत पापा ने सिस्टर मरिया को सममान पदक देते हुए कहा, “प्रिय बहन, मेरी ओर से और कलीसिया की ओर से, मैं आपको यह सम्मान प्रदान करता हूँ। यह हमारे स्नेह और "धन्यवाद" का एक संकेत है जो आपने अफ्रीकी बहनों और भाइयों के बीच, बच्चों, माताओं और परिवारों की सेवा की है।”

साथ ही, संत पापा ने उन सभी मिश्नरियों, पुरेहितों धर्मबहनों और लोक धर्मियों के प्रति अपना आभार व्यक्त किया  जो दुनिया के हर क्षेत्र में ईश्वर के राज्य का बीज बो रहे हैं। संत पापा ने उनके मिश्नरी कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा, “आप ईश्वर के वचन को लोगों तक पहुँचाने में अपने जीवन को ‘स्वाहा’ कर देते हैं और यह दुनिया आप के बारे कुछ भी नहीं जानती है क्योंकि आप अखबारों की सुर्खियों में नहीं रहते।”  संत पापा ने याद किया कि ब्राजील धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष कार्डिनल क्लाउदियो ह्यूम्स ने एक बार कहा था कि वे अक्सर अमाजोनिया के शहरों और गांवों का दौरा करते हैं। वे कब्रिस्तान में मिशनरियों की कब्रों को देखने भी जाते हैं बहुत सारे युवा मिशनरी ऐसे रोग का शिकार हो जाते हैं क्योंकि उनके पास एंटी बायोटिक्स दवाइयाँ नहीं रहती हैं। कार्डिनल ह्यूम्स ने मुझसे कहा था, "वे सभी संत बनने के लायक हैं", क्योंकि उन्होंने दूसरों की सेवा में जीवन "स्वाहा" कर दिया है।

संत पापा ने कहा कि सिस्टर मरिया अपना मिशन जारी रखने के लिए अफ्रीका लौट जाएंगी। हम उनके लिए प्रार्थना करें साथ ही उनका उदाहरण हम सभी को सुसमाचार को जीने में मदद करे।

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27 March 2019, 15:37