देवदूत प्रार्थना के दौरान संत पापा देवदूत प्रार्थना के दौरान संत पापा  

प्रार्थना हमें रूपान्तरित करता है, संत पापा

संत पापा फ्राँसिस ने अपने 17 मार्च के रविवारीय देवदूत में कहा कि प्रार्थना हमारे जीवन को रूपान्तरित करता है।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 18 मार्च 2019 (रेई): संत पापा फ्राँसिस ने 17 मार्च को, संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में देवदूत प्रार्थना हेतु जमा हुए हज़ारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को  संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाई और बहनो, सुप्रभात।

चालीसा के द्वितीय सप्ताह में माता कलीसिया हमें येसु के रुपान्तरण पर चिंतन करने का निमंत्रण देती है जहाँ येसु अपने पुनरूत्थान की पूर्वाअनुभूति अपने शिष्यों पेत्रुस, याकूब और योहन को देते हैं। सुसमाचार लेखक संत लूकस इसका जिक्र हम अपने सुसमाचार के अध्याय 9 के पद संख्याएं 28-36 में करते हैं जहाँ येसु का रुपान्तरण पर्वत में होता है जो ज्योति का स्थल है। यह वह अति मनोरम अनुभूति है जिसे येसु अपने तीन शिष्यों के लिए सुरक्षित रखते हैं। शिष्य अपने स्वामी के साथ पर्वत के ऊपर जाते हैं जहाँ वे उन्हें प्रार्थना में लीन पाते हैं और एक निश्चित समय के बात उनके “चेहरे का स्वरुप बदल” जाता है। उन्हें अपने स्वामी को रोज दिन के जीवन में सधारण रुप में देखा था अतः उस नये रुप को देखकर, जो उनके सम्पूर्ण व्यक्तित्व का अंग था, वे अपने में आश्चर्यचकित हो जाते हैं। येसु के अलग-बगल मूसा और एलियस का प्रकट होना जो येसु के आने वाले “निर्गमन” की चर्चा करते हैं, जो उनकी मृत्यु और पुनरुत्थान की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट कराता है। यह ख्रीस्त के पास्का का पूर्वाभास है। पेत्रुस आनन्द विभोर हो कर कहता है, “प्रभु हमारा यहाँ होना कितना अच्छा है।” वह अपने में इस बात का अनुभव करता है कि कृपा का यह पल अपने में थम जाये।

येसु के रुपान्तरण की सच्चाई

येसु का रुपान्तरण उनके प्रेरितिक कार्य के उस अवधि में होता है जब वे उनसे अपने घोर दुःख उठाने, मारे जाने और तीन दिनों बाद पुनर्जीवित होने की चर्चा करते हैं। येसु इस बात से अवगत हैं कि उनके शिष्य- क्रूस की सच्चाई, उनके मृत्यु को स्वीकार नहीं करेंगे, अतः वे उन्हें अपने जीवन की इस हकीकत, दुःखभोग के अपमान और क्रूस पर अपने मरण की बात को समझने हेतु तैयार करते हैं। वे उन्हें उस बात को समझाना चाहते हैं कि किस तरह पिता उन्हें मृत्यु से पुनर्जीवित करते हुए अपनी माहिता में स्थापित करना चाहते हैं। येसु उन्हें यह भी बतलाना चाहते हैं कि उनके शिष्यों का मार्ग भी उसी तरह होगा, जब तक कोई अपना क्रूस उठाकर उनके पीछे न चले, उनके मार्ग में न चले तो वह अनंत जीवन में प्रवेश नहीं कर सकता है। संत पापा ने कहा कि हममें से प्रत्येक जन का अपना-अपना क्रूस है। येसु हमें इस बात को बतलाते हैं कि पुनरूत्थान की यात्रा अपने में सुन्दर है जहाँ हम अपना क्रूस ढ़ोकर आगे चलने हेतु बुलाये जाते हैं।

दुःखों का मर्म

संत पापा कहते हैं कि येसु का रुपान्तरण ख्रीस्तीय जीवन में दुःखों के मर्म को स्पष्ट करता है। दुःखों के दौर से होकर गुजरना हमारे लिए स्वपीड़नकामुकता नहीं बल्कि यह आवश्यक लेकिन क्षणिक यात्रा है। हम अपने जीवन में उस मुकाम तक पहुंचने को बुलाये गये हैं जहाँ हम येसु ख्रीस्त की तरह अपने को रुपान्तरित पायेंगे क्योंकि ख्रीस्त में हमारे लिए मुक्ति, अनंत आनन्द और ईश्वर का अंतहीन प्रेम है। इस तरह येसु अपनी महिमा को प्रकट करते हुए हमें इस बात का आश्वसन देते हैं कि हमारा क्रूस, दुःख-तकलीफ और कठिनाइयां जिन में हमारा जीवन उलझा रहता है येसु के पास्का में अपनी सुलझता को प्राप्त करेगा। संत पापा ने कहा, “अतः चालीसा की अवधि में हम भी येसु के साथ पर्वत के ऊपर जाते हैं। लेकिन यह कैसे होता हैॽ यह प्रार्थना के माध्यम होता है। हम अपनी प्रार्थनाओं में येसु के साथ पर्वत के ऊपर जाते हैं, हमारी मौन प्रार्थना, हमारे हृदय की प्रार्थनाएं, प्रार्थनाएं जहाँ हम येसु को खोजते हैं। हम रोजदिन अपना कुछ समय मनन-चिंतन में व्यतीत करते, हम अपनी आखें उनकी ओर उठाते हुए अपने जीवन को उनकी आशीष और ज्योति से प्रकाशित होने देते हैं।

प्रार्थना रुपान्तर का कारण

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि वास्तव में संत लूकस इस बात पर जोर देते हैं कि येसु का रुपान्तर उस समय हुआ जब वे “प्रार्थना में लीन” थे। वे अपने पिता से एक होकर वार्ता कर रहे थे। उनकी इस प्रार्थना में हम संहिता के नियमों और नबियों को ध्वनित होता हुआ पाते हैं जिन्हें हम मूसा और एलियस के रुप में देखते हैं। इस भांति प्रिय भाइयों एवं बहनों संत पापा ने कहा कि येसु ख्रीस्त और पवित्र आत्मा संग हमारी प्रार्थना आंतरिक रुप में हमें रुपान्तरित करती जिसके फलस्वरूप हम दूसरों को और अपने इर्दगिर्द के सारे लोगों को प्रकाशमान करते हैं। उन्होंने कहा कि हम अपने जीवन में कितनी बार उन लोगों से मुलाकात करते हैं जो अपने में ईश्वर की कृपा से भर दिये गये हैं जो उनकी आंखों में चमकता है, जो अपने में देवदीप्यमान लगते हैं। वे अपने में प्रार्थनामय जीवनयापन करते और प्रार्थना उनके जीवन को प्रकाशित करता है। हम सभी पवित्र आत्मा द्वारा अपने जीवन में प्रकाशित किये जाते हैं।

हम चालीसा की अपनी यात्रा को आनंदमय ढ़ग से जारी रखें। हम अपने जीवन में प्रार्थना और ईश्वर के वचनों को स्थान दें जो धर्मविधि के द्वारा इन दिनों बहुतायत में हमें दिया जा रहा है। माता मरियम हमें अपने जीवन में येसु के संग संयुक्त रहने की शिक्षा देती हैं  यद्यपित हम उनकी बातों को नहीं समझ रहे होते हैं क्योंकि उनके संग रहने में ही हम उनकी महिमा के दर्शन कर पायेंगे। इतना कहने के बाद संत पापा फ्रांसिस ने विश्वासियों और तीर्थयात्रियों के संग देवदूत प्रार्थना का पाठ किया और सभों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।

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18 March 2019, 15:54