खोज

संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस 

संत पापा फ्राँसिस की सालगिरह पर महत्वपूर्ण बातों पर एक झलक

काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष संत पापा फ्राँसिस 13 मार्च को अपने परमाध्यक्षीय काल के 6 साल पूरा करेंगे।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

संत पापा चुने जाने की छटवीं सालगिराह तक संत पापा फ्राँसिस ने कई महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय यात्राएँ की हैं। उन्होंने दो धर्माध्यक्षीय धर्मसभाओं का नेतृत्व किया है, नाबालिगों की सुरक्षा हेतु सभा का आयोजन किया एवं अमेजन में विशेष धर्माध्यक्षीय धर्मसभा में भी वे भाग लेने वाले हैं जिसका समापन वाटिकन में आगामी अक्टूबर माह में किया जाएगा।  

उनकी हाल की यात्राओं में सबसे खास यात्रा थी संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा, जहाँ उन्होंने अल अजहर के ग्रैंड ईमाम के साथ संयुक्त घोषणा पर हस्ताक्षर किया जो एक ऐसा दस्तावेज है जिससे उम्मीद की जा रही है कि धार्मिक स्वतंत्रता के क्षेत्र में अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे। बुल्गारिया एवं रोमानिया में आगामी प्रेरितिक यात्रा में ख्रीस्तीय एकतावर्धक वार्ता पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

जापान में भी संत पापा की यात्रा की उम्मीद की जा रही है किन्तु यह अभी तक आधिकारिक रूप से घोषित नहीं किया गया है। लोगों की आशा है कि संत पापा वहाँ परमाणु बम के विनाश की याद करेंगे तथा वर्तमान एवं भविष्य में इससे बचने की सलाह देंगे।   

संत पापा फ्राँसिस के कार्यकाल पर दृष्टि डालते हुए हम पिछले साल की उन घटनाओं को नहीं भूल सकते, जिसमें यौन दुराचार के अपराध के कारण पूर्व प्रेरितिक राजदूत कार्लो मारियो विगनो के साथ उन्हें आंतरिक विभाजन का सामना करना पड़ा था, जब मैकरिक के मामले पर कार्रवाई चल रही थी। इन सभी परिस्थितियों के कारण रोम के धर्माध्यक्ष ने विश्व के सभी विश्वासियों से अक्टूबर माह में हरेक दिन रोजरी प्रार्थना करने एवं संत मिखाएल महादूत की मध्यस्थता द्वारा बुराई से कलीसिया की रक्षा करने हेतु प्रार्थना की मांग की थी। कलीसिया के इतिहास में इस तरह की अभूतपूर्व मांग हाल के वर्षों में नहीं की गयी थी। उन्होंने कलीसिया की एकता के लिए भी प्रार्थना की मांग की थी। संत पापा फ्राँसिस ने ही स्थिति की गंभीरता को स्पष्ट किया तथा कहा कि एकता में आगे बढ़ने के लिए केवल मानव उपाय काफी नहीं है।

पुनः संत पापा ने स्मरण दिलाया है कि कलीसिया सुपर नायकों (सुपर संत पापाओं) से नहीं बनी है और न ही मानवीय शक्तियों एवं कार्यों पर आगे बढ़ती है। वह जानती है कि दुनिया में बुराई का प्रभाव है और उससे बचने के लिए हमें ऊपर से सहायता पाने की आवश्यकता है। संत पापा यह भी याद दिलाते हैं कि ऐसा कहने का अर्थ यह नहीं है कि हम अपने व्यक्तिगत जिम्मेदारियों को कम कर दें अथवा संस्थाओं की जिम्मेदारियों को सीमित करें बल्कि उन्हें उनकी वास्तविक परिस्थिति में रखें।  

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

12 March 2019, 17:24