आईएफएडी की सभा को सम्बोधित करते संत पापा आईएफएडी की सभा को सम्बोधित करते संत पापा 

तकनीकी का प्रयोग लोगों की सेवा में

संत पापा फ्राँसिस ने 14 फरवरी को कृषि विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय कोष के परिषद (आईएफएडी)की 42वीं वार्षिक सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर राज्य के प्रमुख, सरकार के मंत्री तथा नीति एवं विकास के नेताओं को सम्बोधित किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

कृषि विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय कोष का 42वां सम्मेलन रोम स्थित फाओ के मुख्यालय में 14-15 फरवरी 2019 को आयोजित की गयी है।

इस वर्ष इस सभा की विषयवस्तु है, "ग्रामीण नवाचार और उद्यमिता"।

आईएफएडी द्वारा ग्रामीण लोगों पर ध्यान

आईएफएडी ने 40 वर्षों तक ग्रामीण लोगों पर ध्यान दिया है, उनकी गरीबी कम करने, खाद्य सुरक्षा बढ़ाने, पोषण में सुधार लाने और सुधार में मजबूती लाने का प्रयास किया है। सन् 1978 से ही उसने 20.4 बिलियन डॉलर प्रदान किया है, परियोजनाओं के लिए कम ब्याज पर लोन करीब 480 मिलियन लोगों को दिया है।

आईएफएडी एक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान और संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है जो रोम में स्थित है।

आईएफएडी सबसे गरीब लोगों की सेवा

संत पापा ने कृषि विकास हेतु अंतरराष्ट्रीय फंड के कार्यकर्ताओं को सम्बोधित कर आईएफएडी के अध्यक्ष को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, "आप पृथ्वी पर सबसे गरीब लोगों की सेवा में संलग्न हैं। ऐसे लोग अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं जो बड़े शहरों से दूर होता और उनकी स्थिति कष्टमय एवं दुखद होती है।"

संत पापा ने कहा, "आपको याद करते हुए मेरे मन में दो शब्द आते हैं पहला, "धन्यवाद"। उन्होंने कहा कि वे ईश्वर को उनकी सेवा के लिए धन्यवाद देते हैं क्योंकि वे विश्व में भूख एवं परेशानी के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज के समय में जब कुछ लोगों के पास बहुत अधिक धन है, अधिकतर लोगों के पास बहुत कम साधन है। कई लोगों के पास खाने के लिए भोजन नहीं है जबकि कुछ लोग बहुत अधिक समृद्धि में जी रहे हैं। इस प्रकार असमानता का यह विकृत वर्तमान मानवता के भविष्य हेतु विनाशकारी है। संत पापा ने उन्हें धन्यवाद देते हुए कहा कि वे वर्तमान की इस स्थिति के खिलाफ सोचते एवं कार्य करते हैं। उन्होंने उनके कार्यों की तुलना पेड़ की जड़ से की जो जमीन के अंदर छिपा हुआ होता है किन्तु वह पूरे पेड़ को पोषित करता है।

कार्य को नवीकृत समर्पण के साथ जारी रखना आवश्यक

संत पापा ने दूसरा शब्द "अग्रसर" बतलाया, अर्थात् कार्य को नवीकृत समर्पण के साथ जारी रखने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बिना थके, निराश हुए एवं त्याग दिये बिना उसे समुद्र में एक बूंद समझकर करते रहने की आवश्यकता है। इस तरह, निराशावाद, मध्यस्थता और अभ्यस्तता के खतरे दूर हो जाते हैं, और व्यक्ति दिन-प्रतिदिन छोटे-छोटे कामों में भी उत्साह उत्पन्न कर सकता है। संत पापा ने कहा कि उत्साह शब्द बहुत सुन्दर है हम इसे इस तरह भी समझ सकते हैं कि हम जो कार्य करते हैं उसमें ईश्वर को भी स्थान देना क्योंकि ईश्वर भलाई करने से कभी नहीं थकते। वे हमेशा आशा प्रदान करते हैं। संत पापा ने कहा कि प्रार्थना हममें पुनः ऊर्जा भर देती है। अतः हम प्रभु को अपने साथ काम करने हेतु आग्रह करें।

उन्होंने विश्व में गंभीर संकट भूख से लड़ने का प्रोत्साहन देते हुए उन पर ईश्वरीय आशीष की कामना की।  

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14 February 2019, 16:03