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संदेश देते हुए संत पापा फ्राँसिस संदेश देते हुए संत पापा फ्राँसिस 

हमारी उदारता में प्रभु महान कार्य सम्पन्न करते हैं, संत पापा

येसु ने सिमोन को गलीलिया झील के तट पर देखा, जो अपने अन्य साथियों के संग अपने जाल की मरम्मत कर रहा था। येसु उसे थका-हरा और निराश पाया, क्योंकि रात भर मेहनत करने के बाद भी उन्हें कुछ सफलता प्राप्त नहीं हुई थी।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 11 फरवरी 2019 (रेई): संत पापा फ्राँसिस ने 10 फरवरी को, संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में देवदूत प्रार्थना हेतु जमा हुए हज़ारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को  संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाई और बहनो, सुप्रभात।

आज के सुसमाचार पाठ में हम संत लूकस द्वारा संत पेत्रुस के बुलावे की चर्चा सुनते हैं। हम उनके नाम से परिचित हैं वह एक मछुवारा था। येसु ने उसे गलीलिया झील के तट पर देखा, जो अपने अन्य साथियों के संग अपने जाल की मरम्मत कर रहा था। येसु उसे थका-हरा और निराश पाया क्योंकि रात भर मेहनत करने के बाद भी उसे कुछ सफलता नहीं मिली थी। किन्तु येसु ने पेत्रुस को अपनी बातों से आश्चर्यचकित कर दिया जब उन्होंने उसकी नाव में सवार होकर, नाव को तट से दूर ले चलने को कहा, जिससे वे लोगों को शिक्षा दे सकें, क्योंकि वहाँ एक बड़ी भीड़ जमी थी। इस भांति येसु सिमोन की नाव में बैठ कर लोगों की जमा भीड़ को शिक्षा दिये। उनका वचन सिमोन के हृदय को विश्वास हेतु खोला। तब येसु ने यह कहते हुए पुनः उसे विस्मित किया, नाव को गहरे पानी में ले चलो और मछली पकड़ने हेतु अपना जाल डालो।

विश्वास अद्भुत परिणाम लेकर आता है

सिमोन ने उन्हें उत्तर देते हुए कहा, “गुरूवर रात भर मेहनत करने पर भी हमने कुछ नहीं पकड़ा...”। एक अनुभवी मछुवारे की तरह वे यह कह सकते थे कि यदि रातभर हमें कुछ हाथ नहीं लगा, तो दिन को तो जाने दीजिए।” लेकिन येसु की उपस्थिति और उनकी बातों से आलोकित होकर उन्होंने कहा, “...लेकिन आप के कहने पर मैं जाल डालूंगा।” संत पापा ने कहा कि यह विश्वास का प्रत्युत्तर है, जिसे देने हेतु हम भी बुलाये जाते हैं। यह हमारी तत्परता का मनोभाव है जिसकी मांग येसु अपने शिष्यों से करते हैं और विशेषकर, उनसे जो कलीसियाई कार्यों के प्रति उत्तरदायी हैं। पेत्रुस का अटूट विश्वास अपने में अद्भुत परिणाम लेकर आता है, “ऐसा करने से इतनी अधिक मछलियां फंस गई कि उनका जाल फटने को हो गया।”

ईश्वर नया क्षितिज खोलते हैं

संत पापा ने कहा कि यह एक चमत्कारिक प्रवचन थी, जिसमें हम येसु के वचनों में उनकी शक्ति को देखते हैं। जब हम उदरता पूर्वक अपने को उनकी सेवा हेतु उपलब्ध करते हैं तो वे हमारे जीवन द्वारा महान कार्य सम्पन्न करते हैं। इस तरह के कार्य येसु हम प्रत्येक के जीवन में करते हैं। वे हमारा अह्वान करते हैं कि हम उन्हें अपने जीवन की नाव में आने हेतु उन्हें निमंत्रण दें, जो हमारे जीवन को एक नई शुरूआत प्रदान करता जहाँ हम अपने को आश्चर्य से भरा हुआ पाते हैं। येसु हमें हमारे समय के मानवता रूपी खुले समुद्र में जाने का निमंत्रण देते हैं जिससे हम अच्छाई और करूणा का साक्ष्य देते हुए, अपने जीवन में अर्थपूर्ण बना सकें। बहुत बार हम अपने जीवन में दिव्य गुरू के बुलावे को सुनकर हिचकिचाते और आश्चर्य करते हैं। हम अपनी अयोग्यता के कारण उनके बुलावे को अस्वीकार करने की परीक्षा में पड़ जाते हैं। पेत्रुस अविश्वासजनक रुप में मछलियों के जाल में फंसने के कारण येसु से कहता है, “गुरूवर, मेरे यहाँ से चले जाइए क्योंकि मैं तो एक पापी मनुष्य हूँ।” संत पापा ने कहा कि यह विनयपूर्ण प्रार्थना अपने में कितना सुन्दर है, “प्रभु मेरे यहाँ से चले जाइए, मैं तो एक पापी मनुष्य हूँ।” पेत्रुस येसु के चरणों में गिरकर उनसे यह प्रार्थना करता है। लेकिन येसु उन्हें ढ़ाढस बंधाते हुए कहते हैं, “डरो मत, अब तुम मनुष्यों को पकड़ा करोगे”, क्योंकि हमारे विश्वास के कारण वे हमें अपने पापों से मुक्त करते और हमारे लिए एक नई क्षितिज को खोलते हैं जिससे हम उनके प्रेरितिक कार्य में हाथ बंटा सकें।

येसु की शिक्षा, जीवन में असफलता की घड़ी निराश न हों

येसु का सिमोन और उसके साथ अन्य मछुवारों के लिए किया गया सबसे बड़ा चमत्कार भारी मात्रा में मछली का पकड़ा जाना नहीं वरन् उन्हें इस बात हेतु मदद करना था कि वे अपने जीवन में असफलता की घड़ी में हताश औऱ निराश न हों। वे उन्हें अपने सुसमाचार का प्रचार और प्रसार करते हुए ईश्वरीय राज्य की स्थापना हेतु बुलाते हैं। इस बुलावे का उत्तर देने में शिष्यों का प्रत्युत्तर पूर्ण और अतिशीघ्र था, “उन्होंने अपना सब कुछ छोड़कर येसु के पीछे हो लिया।”

संत पापा ने प्रार्थना की कि माता मरियम जो हमारे लिए ईश्वर की योजना को बड़ी तत्परता से अपने जीवन में अमल करने की आदर्श हैं, हमें येसु के बुलावे को सुनने हेतु मदद करे, जिससे हम उनके मुक्तिदायी कार्य के प्रचार हेतु अपने को दे सकें। इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय से साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया और सभों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।

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11 February 2019, 15:04