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अंतरधार्मिक बैठक में संवाद देते हुए संत पापा फ्राँसिस अंतरधार्मिक बैठक में संवाद देते हुए संत पापा फ्राँसिस  

अंतरधार्मिक बैठक में संत पापा फ्राँसिस का संवाद

संत पापा फ्रांसिस ने सोमवार 4 फरवरी को अबू धाबी के संस्थापक मेमोरियल में मानव भ्रातृत्व बैठक को संबोधित किया और पुष्टि की कि, "ईश्वर शांति की खोज करने वालों के साथ हैं।"

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

अबू धावी, मंगलवार 5 फरवरी 2019 (वाटिकन न्यूज) : अबू धाबी में मानव भ्रातृत्व के वैश्विक सम्मेलन के संदर्भ में सोमवार को अंतरधार्मिक सम्मेलन हुई। जिसमें सैकड़ों धार्मिक नेताओं और विद्वानों ने भाग लिया। यह अंतरधार्मिक संवाद, धार्मिक स्वतंत्रता, चरमपंथ से निपटने और शांति को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है।

ये सभी विषय संत पापा फ्राँसिस के संदेश में मौजूद थे, जिसे उन्होंने संस्थापक के स्मारक पर संयुक्त अरब अमीरात के कुछ सर्वोच्च अधिकारियों और राजनयिक सदस्यों के सामने प्रस्तुत किया।

संत पापा फ्राँसिस ने खुद को "शांति के लिए प्यासे विश्वासी" के रूप में वर्णित करते हुए अपना संदेश शुरू किया। संत पापा ने अंतरधार्मिक बैठक के बारे में कहा, "हम यहां शांति की इच्छा, शांति को बढ़ावा देने, शांति का साधन बनने के लिए यहाँ अपस्थित हुए हैं।"

भ्रातृत्व का जहाज

संत पापा ने बाइबिल के नूह की कहानी को संदर्भित करते हुए सुझाव दिया कि, शांति की रक्षा करने के लिए, हमें भी "एक परिवार के रुप में जहाज में एक साथ प्रवेश करने की आवश्यकता है जो दुनिया के तूफानी समुद्र से टकराते हुए भी आगे बढ़ सकता है"। इसका अर्थ है कि "ईश्वर एक मानव परिवार के मूल में है।" धर्म के नाम पर किसी भी हिंसा को उचित नहीं ठहराया जा सकता है।

संत पापा ने कहा,"धार्मिक मनोभाव को लगातार दुश्मन और विरोधी के रूप में दूसरों का न्याय करने के लिए आवर्तक प्रलोभन से शुद्ध होने की आवश्यकता होती है"। संत पापा ने "धर्म की स्वतंत्रता की गारंटी देने तथा हस्तक्षेप न करने और चरमपंथ एवं घृणा का सामना करने के लिए संयुक्त अरब अमीरात की प्रतिबद्धता की "प्रशंसा" की।  साथ ही संत पापा ने फिर एक सवाल उठाया: "हम एक मानव परिवार में एक दूसरे की देखभाल कैसे करते हैं? "

भिन्नता का साहस

संत पापा फ्राँसिस ने दूसरों की स्वतंत्रता और मौलिक अधिकारों की मान्यता देने को "भिननता का साहस" कहा: "स्वतंत्रता के बिना," हम मानव परिवार के बच्चे नहीं, अपितु दास बन जाते हैं।"

संत पापा ने आगे कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता केवल पूजा अर्चना की स्वतंत्रता नहीं है: इसका मतलब है कि दूसरे को "अपने ही मानव समुदाय का सदस्य के रुप में अपनाना जिसे ईश्वर ने स्वतंत्र  रहने के लिए बनाया है और उसकी स्वतंत्रता को कोई भी मानवीय संस्था नहीं ले सकती है, ईश्वर के नाम पर भी नहीं।"

प्रार्थना

संत पापा फ्राँसिस ने प्रार्थना के महत्व की ओर ध्यान केंद्रित कराते हुए कहा, “प्रार्थना में जब हम अपने आप में प्रवेश करते हैं तो यह हमें खुद को बदलने की शक्ति देता और हृदय को शुद्ध करता है। हृदय की प्रार्थना भ्रातृत्व को पुनर्स्थापित करती है। हम दूसरों को अपने भाई-बहन के रुप में स्वीकार कर पाते हैं।

 संत पापा ने कहा,“इसमें कोई विकल्प नहीं हैं:हम या तो भविष्य का निर्माण एक साथ करेंगे या भविष्य नहीं होगा। धर्म, विशेष रूप से, लोगों और संस्कृतियों के बीच पुलों के निर्माण के तत्काल कार्य का त्याग नहीं कर सकता है। समय आ गया है जब धर्मों को अधिक सक्रिय रूप से साहस और धृष्टता के साथ और बिना दिखावा के मानव परिवार को सुलह करने की क्षमता और शांति के ठोस रास्तों को मजबूत करने में मदद करनी चाहिए।”

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अबू धाबी के संस्थापक मेमोरियल में मानव भ्रातृत्व बैठक
05 February 2019, 15:26