आबू धाबी में प्रेरितिक यात्रा के दौरान ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा आबू धाबी में प्रेरितिक यात्रा के दौरान ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा 

एकाकी में येसु हमारे साथ, ख्रीस्तयाग प्रवचन में संत पापा

संत पापा फ्राँसिस ने 5 फरवरी को संयुक्त अरब अमीरात की प्रेरितिक यात्रा के दौरान ज़ायद स्पोर्ट स्टेडियम में ख्रीस्तयाग अर्पित कर न्याय एवं शांति के लिए प्रार्थना की।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

संत पापा ने प्रवचन में संत मती रचित सुसमाचार से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जहाँ संत मती आठ धन्यताओं का वर्णन करते हैं। संत पापा ने कहा, "यदि आप येसु के साथ हैं, यदि आप उनके वचनों को सुनना चाहते हैं जैसा कि शिष्यों ने किया, यदि आप अपने दैनिक जीवन में उनके वचनों पर चलना चाहते हैं तब आप धन्य हैं। यह ख्रीस्तीय जीवन की पहली सच्चाई है जिसको हम जानते हैं। यह शिक्षाओं का संग्रह नहीं है बल्कि येसु में इस बात का ज्ञान है कि हम पिता के प्रिय संतान हैं। ख्रीस्तीय जीवन का अर्थ है इन धन्यताओं को जीना। जीवन को एक प्रेम कहानी की तरह जीने की चाह रखना। उनके साथ जो हमें कभी नहीं छोड़ते और हमेशा हमारे साथ रहना चाहते हैं। यही हमारे आनन्द का कारण है, एक ऐसा आनन्द जिसको दुनिया का कोई भी व्यक्ति अथवा परिस्थिति छीन नहीं सकता। यह एक ऐसा आनन्द है जो पीड़ा के समय भी शांति देता है और आने वाले अनन्त आनन्द का एहसास दिलाता है। संत पापा ने वहाँ के विश्वासियों को धन्य कहा।

पीड़ा के बीच शांति

उन्होंने कहा, "येसु ने भी अपने शिष्यों को धन्य कहा।" लोगों की सोच के अनुसार वे ही लोग धन्य कहे जा सकते थे जो धनी और शक्तिशाली थे, जो सफल तथा लोकप्रिय थे। जबकि दूसरी ओर येसु के लिए धन्य वे हैं जो, गरीब हैं, दीन-हीन हैं, और जो अत्याचार के शिकार हैं। इस तरह यहाँ कौन सही है संसार अथवा येसु? इसको समझने के लिए आइये हम येसु के जीवन पर गौर करें। येसु भौतिक चीजों के लिए गरीब थे किन्तु प्रेम के धनी। उन्होंने कई रोगियों को चंगा किया किन्तु अपना जीवन कुर्बान कर दिया। वे सेवा कराने नहीं बल्कि सेवा करने आये थे। उन्होंने सिखलाया कि महानता लेने में नहीं पर देने में है। अपना बचाव करने के बदले उन्होंने अन्याय पूर्ण दण्ड स्वीकार किया। इस तरह दिव्य प्रेम की शक्ति के द्वारा ही येसु ने इस दुनिया में ईश्वर का प्रेम लाया और केवल इसी से उन्होंने पाप, भय, मृत्यु एवं दुनियादारी पर विजय पायी। संत पापा ने उस कृपा के लिए प्रार्थना करने का निमंत्रण दिया कि हम येसु का अनुसरण करने के आकर्षण को प्राप्त कर सकें, किसी अन्य की नहीं बल्कि येसु के विनम्र प्रेम की खोज कर सकें, क्योंकि येसु के साथ रहने तथा दूसरों के साथ मिलकर रहने में ही जीवन की सार्थकता है।   

संत पापा ने कहा कि मैं आपलोगों को धन्यवाद कहने आया हूँ क्योंकि आप सुसमाचार को जीते हैं। लोग कहते हैं कि लिखित सुसमाचार एवं जीये गये सुसमाचार में अंतर उसी तरह है जिस तरह लिखित संगीत एवं प्रस्तुत किये गये संगीत में अंतर होता है। आप जो यहाँ हैं, सुसमाचार के धुन को जानते हैं तथा उत्साह के साथ उनका अनुसरण करते हैं।

धन्यताओं का जीवन जीने तथा येसु के रास्ते पर चलने का अर्थ नहीं है कि हमेशा प्रसन्नचित रहना। एक व्यक्ति जो परेशान है, अन्याय से पीड़ित है तथा शांति स्थापित करने के लिए अपना सब कुछ खो देता है वह जानता है कि इसका अर्थ है दुःख सहना। घर से दूर, अपने प्रियजनों से अलग रहकर जीना आसान नहीं है जहाँ भविष्य की निश्चितता भी न हो किन्तु ईश्वर निष्ठावान हैं वे अपने लोगों को कभी नहीं छोड़ते।

संत पापा ने संत अंतोनी की याद की जिन्होंने निर्जन प्रदेश में मठ की स्थापना की। वे हमारे लिए भी आदर्श है। उन्होंने प्रभु के लिए अपना सब कुछ छोड़ दिया तथा निर्जन प्रदेश चले गये। वहाँ उन्हें कठिन आध्यात्मिक स्थिति से होकर गुजरना पड़ा किन्तु उन्होंने शांति बनाये रखी। उन्हें संदेह, अंधकार और पूर्व जीवन में लौट जाने के प्रलोभनों का सामना करना पड़ा किन्तु प्रभु ने उन्हें सांत्वना प्रदान की।

धन्यताएँ जीवन के रास्ते के लिए मानचित्र

संत पापा ने कहा कि धन्यता प्राप्त करने के लिए नाटकीय हावभाव की आवश्यकता नहीं है। येसु को देखें उन्होंने कुछ भी लिखकर नहीं छोड़ा और न ही किसी चीज का निर्माण किया। उन्होंने हमें जीने का तरीका सिखलाया न की महान अथवा असाधारण कार्य करने की सलाह दी। येसु ने सिर्फ एक चीज करने को कहा और वह है अपने जीवन का निर्माण। अतः धन्यताएँ हमारे जीवन के रास्ते के लिए मानचित्र हैं। इसलिए हम चमत्कारिक कार्य करने की न सोचें बल्कि अपने दैनिक जीवन में येसु का अनुसरण करें। अपने हृदय को शुद्ध रखें, विनम्र और न्यायी बनें, हर प्रकार की चुनौतियों के बावजूद दयालु बने रहें और ईश्वर से जुड़े रहें। यही दैनिक जीवन की पवित्रता हैं। संत पापा ने कामना की कि उनका समुदाय एक शांतिमय समुदाय बनें।

संत पापा ने कहा कि ख्रीस्तीय विश्वासी अपने ही स्थान पर शांति को प्रोत्साहन देते हैं। अतः जो कलीसिया येसु में धैर्य बनाये रखता तथा भ्रातृप्रेम द्वारा प्रभु को प्रसन्न करता है वह बहुत फल उत्पन्न करेगा। संत पापा ने उन्हें धीरज, शांति, एकता, प्रेम में बढ़ने तथा एक-दूसरे की चिंता करने की कृपा प्राप्त करने के लिए प्रभु से प्रार्थना करने की सलाह दी।  

विदाई समारोह

ख्रीस्तयाग के उपरांत संत पापा फ्राँसिस आबू धाबी के हवाई अड्डे पर पहुँचे जहाँ उन्होंने प्रेरितिक यात्रा के सफल आयोजन के लिए राज्य सचिव, ओरियंटल कलीसिया के लिए गठित धर्मसंघ के अध्यक्ष, लोकधर्मियों की प्रेरिताई के लिए गठित धर्मसंघ के अध्यक्ष, अंतरधार्मिक वार्ता हेतु गठित परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष और अन्य सभी अधिकारियों को धन्यवाद दिया।

इस तरह संत पापा फ्राँसिस अपनी 27वीं विदेश यात्रा सम्पन्न कर, संयुक्त अरब अमीरात से विदा होकर स्थानणीय समयानुसार 5.00 बजे रोम लौट रहे हैं।

 

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संत पापा की प्रेरितिक यात्रा के दौरान ज़ायद स्पोर्ट स्टेडियम में ख्रीस्तयाग समारोह
05 February 2019, 15:32