खोज

कार्डिनल अगुस्टीन बेया के निधन की 50वीं वर्षगाँठ पर यहूदी अध्ययन केंद्र की संगोष्ठी में भाग लेने वाले 100 प्रतिभागी संत पापा के साथ कार्डिनल अगुस्टीन बेया के निधन की 50वीं वर्षगाँठ पर यहूदी अध्ययन केंद्र की संगोष्ठी में भाग लेने वाले 100 प्रतिभागी संत पापा के साथ 

कार्डिनल बेया वार्ता के आदर्श एवं प्रेरणा

संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार 28 फरवरी को कार्डिनल अगुस्टीन बेया के निधन की 50वीं वर्षगाँठ पर यहूदी अध्ययन केंद्र की संगोष्ठी में भाग लेने वाले 100 प्रतिभागियों से मुलाकात की।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

ख्रीस्तीय एकता को बढ़ावा देने हेतु गठित परमधर्मपीठीय समिति, परमधर्मपीठीय बाईबिल संस्थान, येरूसालेम में यहूदी विश्वविद्यालय में ख्रीस्तीयता के अध्ययन केंद्र के साथ कार्डिनल बेया के निधन की 50वीं पुण्यतिथि मना रहे हैं।

संत पापा ने कहा कि कार्डिनल बेया की याद केवल उनके कार्यों के लिए न किया जाए बल्कि उन्होंने किस तरह कार्य किया उसकी भी याद की जाए। वे अंतरधार्मिक वार्ता, ख्रीस्तीय एकता वर्धकवार्ता एवं अंतर-पारिवारिक वार्ता के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं। विश्व यहूदी कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष नाहूम गोल्डमन के शब्दों में संत पापा ने कार्डिनल बेया के तीन गुणों को प्रकट किया- समझदारी, अच्छाई और साहसी। उन्होंने कहा कि मानव  के साथ मेल-मिलाप रखने के लिए इन तीनों महत्वपूर्ण सदगुणों की आवश्यकता है।

प्रेम और सम्मान वार्ता के प्रमुख सिद्धांत

समझदारी - कार्डिनल बेया को मालूम था कि प्रेम एवं सम्मान वार्ता के लिए प्रमुख सिद्धांत हैं। उन्हें इस बात पर भी पक्का विश्वास था कि सम्मान हमें सच्चाई का प्रस्ताव रखने के लिए सही रास्ता दिखा सकती है। यह सच है कि सच्चाई प्रेम से अलग नहीं है तथा यह प्रेम, स्वीकृति और आलिंगन करने की क्षमता में प्रकट होती है।

अच्छाई और दीनता ऐसे गुण हैं जो पिता ईश्वर की सृष्टि होने के नाते मित्रता एवं भाईचारा में गहराई बढ़ाने तथा भाई-बहन बनने की चाह में दृढ़ होने हेतु मदद देते हैं। समझदारी, जो दूसरों को स्वीकार करता एवं उनकी अच्छाई को पहचानता है, आपस में एकता लाती है। संत पापा ने कहा कि कार्डिनल बेया में ये गुंण अच्छी तरह देखे जा सकते हैं। उन्होंने वार्ता के लिए कई चुनौतियों का सामना किया। उन पर दोषारोपन किया गया किन्तु वे धीरज से आगे बढ़ते गये और प्रेम करना कभी नहीं छोड़ा।  

घेरे से बाहर निकलना

संत पापा ने प्रतिभागियों से प्रश्न किया कि हम किस तरह उनकी यात्रा को आगे बढ़ा सकते हैं? अब तक, यहूदी-ख्रीस्तीय संवाद के अधिकांश भाग अक्सर विशेषज्ञों के लिए आरक्षित रहे हैं। विशेष खोज तथा ज्ञान आवश्यक हैं किन्तु इतना ही काफी नहीं है। इस रास्ते के साथ-साथ, बाहर निकलने की आवश्यकता है, अर्थात् वार्ता के परिणामों को प्रकट करना है ताकि यह कुछ चुने चुनाये लोगों का विशेषाधिकार न बना रहे, बल्कि बहुतों के लिए एक अवसर बनें। यहूदियों एवं ख्रीस्तियों के बीच मित्रता एवं वार्ता को किसी विशेष समुदाय के घेरे से बाहर निकलने की आवश्यकता है। यह एक अनोखी बात होगी यदि एक ही शहर में रब्बी और पल्ली पुरोहित एक साथ अपने समुदायों में काम कर पायेंगे और जरूरतमंद लोगों की मदद एक साथ करते हुए, शांति तथा वार्ता के रास्ते को बढ़ावा दे पायेंगे।

उन्होंने शुभकामनाएँ दी कि कार्डिनल बेया का व्यक्तित्व एवं कार्य, ख्रीस्तीय एकता हेतु उनके समर्पण को सुदृढ़ करे तथा यहूदी भाई-बहनों के साथ नवीकृत मित्रता को ठोस रूप से प्रोत्साहन प्रदान करे।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

28 February 2019, 15:50