वाटिकन के सन्त मर्था भवन में ख्रीस्तयाग समारोह वाटिकन के सन्त मर्था भवन में ख्रीस्तयाग समारोह  

भाई और पड़ोसी से प्यार है ईश्वर से प्यार, सन्त पापा

वाटिकन के सन्त मर्था भवन में गुरुवार को ख्रीस्तयाग के अवसर पर प्रवचन करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने प्रभु येसु ख्रीस्त की शिक्षा का स्मरण दिलाया और कहा कि ठोस रूप से "ईश्वर के प्रति प्रेम प्रदर्शित करने के लिये हमें हमारे भाई बहनों एवं पड़ोसी से प्यार करना ज़रूरी है और यह हमारी पसन्द और नापसन्द पर निर्भर नहीं होना चाहिये।"

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 11 जनवरी 2019 (रेई, वाटिकन रेडियो): ईश्वर से प्रेम करने का दावा करनेवालों को सन्त पापा फ्राँसिस ने स्मरण दिलाया कि यदि वे अपने भाई से प्रेम नहीं करते तो ईश्वर से प्रेम ढोंग मात्र है.

वाटिकन के सन्त मर्था भवन में गुरुवार को ख्रीस्तयाग के अवसर पर प्रवचन करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने प्रभु येसु ख्रीस्त की शिक्षा का स्मरण दिलाया और कहा कि ठोस रूप से "ईश्वर के प्रति प्रेम प्रदर्शित करने के लिये हमें हमारे भाई बहनों एवं पड़ोसी से प्यार करना ज़रूरी है और यह हमारी पसन्द और नापसन्द पर निर्भर नहीं होना चाहिये. "

सन्त पापा फ्राँसिस ने यह भी कहा कि सच्चे ख्रीस्तीयों को "शत्रु" के लिए भी प्रार्थना करनी चाहिये तथा कभी भी शत्रु की उपेक्षा नहीं करनी चाहिये. उन्हें न तो जलसपन की भावनाओं को रास्ता देना चाहिए और न ही हानिकारक गपशप में संलग्न होना चाहिए.

धोखेबाज और विभाजनकारी "सांसारिक" भावना को दूर रखें

अपने प्रवचन में सन्त पापा ने विश्वास की ताकत से धोखेबाज और विभाजनकारी "सांसारिक" भावना को दूर करने हेतु ख्रीस्तीयों को प्रोत्साहन दिया. प्रेरितवर सन्त योहन के पत्र से लिये गये पहले पाठ पर चिन्तन करते हुए उन्होंने कहा कि जब सन्त योहन यह कहते हैं कि "ईश्वर की सन्तान संसार पर विजयी होती है" तब वे हमें सांसारिक माया मोह के प्रति सचेत करते हैं.

उन्होंने समझाया कि यह सांसारिक भावना के खिलाफ हमारे रोजमर्रा के संघर्ष को प्रदर्शित करता है जो धोखेबाज है और जिसमें निरंतरता का अभाव है जबकि "ईश्वर की भावना सत्य है". उन्होंने कहा, "संसार की भावना अहंकार और घमंड की भावना है, जिसमें कोई ताकत नहीं है, कोई नींव नहीं है और उनका गिरना तय है".

परिवारों, समुदायों एवं समाज में विभाजन सांसारिकता की उपज

सन्त पापा ने कहा कि सन्त प्रेरितवर योहन हमें रास्ता दिखाते हैं और कहते हैं कि यदि हम ईश्वर की भावना को समझते हुए आगे बढ़ेंगे तो अवश्य ही भले कर्म करेंगे. सन्त योहन कहते हैं, अगर कोई यह कहता है कि मैं ईश्वर को प्यार करता हूँ और वह अपने भाई से बैर करता है तो वहा है. यदि वह अपने भाई को, जिसे वह देखता है, प्यार नहीं करता, तो वह ईश्वर को , जिसे उसने कभी देखा नहीं, प्यार नहीं कर सकता.   

सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि संसार की भावना परिवारों, समुदायों तथा समाज में दरारें और विभाजन उत्पन्न करती है और जब विभाजन बढ़ जाते हैं तबा और युद्ध को प्रश्रय मिलता है. उन्होंने कहा, "सांसारिक माया मोह पर केवल इस विश्वास से विजय पाई जा सकती है कि ईश्वर उन भाइयों एवं बहनों में विराजमान हैं जो हमारे समीप हैं. केवल विश्वास ही हमें यथार्थ प्रेम के मार्ग पर अग्रसर कर सकता है." 

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11 January 2019, 11:45