संत मार्था प्रार्थनालय में प्रवचन देते हुए संत पापा फ्राँसिस संत मार्था प्रार्थनालय में प्रवचन देते हुए संत पापा फ्राँसिस 

पुरोहितों को संत जॉन बॉस्को जैसे खुश रहना चाहिए, संत पापा

संत पापा फ्राँसिस ने संत जॉन बॉस्को के त्योहार पर पुरोहितों से कहते हैं कि उन्हें भी संत जॉन बॉस्को के समान मानवीय आंखों से और ईश्वर की आंखों से लोगों को देखने का साहस होना चाहिए।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, गुरुवार 31 जनवरी 2019 (रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने गुरुवार को वाटिकन में अपने निवास संत मार्था के प्रार्थनालय में प्रातःकालीन मिस्सा का अनुष्ठान किया। संत पापा ने प्रवचन में पुरोहितों को डॉन बॉस्को का अनुकरण करने के लिए प्रोत्साहित किया, जो एक पिता और एक शिक्षक के रुप में वास्तविकता को मानवीय आंखों से और ईश्वर की आंखों से देखते थे।

संत पापा ने कहा कि यही वह परिप्रेक्ष्य था जिसने उन्हें आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया। वे सड़कों पर गरीब युवा लड़कों को देखते तो उनकी मदद करने के लिए तरीकों की तलाश करते थे। वे उनके साथ खुशी मनाते और उनके साथ रोते भी थे।

मानवीय आंखों और ईश्वर की आंखों से देखना

संत पापा फ्राँसिस ने याद किया कि डॉन बॉस्को के पुरोहिताभिषेक के दिन उनकी माँ जिन्होंने धर्मशास्त्र का कभी अध्ययन नहीं किया था, अपने बेटे से कहा,“आज से तुम्हारे दुःख सहने के दिन शुरु होते हैं।” उनकी माता अपने बेटे का ध्यान वास्तविकता की ओर आकर्षित कराना चाहती थी। क्योंकि अगर उसके बेटे ने दुख को नहीं पहचाना, तो इसका मतलब होगा कि चीजें ठीक नहीं चल रही हैं। संत पापा ने कहा कि "यह एक माँ की भविष्यवाणी थी।" एक पुरोहित के लिए दुःख इस बात का संकेत है कि चीजें अच्छी तरह से नहीं चल रही हैं। वह इन्सानों की आंखों से और ईश्वर की आँखों से वास्तविकता देख सके। उन्होंने इन्सानी देखा कि उस समय के गरीब युवा लोग सड़कों पर जीवन यापन करते थे। वे बहुत ही गरीब और परित्यक्त थे। उन्होंने ईश्वर की आँखों से उनकी पीड़ा कम करने और उनकी परिस्थति को सुधारने के लिए काम करना शुरु किया।

पुरोहित लोगों के करीब

संत पापा ने कहा कि पुरोहित को "मानव के आंखों से और ईश्वर की आंखों से वास्तविकता को देखने के लिए सबसे पहले संदूक के सामने प्रभु के साथ एकांत में समय बिताना चाहिए। डॉन बोस्को बच्चों के धर्मशिक्षा के साथ साथ उनके बीच ज्यादा से ज्यादा समय बिताते थे। उनके साथ खेलने जाते, साथ खाना खाते थे। बच्चों ने पुरोहित में अपना मित्र, शिक्षक और पिता को पाया।

डॉन बोस्को, खुशी के शिक्षक

संत पापा फ्रांसिस ने डॉन बॉस्को के उपहार के लिए ईश्वर को धन्यवाद दिया। डॉन बॉस्को का जन्म गरीब परिवार में हुआ था। उन्होंने बचपन से काम करना शुरू कर दिया था और इसलिए जानते थे कि प्रत्येक दिन अपनी रोटी कमाने का क्या मतलब था। वे समझ गये थे कि सच्ची धर्मनिष्ठता क्या है। ईश्वर ने डॉन बोस्को को एक महान दिल दिया, एक पिता और एक शिक्षक का दिल। उसने खुद को और दूसरों के खुश रखा।

अपने प्रवचन के अंत में संत पापा ने डॉन बॉस्को के माध्यम से सभी विश्वासियों को पुरोहितों के लिए प्रार्थना करने हेतु प्रेरित किया जिससे पुरोहित अपने प्रेरितिक कार्यों में मानवीय आंखों से और ईश्वर की आँखों से परिस्थितियों और लोगों को देखने का सही अर्थ समझ सकें।  

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

31 January 2019, 15:56