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संत पापा फ्राँसिस राजनयिकों के साथ संत पापा फ्राँसिस राजनयिकों के साथ 

संत पापा फ्राँसिस ने राजनयिकों से मुलाकात की

संत पापा ने वाटिकन में अधिकृत राजनयिकों से मुलाकात की । नव वर्ष की शुभकामनाएं देते हुए बहुपक्षीय कूटनीति विषय पर अपना संदेश दिया।

वाटिकन सिटी, सोमवार 7 जनवरी 2019 (रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार 7 जनवरी को वाटिकन के रेजिया सभागार में अधिकृत राजनयिकों से मुलाकात की। इस स्वागत सम्मेलन के दौरान संत पापा ने अपने संबोधन में नव वर्ष की शुरुआत में राजनयिकों के डीन साइप्रस के राजदूत,  श्री जॉर्ज पॉलीड्स को उनके स्वागत भाषण के लिए धन्यवाद दिया।

संत पापा ने वाटिकन के लिए विभिन्न देशों के सभी राजदूतों का स्वागत करते हुए उनकी उपस्थिति के लिए धन्यवाद दिया। संत पापा ने रोमन कूरिया के सभी अधिकारियों  को भी उनके सहयोग और सेवा के लिए धन्यवाद दिया।

संत पापा ने परमधर्मपीठ और सिविल अधिकारियों के साथ सभी लोगों के आध्यात्मिक और भौतिक भलाई को बढ़ावा देने हेतु संबंधों को बनाये रखने की इच्छा जाहिर की।

संत पापा ने विशेष रूप से बेनिन में काथलिक कलीसिया की कानूनी स्थिति से संबंधित बेनिन गणराज्य और परमधर्मपीठ के बीच फ्रेमवर्क समझौते के अनुसमर्थन के लिए और संत मरिनो को पब्लिक स्कूलों में काथलिक धर्म की शिक्षा देने हेतु परमधर्मपीठ एवं संत मरिनो गणराज्य के बीच हुए समझौते पर हस्ताक्षर के लिए अपना आभार प्रकट किया।

बहुपक्षीय क्षेत्र में, परमधर्मपीठ ने उच्च शिक्षा में योग्यता की मान्यता पर यूनेस्को एशिया-प्रशांत क्षेत्रीय सम्मेलन की भी पुष्टि की है। परमधर्मपीठ ने कई दशकों तक यूरोप की परिषद के साथ सहयोग किया है और यूरोप में मानव अधिकारों, लोकतंत्र और वैधता को बढ़ावा देने में इसकी विशिष्ट भूमिका को मान्यता देता है।  गत 30 नवंबर को, वेटिकन सिटी राज्य को एकल यूरो भुगतान क्षेत्र (एसईपीए) में स्वीकार किया गया है

उस आज्ञा के आधार पर आध्यात्मिक मिशन के प्रति निष्ठा, जो प्रभु येसु ने प्रेरित पेत्रुस को दी थी, "मेरी भेड़ों को चराओ" (योहन 21:15),  संत पापा को प्रेरित करता है और इसके फलस्वरूप परमधर्मपीठ - पूरे मानव परिवार की आध्यत्मिक, सामाजिक और भौतिक चिंता करती है।

परमधर्मपीठ हर व्यक्ति की सेवा में अपने आपको समर्पित करती है। इसी सेवा भावना से प्रेरित होकर दुनिया भर से वाटिकन की यात्रा करने वाले कई तीर्थयात्रियों के साथ-साथ व्यक्तिगत और समूह के साथ संत पापा मुलाकात करते हैं और इसी सेवा भावना से प्रेरित होकर बीते वर्ष उन्होंने चिली, पेरू, स्विट्जरलैंड, आयरलैंड, लिथुवानिया, लातविया और एस्टोनिया की प्रेरितिक यात्रा की थी।

परमधर्मपीठ और वियतनाम के बीच संबंधों को दृढ़ करने का भी संदर्भ रहा है, निकट भविष्य में  संत पापा के प्रतिनिधि की नियुक्ति और एक निवास स्थान की व्यवस्था हो और संत पेत्रुस के उत्तराधिकारी की उपस्थिति स्थानीय कलीसिया को मिले। 

 पिछले 22 सितंबर को चीन में धर्माध्यक्षों की नियुक्ति पर परमधर्मपीठ और चीन गणराज्य के बीच अनंतिम समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता एक लंबी और विचारशील क्रमबद्ध बातचीत का परिणाम है इसमें परमधर्मपीठ और चान के सिविल अधिकारियों के बीच सहयोग के कुछ स्थिर तत्वों को निर्धारित किया गया।

संत पापा ने इस बात पर खुशी जाहिर की कि इतने सालों के बाद पहली बार, चीन के सभी धर्माध्यक्ष संत पेत्रस के उत्तराधिकारी के साथ और विश्वव्यापी काथलिक कलीसिया के साथ पूर्ण संवाद में हैं। जिसका प्रत्यक्ष चिन्ह चीन के दो धर्माध्यक्षों का  युवाओं पर हो रहे धर्माध्यक्षीय धर्मसभा में भाग लेना था।

 संत पापा ने कहा कि इस वर्ष यूरोप की परिषद के अलावा कई महत्वपूर्ण वर्षगांठ शामिल हैं। संत पापा विशेष रुप से वर्सालीस की संधि द्वारा स्थापित राष्ट्र संघ की सौवीं वर्षगांठ का उल्लेख करना चाहते हैं जिसे 28 जून 1919 को हस्ताक्षरित किया गया था। हालांकि यह संगठन आज मौजूद नहीं है पर यह आधुनिक बहुपक्षीय कूटनीति की शुरुआत का प्रतिनिधित्व करता है, जिसके तहत राज्यों को अपने पारस्परिक संबंधों को वर्चस्व की मानसिकता से दूर करने का प्रयास किया गया था जो युद्ध की ओर ले जाती थी। राष्ट्र संघ के ठीक बीस साल बाद एक नए और विनाशकारी संघर्ष के कारण दूसरा विश्व युद्ध छिड़ गया। फिर भी, राष्ट्र संघ ने 1945 में संयुक्त राष्ट्र संगठन की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया। निश्चित रूप से, यह रास्ता कठिनाइयों और बाधाओं से भरा हुआ है और न ही यह हमेशा प्रभावी है, क्योंकि संघर्ष आज भी कायम हैं, फिर भी इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि यह राष्ट्रों के आम समाधानों को तलाशने और पूरा करने का अवसर प्रदान करता है।

न्याय और कानून की प्रधानता

संत पापा ने कहा कि वे आज संपर्क के पहला बिंदु पर उल्लेख करना चाहते हैं, वह है न्याय और कानून की प्रधानता। संत पॉल छठे ने संयुक्त राष्ट्र आमसभा से कहा था: "आप ने वास्तव में महान सिद्धांत को स्वीकार किया है जो राष्ट्रों के बीच संबंधों को तर्क, न्याय, कानून द्वारा न कि बल, हिंसा, युद्ध, और न ही भय और धोखे से नियंत्रित किया जाना चाहिए"।

वर्तमान में कुछ राष्ट्र विवादों को हल करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय कानून द्वारा प्रदान किए गए साधनों और अंतर्राष्ट्रीय न्यायालयों के न्याय का सम्मान किये बिना व्यक्तिगत राष्ट्रीय हितों को बढ़ाने की प्रवृत्ति देखने को मिल रही है और यह अन्य देशों को भी परेशानी में डालेगी।

इन्ही बातों को ध्यान में रखते हुए संत पापा फ्राँसिस ने इस वर्ष के विश्व शांति दिवस के लिए विषय ‘शांति की सेवा में अच्छी राजनीति’ चुना था, जो 1 जनवरी को मनाया गया। अच्छी राजनीति और लोगों और राष्ट्रों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के बीच घनिष्ठ संबंध है। शांति कभी भी आंशिक रूप से अच्छी नहीं होती है, लेकिन पूरी मानव जाति को गले लगाती है। इसलिए अच्छी राजनीति का एक अनिवार्य पहलू यह है कि सभी की आम भलाई, अर्थात् "सभी लोगों का और पूरे व्यक्ति की भलाई।"

सबसे कमजोर लोगों की रक्षा

संत पापा ने संम्पर्क के दूसरे बिन्दू पर सबसे कमजोर लोगों की रक्षा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कलीसिया सदा ही कमजोर और गरीब लोगों की मदद करती आ रही है और आवाजहीन लोगों की आवाज बनती है। इसके लिए कलीसिया द्वारा विभिन्न प्रकार की योजनाएँ चलायी जाती हैं। संत पापा ने यूक्रेन में चलाये जा रहे मानवीय पहल का उल्लेख किया, विशेष रूप से देश के पूर्वी क्षेत्रों में,5 साल तक चले संघर्ष में गरीब लोगों की मदद की है।  

लोगों और शांति निर्माताओं के बीच एक सेतु बनें

संत पापा ने सभी राजदूतों को देश में शांति स्थापना हेतु सेतु बनने के लिए प्रेरित किया।

पिछले वर्ष के दौरान, इथियोपिया और इरिट्रिया के बीच ऐतिहासिक समझौते से शुरू होने वाले शांति के कुछ महत्वपूर्ण संकेत मिले हैं, जो बीस साल के संघर्ष और दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों को बहाल करता है।

संत पापा ने कट्टरपंथी हिंसा से पीड़ित सभी लोगों से, विशेष रूप से माली, नाइजर और नाइजीरिया और कैमरून में जारी आंतरिक तनाव से पीड़ित लोगों के प्रति अपनी घनिष्ठता व्यक्त की।

परमधर्मपीठ ने इस उम्मीद को भी व्यक्त किया है कि इजरायल और फिलिस्तीनियों के बीच बातचीत फिर से शुरू हो, ताकि अंतिम रूप से एक समझौते पर पहुंचा जा सके और दो राज्यों के सह-अस्तित्व को सुनिश्चित करके और दोनों की वैध आकांक्षाओं के लिए एक प्रतिक्रिया दी जा सके और एक लंबे समय से प्रतीक्षा की गई शांति की प्राप्ति हो सके।

अंत में संत पापा ने उपस्थित राजनायिकों के महत्वपूर्ण योगदान के लिए धन्यवाद और इस नये वर्ष की शुभकामना देते हुए उन्हें और परिवार के सभी सदस्यों पर ईश्वर की आशीष की कामना की।     

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07 January 2019, 16:54