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ख्रीस्तीय एकता प्रार्थना सप्ताह की शुरूआत संध्यावंदना द्वारा करते हुए संत पापा ख्रीस्तीय एकता प्रार्थना सप्ताह की शुरूआत संध्यावंदना द्वारा करते हुए संत पापा 

न्याय हेतु ईश्वर की पुकार सुनें, संत पापा

ख्रीस्तीय एकता प्रार्थना सप्ताह की वियवस्तु पर चिंतन करते हुए संत पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तियों का आह्वान इस बात को समझने के लिए किया कि जो वरदान हमने प्राप्त किया है वह सभी को बांटने के लिए है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

रोम, शनिवार, 19 जनवरी 2019 (रेई)˸ संत पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तीय एकता प्रार्थना सप्ताह की शुरूआत शुक्रवार को रोम स्थित संत पौल महागिरजाघर में संध्या वंदना का नेतृत्व करते हुए किया।

तुम न्याय के अनुसार ही निर्णय दोगे

इस वर्ष ख्रीस्तीय एकता प्रार्थना सप्ताह की विषयवस्तु है "तुम न्याय के अनुसार ही निर्णय दोगे।" (विधि 16˸18-20) जिसको इंडोनेशिया के लोगों ने चुना है।

ख्रीस्तीय एकता प्रार्थना सप्ताह की शुरूआत करते हुए संत पापा का प्रवचन

विधिविवरण ग्रंथ से लिए गये पाठ पर चिंतन करते हुए संत पापा ने अपने प्रवचन में गौर किया कि इस पाठ में इब्रानी समुदाय के तीन उत्सवों का जिक्र किया गया है। हर उत्सव में वे ईश्वर को उनके सभी वरदानों के लिए धन्यवाद देते थे और उस समारोह से कोई भी अनुपस्थित नहीं होता था।

संत पापा ने पर्व मनाने एवं इस्राएल के न्यायकर्ताओं की नियुक्ति के बीच संबंध दिखलाते हुए कहा, "पर्व ही अपने आपमें लोगों से न्याय की अपील करता था यह दर्शाते हुए कि सभी लोग एक समान हैं और सभी समान रूप से ईश्वर की दया पर निर्भर करते हैं।"  

असमानता सद्भाव को खतरे में डालती है

संत पापा ने कहा कि इंडोनेशिया के लोगों की विषयवस्तु इस बात से प्रेरित है कि उनके देश में आर्थिक विकास ने असमानता को बढ़ा दिया है जो सद्भाव को खतरे में डाल दिया है। हालाँकि, यह समस्या केवल इंडोनेशिया की नहीं है बल्कि विश्वभर की है। "हम मूसा की सहिंसा की प्रज्ञा को भूल गये हैं कि यदि धन को बांटा न जाए तो समाज विभाजित हो जाता है।"

शक्तिशाली लोगों को चाहिए कि वे दुर्बलों की मदद करें

संत पौलुस का हवाला देते हुए संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि यही बात समुदाय में लागू होती है। "जो लोग शक्तिशाली हैं वे दुर्बलों की मदद करें।" ख्रीस्तीय परिवार में भी एकात्मता एवं साझा जिम्मेदारी हो।  

ख्रीस्तियों के बीच विभाजन पर गौर करते हुए संत पापा ने कहा कि हम भी कमजोर एवं जरूरतमंद लोगों को भूल जाते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे बीच विद्यमान मूलभूत समानता को भूलना आसान है, हमारे लिए यह कल्पना करना सहज है कि हमें जो उपहार मिले हैं वे अकेले हमारे हैं; और हम अन्य ख्रीस्तियों के वरदानों के लिए अंधे हो जाते हैं।

वरदानों का आपसी आदान-प्रदान समृद्ध बनाता है

संत पापा ने कहा कि दूसरी ओर, पूजा को राज्य के उपयुक्त होना चाहिए। पूजा द्वारा न्याय की मांग एक उत्सव है जो सभी के लिए है। एक त्योहार जिसका उपहार सभी के लिए है और सभी के बीच बांटा जाता है। उस उपहार को पहचानना आवश्यक है जिसको हमने दूसरों को दिया है। ख्रीस्तीय उपहारों के आदान-प्रदान से नवीकृत एवं समृद्ध बनते हैं। वे ही दृढ़ता एवं साहस के साथ एकता की राह पर आगे बढ़ सकते हैं।  

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19 January 2019, 15:24