आमदर्शन समारोह में लोगों से मुलाकात करते संत पापा आमदर्शन समारोह में लोगों से मुलाकात करते संत पापा 

"अब्बा" शब्द पर संत पापा की धर्मशिक्षा

"हे हमारे पिता" पर अपनी धर्मशिक्षा को जारी रखते हुए आज हम नये व्यवस्थान पर चिंतन शुरू करेंगे जो एक शब्द "अब्बा" पर ध्यान केंद्रित करने के आवश्यक बिन्दु तक पहुंचने के समान प्रतीत होती है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार, 16 जनवरी 2019 (रेई)˸ संत पापा फ्राँसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर, वाटिकन के पौल षष्ठम सभागार में, विश्व के विभिन्न देशों से आये हुए तीर्थयात्रियों और विश्वासियों को "हे हमारे पिता" की प्रार्थना पर अपनी धर्मशिक्षा को आगे बढ़ाते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों, सुप्रभात।

"हे हमारे पिता" पर अपनी धर्मशिक्षा को जारी रखते हुए आज हम नये व्यवस्थान पर चिंतन शुरू करेंगे जो एक शब्द "अब्बा" पर ध्यान केंद्रित करने के आवश्यक बिन्दु तक पहुंचने के समान प्रतीत होती है।

ईश्वर ने हमारे हृदयों में अपने पुत्र का आत्मा भेजा है

हमने रोमियों को लिखे संत पौलुस के पत्र में सुना, "जो लोग ईश्वर के आत्मा से संचालित हैं, वे सब ईश्वर के पुत्र हैं- आप लोगों को दासों का मनोभाव नहीं मिला, जिस से प्रेरित हो कर आप फिर डरने लगें। आप लोगों को गोद लिये पुत्रों का मनोभाव मिला, जिससे प्रेरित हो कर हम पुकार कर कहते हैं, ''अब्बा, हे पिता!" (रोम. 8, 15) और गलातियों से संत पौलुस कहते हैं, "आप लोग पुत्र ही हैं। इसका प्रमाण यह है कि ईश्वर ने हमारे हृदयों में अपने पुत्र का आत्मा भेजा है, जो यह पुकार कर कहता है -''अब्बा! पिता!'' इसलिए अब आप दास नहीं, पुत्र हैं और पुत्र होने के नाते आप ईश्वर की कृपा से विरासत के अधिकारी भी हैं।" (गला. 4, 6)

ख्रीस्तीय ईश्वर को अब्बा कहकर पुकारते हैं

संत पापा ने कहा कि इन दोनों वाक्यों में प्रेरित एक ही बात को दुहराते हैं। जिसमें सुसमाचार का सार निहित है। येसु को जानने एवं उनकी शिक्षा को सुनने के बाद एक ख्रीस्तीय ईश्वर को एक तानाशाह के रूप में नहीं देखता और उनसे भयभीत नहीं होता बल्कि हृदय में उनके प्रति विश्वास में बढ़ता है। वह अपने सृष्टिकर्ता को पिता कहकर उनसे बातें कर सकता है। यह अभिव्यक्ति ख्रीस्तीयों के लिए निश्चय ही महत्वपूर्ण है जिसके कारण इसको बहुधा मूल रूप "अब्बा" में व्यक्त किया जाता है।

नये व्यवस्थान में यह कम ही बार होता है कि अरामाईक अभिव्यक्ति को ग्रीक में अनुवाद नहीं किया जाता है। हम अरामाईक के इस शब्द में येसु की आवाज की कल्पना करें। हे हमारे पिता प्रार्थना के पहले शब्द में ही हम ख्रीस्तीय प्रार्थना के मौलिक नवीनता को पाते हैं।

ईश्वर को पिता पुकारने का अर्थ उनके रहस्य से जुड़ना

संत पापा ने कहा, "यह एक प्रतीक के रूप में पिता के चित्रण का प्रयोग करने का सवाल नहीं है बल्कि ईश्वर के रहस्य से जुड़ना है, यहाँ कहा जा सकता है कि येसु की पूरी दुनिया एक हृदय में समाहित है। यदि हम इस कार्य को पूरा करेंगे तभी हम "हे हमारे पिता" प्रार्थना को सच्चे हृदय से कर पायेंगे। पिता ईश्वर कहने की अपेक्षा "अब्बा" पुकारना अधिक निकट एवं भवनात्मक प्रतीत होता है। यही कारण है कि कुछ लोगों ने इस शब्द का अनुवाद पापा करने का प्रस्ताव रखा है। वास्तव में, इस अभिव्यक्ति में स्नेह, ऊष्मा एवं बाल सुलभ पिता के आलिंगन का एहसास है जिनके लिए उनके पास असीम कोमलता है।  

"हे हमारे पिता" प्रार्थना तब अधिक सार्थक

किन्तु निश्चय ही, यह सुसमाचार है जो हमें इस शब्द के भाव को अधिक स्पष्ट रूप से प्रकट करता है। "हे हमारे पिता" प्रार्थना तब अधिक सार्थक एवं रंगीन हो जाता है जब हम दयालु पिता के दृष्टांत को पढ़ने के बाद प्रार्थना करते हैं। (लूक. 15:11-32) इस प्रार्थना को उड़ाव पुत्र के द्वारा पिता के आलिंगन का एहसास करते हुए करने की कल्पना करें, जिन्होंने लम्बे समय तक उनका इंतजार किया। एक पिता जो अपने बेटे के कठोर शब्दों की याद नहीं करता तथा यह बतलाने की कोशिश करता है कि उसने उसके लिए कितना अधिक इंतजार किया। तब हम पायेंगे कि ये शब्द किस तरह सजीव और दृढ़ हो जाते हैं। हम अपने आप से पूछ सकते हैं कि क्या यह मेरे लिए संभव था उस ईश्वर के पास पुनः लौटना जो केवल प्रेम जानते हैं? प्रतिष्ठा कहाँ है, न्याय की मांग में अथवा घायल सम्मान के गुस्से में?  

पिता ईश्वर में एक माता का हृदय

इस दृष्टांत के पिता का व्यवहार एक माँ के हृदय से बहुत अधिक मिलता जुलता है। माताएँ ही हैं जो अपने बच्चों को माफ कर सकती हैं उनकी ओर से अपने स्नेह को कम नहीं करतीं और उनकी भलाई सोचना जारी रखतीं, उस समय भी जब बच्चे उनके प्रेम के योग्य न हों।  

यह पर्याप्त है कि हम "अब्बा" पुकारें क्योंकि यह एक ख्रीस्तीय प्रार्थना है। संत पौलुस अपने पत्र में इसी रास्ते को अपनाते हैं अन्यथा यह येसु का दिखलाया हुआ रास्ता नहीं होता। इस आह्वान में एक शक्ति है जो प्रार्थना के बाकी भाग को अपनी ओर खींचती है।

ईश्वर हमें प्यार करते हैं

संत पापा ने कहा कि ईश्वर आपको खोजते हैं भले ही आप उन्हें न खोजते हों। वे आपको प्यार करते हैं चाहे आप उन्हें भूल गये हों। ईश्वर आपमें एक सुन्दरता देखते हैं भले ही आपको लगता है कि आपने अपनी सभी प्रतिभाओं को व्यर्थ कर दिया है। ईश्वर एक माता के समान हैं जो कभी भी अपनी सृष्टि को प्यार करना नहीं छोड़ते। दूसरी ओर, एक चिन्ह है जो स्थायी है और शारीरिक रूप से नौ महीने से अधिक कहीं असीम प्रेम की एक परिधि निर्मित करता है। एक ख्रीस्तीय को प्रार्थना करना एवं सरलता से अब्बा पुकारना चाहिए।

कठिन परिस्थिति में अब्बा शब्द हमारी शक्ति

शायद हम भी ईश्वर से दूर चले जाते हैं जैसा कि उड़ाव पुत्र ने किया अथवा अकेलापन महसूस करते हैं जो हमें दुनिया में परित्यक्त महसूस कराता है या पाप एवं गलती की भावना से लकवाग्रस्त हो जाते हैं। इन कठिन परिस्थितियों में भी हम अब्बा शब्द से शुरू कर, प्रार्थना करने की शक्ति प्राप्त कर सकते हैं। ऐसा करने पर वे अपना चेहरा हमसे जरूर नहीं छिपायेंगे। वे चुपचाप बंद नहीं हो जायेंगे। वे हमें बतलायेंगे कि उन्होंने हमें अपनी नजरों से कभी दूर नहीं किया। वे सदा हमारे साथ रहे और हमारे प्रति अपने प्रेम में निष्ठावान बने रहे।

यह कहते हुए संत पापा फ्राँसिस ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की और सभी तीर्थयात्रियों और विश्वासी समुदाय का अभिवादन किया, खासकर, उन्होंने अमरीका से आये तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया। उन्होंने ख्रीस्तीय एकता हेतु प्रार्थना सप्ताह का स्मरण दिलाया जो अगला सप्ताह होगा।

अंत में, संत पापा ने सभी विश्वासियों और उनके परिवारों पर प्रभु येसु ख्रीस्त के आनन्द एवं शांति की कामना करते हुए, हे हमारे पिता प्रार्थना का पाठ किया और सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।

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16 January 2019, 14:05