खोज

संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस 

येसु का बपतिस्मा, मानव परिस्थिति में प्रवेश

आज, ख्रीस्त जयन्ती काल के अंत में, हम प्रभु के बपतिस्मा का पर्व मनाते हैं। धर्मविधि हमें निमंत्रण देता है कि हम येसु को अधिक गहराई से जाने, जिनका जन्म पर्व हमने अभी-अभी मनाया है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 14 जनवरी 2019 (रेई)˸ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 13 जनवरी को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

आज, ख्रीस्त जयन्ती काल के अंत में, हम प्रभु के बपतिस्मा का पर्व मनाते हैं। धर्मविधि हमें निमंत्रण देता है कि हम येसु को अधिक गहराई से जाने, जिनका जन्म पर्व हमने अभी-अभी मनाया है। यही कारण है कि सुसमाचार दो महत्वपूर्ण बिन्दूओं पर प्रकाश डालता है, लोगों के साथ येसु का संबंध एवं पिता के साथ येसु का संबंध।  

येसु का बपतिस्मा

बपतिस्मा की घटना में, योहन बपतिस्ता द्वारा यर्दन नदी में बपतिस्मा के दौरान हम सर्वप्रथम लोगों की भूमिका देखते हैं। येसु लोगों के बीच हैं यह न केवल दृष्य की पृष्टभूमि है बल्कि घटना का महत्वपूर्ण भाग है। जल में प्रवेश करने के पूर्व येसु लोगों के बीच आते हैं तथा मानव परिस्थिति में प्रवेश करते हैं। वे पाप को छोड़ बाकी सबकुछ में मानव जीवन के सहभागी होते हैं।

संत पापा ने कहा कि अपनी दिव्य पवित्रता में, कृपा एवं करूणा से पूर्ण ईश्वर के पुत्र ने शरीर धारण किया ताकि संसार के पापों को दूर कर सके तथा हमारी दुर्बलताओं एवं मानवीय परिस्थिति को अपना सके। अतः आज भी उनकी प्रकाशना होती है क्योंकि वे योहन के पास बपतिस्मा के लिए जाते हुए अपने लोगों के बीच, पश्चातापी लोगों के साथ चलते और अपने मिशन के तर्क एवं अर्थ को प्रकट करते हैं।  

नई दुनिया, नई सृष्टि की शुरूआत

उन लोगों के साथ शामिल होकर जिन्होंने योहन से पश्चाताप के बपतिस्मा की याचना की, येसु भी उनके समान आंतरिक नवीनीकरण की प्रबल इच्छा रखते हैं और पवित्र आत्मा उनपर कपोत के रूप में उतरता है जो चिन्ह है कि येसु एक नई दुनिया, एक नई सृष्टि की शुरूआत कर रहे हैं जिसमें वे सभी लोग आते हैं जो अपने जीवन में ख्रीस्त का स्वागत करते हैं।

हमारे हृदय में पिता के प्रेम की एक ज्वाला

संत पापा ने कहा कि हम प्रत्येक भी, जिन्होंने बपतिस्मा द्वारा ख्रीस्त में पुनः जन्म पाया है, पिता ईश्वर कहते हैं, "तुम मेरे प्रिय पुत्र हो मैं तुमसे अत्यन्त प्रसंन्न हूँ।"      पिता का प्रेम जिसको हमने अपने बपतिस्मा के दिन ग्रहण किया है वह एक ज्वाला है जिसको हमारे हृदयों में प्रज्वलित किया गया है तथा उसे प्रार्थना एवं उदार कार्यों द्वारा पोषित करना है।

येसु का मिशन पिता का प्रेम और अच्छाई प्रकट करना

सुसमाचार लेखक संत लूकस द्वारा प्रकाश डाला गया दूसरा बिन्दू है- लोगों के बीच आने एवं यर्दन नदी में प्रवेश करने के बाद, येसु प्रार्थना द्वारा अपने अंदर प्रवेश करते हैं अर्थात् पिता के साथ संयुक्त होते हैं। बपतिस्मा येसु के सार्वजनिक जीवन की शुरूआत है, पिता के राजदूत के रूप में दुनिया में उनके मिशन की शुरूआत। पिता की अच्छाई एवं लोगों के प्रति उनके प्रेम को प्रकट करने के मिशन की शुरूआत। यह मिशन पिता ईश्वर एवं पवित्र आत्मा के साथ पूर्ण रूप से संयुक्त होने के द्वारा पूरा होता है।

कलीसिया का मिशन

संत पापा ने कहा कि कलीसिया का मिशन एवं हम प्रत्येक का मिशन है निष्ठावान एवं फलप्रद बनने के लिए येसु से संयुक्त होना। हमें ख्रीस्तीय साक्ष्य देने के लिए प्रार्थना द्वारा लगातार बल प्राप्त करने की आवश्यकता है, हमारे मानवीय योजना के अनुसार नहीं बल्कि ईश्वर की योजना एवं पद्धति के अनुसार।

कृतज्ञता एवं दृढ़ता के साथ बपतिस्मा की प्रतिज्ञा को नवीकृत करें

संत पापा ने हमारे बपतिस्मा की प्रतिज्ञा की याद दिलाते हुए कहा, "प्रभु के बपतिस्मा का पर्व एक उपयुक्त अवसर है जब हम कृतज्ञता एवं दृढ़ता के साथ बपतिस्मा की अपनी प्रतिज्ञा को नवीकृत करते हैं। इसके अनुसार जीते हुए हम अपने आपको समर्पित करते हैं।" संत पापा ने कहा कि यह भी बहुत महत्वपूर्ण है कि हम अपने बपतिस्मा की तिथि को जानें। उन्होंने प्रश्न किया कि कितने लोग अपने बपतिस्मा की तिथि को जानते हैं निश्चय ही सभी कोई इसे नहीं जानते। यदि कोई अपने बपतिस्मा की तिथि को नहीं जानते हैं तो घर जाकर अपने माता-पिता, दादा-दादी, चाचा-चाची, धर्म माता- पिता अथवा मित्रों से इसके बारे पूछें और इसे न भूलें, यह एक ऐसी तिथि है जिसे नहीं भूलना चाहिए और इसे यादकर, हर साल मनाया जाना चाहिए।

 माता मरियम हमारी आदर्श  

येसु जिन्होंने हमें मुक्ति प्रदान की है, हमारी योग्य के आधार पर नहीं बल्कि पिता की अच्छाई के कारण जो हमें भी दयालु बनने हेतु प्रेरित करते हैं। माता मरियम करुणा की माता हमारी मार्गदर्शक एवं आदर्श बने।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

14 January 2019, 13:58