जागरण प्रार्थना के दौरान पवित्र संस्कार की आराधना करते युवा जागरण प्रार्थना के दौरान पवित्र संस्कार की आराधना करते युवा 

क्या आप "हाँ" कहना चाहते हैं, जागरण प्रार्थना में युवाओं से पोप

संत पापा फ्रांसिस ने 26 जनवरी को पनामा के मेट्रो पार्क में युवाओं के साथ जागरण प्रार्थना में भाग लिया तथा युवाओं को ईश्वर की प्रेम कहानी का हिस्सा बनने का निमंत्रण दिया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

प्रार्थना के दौरान की गयी प्रस्तुति पर ध्यान केंद्रित करते हुए संत पापा ने युवाओं से कहा, "हमने जीवन वृक्ष के बारे जो सुन्दर प्रस्तुति देखी है वह दिखलाता है कि येसु ने हमें जो जीवन दिया है वह एक प्रेम कहानी है, जो हमारे जीवन की मिट्टी में जड़ जमाना चाहती है। जीवन वैसी मुक्ति नहीं है जो बादलों में हो तथा जिसे डाउनलोड किया जाए अथवा नये ऐप की खोज की जाए या किसी आत्म विकास की नई तकनीकी अपनाया जाए। जो मुक्ति प्रभु हमें प्रदान करते हैं वह एक निमंत्रण है कि हम उस प्रेम कहानी का हिस्सा बनें और उसे हमारी व्यक्तिगत कहानियों से जुड़ें। यह जीवित है और हमारे बीच जन्म लेना चाहता है ताकि हम अपने ही स्तर से जहाँ और जिनके बीच रहते हैं वहाँ फल उत्पन्न कर सकें। प्रभु हमारे बीच बोने और बोये जाने के लिए आते हैं। हमारे जीवन एवं हमारे इतिहास में वे पहले हैं और चाहते हैं कि हम भी उनके साथ "हाँ" कहें।

उन्होंने मरियम को विस्मित किया तथा इस प्रेम कहानी में भाग लेने का निमंत्रण दिया। निश्चय ही, नाजरेथ की युवती उस समय के सामाजिक संचार से जुड़ी नहीं थी और न ही अधिक लोकप्रिय थी किन्तु अनचाहे ही वह इतिहास की सबसे प्रसिद्ध महिला बन गयी।

मरियम ने ईश्वर को प्रभावित किया

मरियम "हाँ" कहने में समर्थ थी तथा ईश्वर के प्रेम एवं उनकी प्रतिज्ञा में भरोसा रखती थी उसी शक्ति ने सब कुछ को नया कर दिया।

हम उस युवती द्वारा देवदूत को कहे गये, "जी हाँ, आपका कथन मुझमें पूरा हो" की शक्ति से सदा प्रेरित होते हैं। यह केवल निष्क्रिय "हाँ" नहीं थी। यह कुछ और थी। यह उस व्यक्ति की "हाँ" थी जो समर्पित होने, जोखिम उठाने, सब कुछ को दाँव पर लगा देने के लिए तैयार थी और जानती थी कि एक प्रतिज्ञा को पूरा करने वाली है। निश्चय ही, उसका मिशन कठिन था किन्तु आने वाली चुनौतियों के लिए नहीं कहने का उसके पास कोई कारण नहीं था। चीजें जटिल हो सकती हैं किन्तु उनका सामना किया जा सकता है। हाँ कहना तथा सेवा की तीव्र अभिलाषा रखना उनके हर संदेह और कठिनाई से अधिक शक्तिशाली थी।

संत पापा ने युवाओं से कहा कि आज हमने सुना कि मरियम का हाँ कहना हर पीढ़ी में प्रतिध्वनित हो रही है। कई युवा, मरियम के समान जोखिम उठा रहे हैं तथा अपने भविष्य की प्रतिज्ञा को दाँव पर लगा रहे हैं।

युवाओं का साक्ष्य   

संत पापा ने एरिका एवं रोगेलियो के साक्ष्य के लिए उन्हें धन्यवाद दिया तथा कहा कि उन्होंने मरियम की तरह "हाँ" कहा और अपने बीमार बच्चे को स्वीकार किया। उन्होंने माना कि दुनिया केवल मजबूत लोगों के लिए नहीं बल्कि दुर्बलों के लिए भी है।

प्रभु को हाँ कहने का अर्थ है, जीवन को उसकी हर दुर्बलता, सरलता और कई बार उसके संघर्ष और झुंझलाहट में स्वीकार करने के लिए तैयार होना। इसका अर्थ है अपने देश, अपने परिवार एवं मित्रों को उनकी कमजोरियों एवं दुर्बलताओं के साथ उसी तरह स्वीकार करना जैसे वे हैं।

जीवन को स्वीकार करने का अर्थ यह भी है कि चीजों को स्वीकार कर पाना कि वे पूर्ण और शुद्ध नहीं हैं फिर भी वे प्रेम किये जाने के लिए कम काबिल नहीं हैं। क्या कोई विकलांग अथवा कमजोर व्यक्ति प्रेम किये जाने के लायक नहीं है? क्या कोई परदेशी, गलती करने वाला व्यक्ति अथवा बीमार या कैदी प्रेम किये जाने के योग्य नहीं होता? हम जानते हैं कि येसु ने उन सभी से प्रेम किया। उन्होंने कोढ़ी, अंधे, अर्धांग रोगी, फरीसी एवं पापी सभी को गले लगाया। उन्होंने क्रूस पर से डाकू को स्वीकार किया तथा उन सभी को मांफ कर दिया जिन्होंने उन्हें क्रूसित किया था।

उन्होंने क्यों ऐसा किया?

उन्होंने ऐसा किया क्योंकि केवल प्रेम ही बचा सकता है। केवल स्वीकार किया गया व्यक्ति ही बदल सकता है। प्रभु का प्रेम हमारी सभी समस्याओं, असफलताओं एवं कमजोरियों से बढ़कर है।

वे हमारी समस्याओं, धोखाधड़ी और दोषों के माध्यम से ही इस प्रेम कहानी को लिखना चाहते हैं। उन्होंने उड़ाव पुत्र का आलिंगन किया, पेत्रुस के अस्वीकार के बाद भी उसे गले लगाया और जब हम गिर जाते हैं तब वे हमारा आलिंगन करते है। वे हमें उठने और अपने पैरो पर खड़े होने में मदद देते हैं क्योंकि वह गिरना सबसे बुरा है जिसमें हम पड़े रहते और उससे ऊपर उठने की कोशिश ही नहीं करते हैं, यह हमारे जीवन को  बर्बाद कर देता है।

ईश्वर के प्रेम को समझना कठिन है किन्तु यह जानना हमारे लिए एक बड़ा वरदान है कि हमारे एक पिता हैं जो हमारी सभी दुर्बलताओं के बावजूद हमें स्वीकार करते हैं। अतः पहला कदम है जीवन को स्वीकार करने से नहीं डरना।

संत पापा ने अल्फ्रेदो के साक्ष्य और उसके साहस के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि हमारे लिए बढ़ना असंभव है यदि हमारा कोई मजबूत जड़ न हो, जो हमें सहारा दे तथा जमीन पर टिकाये रखे। यदि आधार न हो तो निश्चय ही हम गिर जायेंगे। एक सवाल है जिसे हम वयोवृद्धों को अपने आप से पूछना चाहिए और युवा भी उनसे पूछ सकते हैं कि हम किस प्रकार की जड़ उन्हें प्रदान कर रहे हैं। एक इंसान के रूप में बढ़ने के लिए क्या आधार उन्हें प्रदान किया गया है। युवाओं के बारे शिकायत करना आसान है यदि हम उन्हें नौकरी, शिक्षा और सामुदायिक अवसरों से बंचित कर रहे हैं। उन्हें जड़ पकड़ने तथा अपने भविष्य का सपना देखने की आवश्यकता है किन्तु शिक्षा, रोजगार, परिवार एवं समुदाय के बिना भविष्य का स्वापन देखना मुश्किल है शायद असंभव भी। क्योंकि भविष्य का सपना देखने का अर्थ है उत्तर देने सीखना, न केवल उस सवाल का कि मैं क्या के लिए जी रहा हूँ, किन्तु किसके लिए जी रहा हूँ मेरे जीवन को जीने में क्या सार्थक बनाता है।

खालीपन को भरने के लिए हम कुछ भी कर सकते हैं

अलफ्रेदो के समान बिना शिक्षा, बिना काम, समुदाय एवं परिवार के हम दिन के अंत में खाली महसूस करेंगे तथा उस खालीपन को भरने के लिए हम कुछ भी कर सकते हैं क्योंकि तब हम नहीं जानते कि हम किसके लिए जी रहे हैं।

संत पापा ने एक युवा के उन सवालों का जिक्र किया जिसने उनसे पूछा था कि क्यों आज कई युवा ईश्वर के अस्तित्व पर विश्वास में रूचि नहीं रखते अथवा उनपर विश्वास करने में कठिनाई महसूस करते हैं तथा अपने जीवन में उद्देश्यहीन लगते हैं। तब संत पापा ने पुनः उन्हीं से पूछा था कि वे इसके बारे में क्या सोचते हैं और उनके उत्तर ने संत पापा को काफी प्रभावित किया था। उत्तर इस प्रकार था, यह इसलिए क्योंकि कई लोग महसूस करते हैं कि धीरे-धीरे वे अन्यों से दूर हटने लगते हैं और बहुधा गायब रहते हैं। संत पापा ने कहा कि यह परित्याग एवं दूसरों के प्रति चिंता नहीं करने की संस्कृति है। कई लोग सोचते हैं कि उन्हें थोड़ा अथवा कुछ भी सहयोग नहीं करना है क्योंकि उनके आसपास कोई नहीं है जो उन्हें शामिल होने को कहे। इस स्थिति में वे ईश्वर के अस्तित्व पर कैसे विश्वास कर सकते हैं।

हम जानते है कि हमेशा जुड़े रहने के लिए एक-दूसरे को पहचानना और प्यार करना काफी नहीं है। इसके लिए आदर किये जाने, शामिल किया जाना महसूस करना  आवश्यक है।

इसका अर्थ है अपने हाथ, हृदय और मन के साथ वहाँ स्थान पाना एवं बृहद समुदाय का हिस्सा महसूस करना जिसमें हमारी अवश्यकता है और हमें उसकी आवश्यकता है।  

संतों ने इसे बहुत अच्छी तरह से समझा था, उदाहरण के लिए संत जॉन बोस्को ने। वे युवाओं को खोजने दूर नहीं गये किन्तु सब कुछ को ईश्वर की नजरों से देखना सीखा। इस तरह वे सैकड़ों बच्चों एवं युवाओं से प्रभावित हुए जिनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था और जो शिक्षा, काम और समुदाय की मदद से वंचित थे। उसी शहर में अनेक लोग रहते थे किन्तु वे ईश्वर की नजरों से देखने में असमर्थ थे। डॉन बोस्को ने ऐसा किया और पहला कदम लेने की शक्ति प्राप्त की। वहाँ से वे दूसरा कदम लेने, समुदाय का निर्माण करने और परिवार बनाने से नहीं डरे और जहाँ उन्होंने काम और अध्ययन के द्वारा प्रेम किया हुआ महसूस किया। उन्होंने उन्हें वह रास्ता दिखलाया जिसपर चलकर वे स्वर्ग पहुँच सकते हैं।

जहाँ समुदाय है वहाँ नई टहनियों का निकलना एवं बढ़ना हमेशा संभव है। एक उपयुक्त घर जड़ जमाने में मदद देता है जो हमें आवश्यक साहस प्रदान करता तथा एक नई क्षितिज प्राप्त करने में मदद देता है।

समाज का विकास

संत अलबेर्तो हुरतादो ने एक बार पूछा था कि क्या समाज का विकास केवल नवीनतम कार या बाजार से नवीनतम गैजेट खरीदने से संभव है? क्या इंसान के रूप में हमारी महानता इसी पर निर्भर है? संत पापा ने युवाओं से पूछा कि क्या उनका महान बनने का विचार इस तरह का है? माता मरियम ने इसे समझा था और कहा था? आपका कथन मुझमें पूरा हो? सुसमाचार बतलाता है कि दुनिया तब तक बेहतर नहीं बन सकती जब तक कि इसके रोगी, कमजोर और वयोवृद्ध लोगों की चिंता कम की जाती है। यह तभी बेहतर बन सकती है जब अधिक लोग भविष्य को स्थान देने के लिए उत्साहित एवं तत्पर होते हैं। सिर्फ प्रेम ही हमें अधिक मानवीय बना सकता है तथा सब कुछ को खुशी के साथ करने हेतु प्रेरित कर सकता है।

संत पापा ने पवित्र संस्कार की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि हम पवित्रतम संस्कार में येसु से मुलाकात करेंगे। जब हम उनसे आमने सामने होंगे तो अपना हृदय खोलने से नहीं डरें तथा उनसे प्रार्थना करें कि वे हमारे प्रेम को नवीकृत कर दें ताकि हम जीवन को उसकी हर दुर्बलता और सुन्दरता के साथ स्वीकार कर सकें। प्रभु हमें जीने की सुन्दरता को पाने में मदद करे। उन्हें यह बतलाने से नहीं डरें कि हम दुनिया में उनकी प्रेम कहानी का हिस्सा बनना चाहते हैं।

संत पापा ने युवाओं से कहा, प्रिय मित्रो, जब आप येसु से आमने-सामने मिलेंगे, तब आपसे आग्रह करता हूँ कि आप मेरे लिए विन्ती करें ताकि मैं भी जीवन का आलिंगन करने, उसके मूल की चिंता करने से न डरूँ, उसी तरह जिस तरह मरियम नहीं डरी और कहा, "आपका कथन मुझमें पूरा हो जाए।"  

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27 January 2019, 14:28