कासा होगार बेन समारितानो आश्रम में संदेश देते संत पापा कासा होगार बेन समारितानो आश्रम में संदेश देते संत पापा 

एडस आश्रम, कलीसिया का ममतामय चेहरा

संत पापा फ्राँसिस ने विश्व युवा दिवस के उपलक्ष्य में पनामा की प्रेरितिक यात्रा के अंतिम दिन, एडस की बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए निर्मित कासा होगार बेन समारितानो जुवान डियाज़ आश्रम का दौरा किया जहाँ उन्होंने अपना संदेश दिया और संदेश के अंत में देवदूत प्रार्थना का पाठ किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

संत पापा ने कहा, "इस मुलाकात की तैयारी में जब मैं इस आश्रम के एक सदस्य के साक्ष्य को पढ़ रहा था तब उसने मेरा हृदय छू लिया। जिसमें कहा गया है, "यहाँ मेरा पुनःजन्म हुआ।" उन्होंने कहा कि यह आश्रम नये जीवन के चिन्ह हैं जिनको प्रभु हमें देना चाहते हैं। इसके द्वारा हमारे भाई बहनों के विश्वास को सुदृढ़ करना आसान है जहाँ उनके घावों पर मरहम पट्टी लगायी जाती है, उनकी आशा को नवीकृत किया जाता और उन्हें विश्वास को प्रोत्साहन दिया जाता है। संत पापा ने कहा कि इस घर में न केवल लाभार्थियों का पुनःजन्म होता है बल्कि कलीसिया एवं विश्वास का भी जन्म होता है जो प्रेम द्वारा लगातार उत्पन्न किया जाता है।

हमारा पुनःजन्म का होता है

हम तब पुनःजन्म प्राप्त करते हैं जब पवित्र आत्मा हमें दृष्टि प्रदान करता है जिसके द्वारा हम दूसरों को अपने पड़ोसियों के समान देख सकते हैं।   

सुसमाचार बतलाता है कि येसु से एक दिन पूछा गया कि कौन हमारा पड़ोसी है। इस सवाल का उत्तर उन्होंने सिद्धांत के रूप में नहीं दिया बल्कि इसे समझाने के लिए भले समारितानी का दृष्टांत सुनाया। यह दृष्टांत वास्तविक जीवन से लिया गया था जिसको हम समझ सकते और अनुभव कर सकते हैं। मेरा पड़ोसी एक व्यक्ति है जिससे मेरी मुलाकात रास्ते पर होती है जो मुझे प्रभावित करता है। इस तरह यह हमारी प्राथमिकताओं को करने के हमारे निर्धारित तरीकों से आगे बढ़ने तथा उस अनुभव से प्रभावित होकर रूक जाने एवं हमारी यात्रा में उनके लिए जगह देने हेतु प्रेरित करता है। यही भले समारी ने किया, जब उन्होंने एक व्यक्ति को रास्ते पर अधमरा देखा। वह व्यक्ति न केवल डाकूओं द्वारा हमला किया गया था बल्कि याजकों और लेवियों द्वारा भी अनदेखा किया गया था। उदासीनता भी व्यक्ति को मार सकता है, घायल कर सकता है। कुछ लोगों ने चंद पैसे के लालच में और अशुद्ध हो जाने के भय से उस व्यक्ति के जान को खतरे में डाल दिया था। फिर भी, उन्हें उस व्यक्ति को रास्ते के किनारे अधमरा छोड़ने में किसी तरह की गलती महसूस नहीं हुई। जबकि भले समारी के लिए आवश्यकता में पड़े व्यक्ति की मदद करना सबसे बढ़कर थी। व्यक्तियों को चाहे वे किसी भी परिस्थिति में क्यों न हों, हमें कभी नहीं टालना या न अनदेखा करना चाहिए। वही चेहरा मानवता को प्रकट करता है जो बहुधा पीड़ित होता एवं अनदेखा किया जाता है।

हमारा पड़ोसी कौन?

इस तरह हमारा पड़ोसी वही है जो हमारे जीवन में असुविधा लाता है क्योंकि वह हमें स्मरण दिलाता है और महत्वपूर्ण चीज की ओर इशारा करता है। यह प्रभु के मार्ग में आगे बढ़ने हेतु हमें हर प्रकार के छिछले पन से मुक्त करता।  

संत पापा ने भले समारितानी आश्रम के स्वंयसेवकों से कहा कि इस घर में रहने का अर्थ है कलीसिया के ममतामय चेहरे से प्रेरित होना, जो एक परिवार एवं एक समुदाय का निर्माण करता है। सामान्यतः, कलीसिया का चेहरा अदृश्य होता है। यह अनजाने ही पार हो जाता है। फिर भी यह ईश्वर की ठोस करूणा एवं कोमल स्नेह का चिन्ह है, पुनरूत्थान के सुसमाचार का जीवित चिन्ह जो आज भी हमारे जीवन में क्रियाशील है। एक घर का निर्माण करने का अर्थ है परिवार का निर्माण करना, उपयोगितावादी और व्यावहारिक बंधनों से अधिक दूसरों से जुड़ाव महसूस करने सीखना, इस तरह से एकजुट होना ताकि यह महसूस किया जा सके कि हमारा जीवन अधिक मानवीय है। एक परिवार के निर्माण का अर्थ है अपने समय को कम ठंढ़ा, कम उदासीन और कम गुमनाम बनाना। दैनिक जीवन के छोटे-छोटे चिन्हों द्वारा संबंधों का निर्माण करना। इसके लिए एक साथ काम करने की आवश्यकता है। कोई भी उदासीन अथवा अकेला न छोड़ा जाए क्योंकि प्रत्येक जन घर के निर्माण हेतु एक पत्थर है। हमें प्रभु से प्रार्थना करना है ताकि हम धीरज रखने की कृपा प्राप्त करें, एक-दूसरे को माफ करें और एक नई शुरूआत के साथ दिन का शुभारम्भ कर सकें।  

संबंध स्थापित करने के लिए दृढ़ता एवं विश्वास की आवश्यकता

हमें कितनी बार क्षमा देना और नई शुरूआत करना है? येसु ने कहा था सत्तर गुण सात बार तक, अर्थात् जितनी बार अवश्यकता है उतनी बार। एक मजबूत संबंध स्थापित करने के लिए दृढ़ता एवं विश्वास की आवश्यकता है जिसे धीरज एवं क्षमा के द्वारा प्रतिदिन पोषित किया जाना चाहिए। इसी से चमत्कार होता है, यहीं हम पुनःजन्म का एहसास करते हैं क्योंकि हम ईश्वर के प्रेम का एहसास करते हैं जो हमें अधिक मानवीय विश्व का स्वापन देखने में मदद देता है इस तरह यह संसार अधिक दिव्य बन जाता है।

संत पापा ने केंद्र में काम करने वाले सभी स्वयंसेवकों को उनकी उदारता एवं उदाहरणों के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने सभी उपकारकों और स्वयंसेवकों के प्रति अपना आभार प्रकट किया।

संत पापा ने सभी को माता मरियम के चरणों में सिपूर्त करते हुए उनसे प्रार्थना करने का आह्वान किया ताकि वे हमें अपने पड़ोसियों को पहचानने तथा उनकी सहायता हेतु शीघ्र आगे बढ़ने में मदद दे। यह सभी का मिशन है।

अपनी सभी चिंताओं, परेशानियों और जरूरतों को माता मरियम के सम्मुख रखने का प्रोत्साहन देते हुए संत पापा ने देवदूत प्रार्थन का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।   

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संत पापा फ्राँसिस ने एडस की बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए निर्मित कासा होगार बेन समारितानो आश्रम का दौरा किया
28 January 2019, 13:30