स्वीकार नहीं किये जाने का दर्द
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, मंगलवार, 18 दिसम्बर 2018 (रेई)˸ पिछले कई सालों में पलायन की समस्या बढ़ गयी है क्योंकि लोग एक-दूसरे को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। जाति, धर्म, संस्कृति एवं स्वार्थ के नाम पर विभाजन अनेक लोगों को अपना घर, समाज एवं देश छोड़कर भागने के लिए मजबूर कर रहा है। येसु को भी इसी तरह की परिस्थिति का सामना करना पड़ा था।
संत पापा ने 18 दिसम्बर को विश्व आप्रवासी दिवस के अवसर पर एक ट्वीट प्रेषित कर, अस्वीकार कर दूसरों को दुःख देने से बचने की प्रेरणा दी।
उन्होंने संदेश में लिखा, "येसु स्वीकार नहीं किये जाने के दर्द को जानते हैं। हमारा हृदय बेतलेहेम के उन घरों के समान बंद न हो।"
आज के अपने दूसरे ट्वीट में संत पापा ने लिखा, "संत जोसेफ के समान एक स्वप्न का व्यक्ति बनें, न कि ख्वाबों का। वे स्वभाव से एक मौन वक्ति थे क्योंकि वे ईश्वर की योजना का सम्मान करते थे।"
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