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श्री लंका में क्रिसमस संगीत समारोह श्री लंका में क्रिसमस संगीत समारोह 

क्रिसमस संगीत समारोह के कलाकारों को सन्त पापा ने किया सम्बोधित

सन्त पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार को वाटिकन में आयोजित क्रिसमस संगीत समारोह के कलाकारों को सम्बोधित किया। सन्त पापा ने कहा, "क्रिसमस नित्य नया त्यौहार होता है, इसलिये कि यह हमें विश्वास में पुनः जन्म लेकर आशा के साथ जीने के लिये आमंत्रित करता है, यह हमें उदारता के लिये आमंत्रित करता है। इस वर्ष यह हमें, विशेष रूप से, हमारे युग के अनेकानेक स्त्री-पुरुषों और बच्चों पर दृष्टि लगाने के लिये आमंत्रित करता है जो कठिनाइयों में पड़े हैं।"

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 14 दिसम्बर 2018 (रेई, वाटिकन रेडियो): सन्त पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार को वाटिकन में आयोजित क्रिसमस संगीत समारोह के कलाकारों को सम्बोधित किया.

सन्त पापा ने कहा, "क्रिसमस नित्य नया त्यौहार होता है, इसलिये कि यह हमें विश्वास में पुनः जन्म लेकर आशा के साथ जीने के लिये आमंत्रित करता है, यह हमें उदारता के लिये आमंत्रित करता है. इस वर्ष यह हमें, विशेष रूप से, हमारे युग के अनेकानेक स्त्री-पुरुषों और बच्चों पर दृष्टि लगाने के लिये आमंत्रित करता है जो कठिनाइयों में पड़े हैं. " उन्होंने कहा, "विशेष रूप से, युद्ध, सामाजिक न्याय के अभाव तथा जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों के कारण अपने देश का पलायन करनेवाले आप्रवासियों, शरणार्थियों पर ध्यान देने का आवश्यकता है जो अपना सर्वस्व छोड़कर अनजान देश में शरण मांगने के लिये बाध्य होते हैं. "

आप्रवासी और शरणार्थी अन्याय से पीड़ित निर्दोष बच्चे

सन्त पापा ने कहा, "येसु हमारे बीच निवास करने आये, हमारी सीमितताओं और पापों के बीच उन्होंने निवास किया ताकि हमें ईश्वर के प्रेम से परिचित करा सकें. ईशपुत्र होते हुए भी वे मानव बनें और अपने प्राणों का आहुति देकर हमें प्रेम और सेवा का मार्ग दिखाया. "  

उन्होंने कहा कि जब "हेरोद का क्रोध बेथलेहेम पर पड़ा तब नाज़रेथ के पवित्र परिवार को भी अत्याचार और उत्पीड़न के दुखद अनुभव से पार होना पड़ा जिसने ईश्वर द्वारा मार्गदर्शन पाकर मिस्र में शरण ली. शिशु येसु हमारा ध्यान विश्व में व्याप्त आज के अनगिनत शरणार्थियों की आर आकर्षित कराते हैं क्योंकि ये सभी मानवीय अन्याय से पीड़ित निर्दोष बच्चे हैं. "

प्रतिष्ठापूर्ण जीवन का मार्ग है शिक्षा

सन्त पापा ने कहा, "कलीसिया द्वारा आप्रवासियों एवं शरणार्थियों के लिये कई पहलें आरम्भ की गई है जो सराहनीय है किन्तु अभी बहुत कुछ करना शेष है. विशेष रूप से, उन बच्चों पर ध्यान देना अनिवार्य है जो आप्रवासी और शरणार्थी जीवन के लिये बाध्य होने के कारण स्कूलों में जाने के बजाय एक स्थान से दूसरे स्थान तक लम्बी-लम्बी पैदल या जलयात्रा करने के लिये मजबूर हैं. इन बच्चों के लिये शिक्षा का प्रबन्ध करना अनिवार्य है."

सन्त पापा ने कहा, "शिक्षा प्रदान करने का अर्थ है वनय देना ताकि वे साहस एवं शक्ति सहित प्रतिष्ठापूर्ण जीवन यापन कर सकें." शरणार्थियों के प्रति शिविरों के द्वारों को खोलने का आह्वान कर सन्त पापा ने कहा कि शरणार्थियों एवं आप्रवासियों को समाज में एकीकृत कर तथा उनके प्रति एकात्मता एवं उदारता दर्शा कर ही हम ख्रीस्तीय सही मायने में क्रिसमस मना पायेंगे.  

क्रिसमस संगीत समारोह के कलाकारों से सन्त पापा ने कहा कि वे अपने गीतों एवं भजनों द्वारा येसु के प्रेम सन्देश का प्रसार करना जारी रखें ताकि "आपके गीत हर दिल में क्रिसमस की कोमलता और गरमाहट को पहुँचा सकें."  

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14 December 2018, 11:51