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मोल्फेटा धर्मप्रांत से आये तीर्थयात्रियों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस मोल्फेटा धर्मप्रांत से आये तीर्थयात्रियों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस 

तीर्थयात्रियों से संत पापा : आगमन सांत्वना और आशा का एक समय है

संत पापा फ्राँसिस ने इटली के यूजेन्तो धर्मप्रांत के सांता मारिया दी लेउका, मोल्फेटा धर्मप्रांत के रुवो, जोविनाज़ो और टेरिलज्ज़ी से आये तीर्थयात्रियों से मुलाकात कर आगमन के अर्थ पर चिंतन करते हुए संदेश दिया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 3 दिसम्बर 2018 (वाटिकन न्यूज) : संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार शाम को इटली के दक्षिण-पूर्वी भाग के दो धर्मप्रांतों से आये तीर्थयात्रियों से काथलिक कलीसिया के नये पंचांग की शुरुआत, आगमन काल के अर्थ पर चिंतन करते हुए अपने विचार साझा किये।

ईश्वर की नवीनता लाने वाला ‘आगमन काल’

संत पापा ने कहा कि आगमन सांत्वना और आशा का एक समय है। कलीसिया के नये पंचांग की शुरुआत अपने साथ उस ईश्वर की नवीनता को लाती है जो सभी सांत्वना के ईश्वर हैं। संत पापा ने मेवफेत्ता धर्मप्रांत के पूर्व धर्माध्यक्ष ईश सेवक धर्माध्यक्ष तोनीनो बेल्लो की बातों को याद करते हैं जिन्होंने लिखा था, "हम नई चीजों के इच्छुक हैं क्योंकि हम महान चीजों के लिए पैदा हुए हैं।" संत पापा फ्रांसिस ने कहा,यह सच है, "हम ईश्वर के साथ रहने के लिए पैदा हुए हैं। जब हम ईश्वर को अपने जीवन में प्रवेश करने की इजाजत देते हैं, तो सच्ची नवीनता आती है।"

संत पापा ने कहा कि जीवन, उन चीज़ों की प्रतीक्षा में नहीं बिताना चाहिए जो कभी नहीं आती; लेकिन उम्मीद में,  ईश्वर की आकांक्षा में "जो हमेशा नवीनता लाती है।" संत पापा ने समझाया कि इन्तजार करने का मतलब बिना कुछ किये निठल्ले प्रतिक्षा करना नहीं है, बल्कि "प्यार में सक्रिय होना" है। ख्रीस्तीय प्रत्याशा की खुशी रखने और फैलाने के लिए बुलाये जाते हैं : हम ईश्वर की प्रतीक्षा करते हैं, जो हमें अनन्तकाल से प्यार करते हैं और साथ ही "स्वर्ग में हमेशा के लिए अपने साथ रहने हेतु हमारा इंतजार कर रहे हैं।

आनंदमय प्रतीक्षा का समय

संत पापा फ्राँसिस ने पुनः दोन तोनीनो की बातों को दोहराते हुए कहा, "मुझे उम्मीद है कि आप आगमन काल को "नवीनता की सांत्वना और  इन्तजार की खुशी के साथ बितायेंगे।"उन्होने कहा कि यह दुनिया अक्सर डर से भरी लगती है - लेकिन आगमन डर के विपरीत "निडरता के सुसमाचार" के साथ इसका जवाब देता है। आगमन के प्रथम रविवार के सुसमाचार के संदेश का सार इन दो शब्दों में है: "देखो," और "अपने सिर उठाओ।" यदि डर हमें नीचे खींच रहा है, तो, "येसु हमें ऊपर स्वर्ग की ओर अपनी नज़र उठाने के लिए आमंत्रित करते हैं जहाँ से वे आने वाले हैं।"

आगे बढ़ने का निमंत्रण

संत पापा फ्राँसिस ने गौर किया कि ये सभी तीर्थयात्री, जो भूमध्यसागरीय सीमा के धर्मप्रांतों से आते हैं, "समुद्र की सुंदरता से भली भांति वाकिफ हैं।" उन्होंने कहा, समुद्र को देखकर, "आप जीवन के अर्थ के बारे में सोच सकते हैं: आप एक सुरक्षित बंदरगाह में सभी समय के लिए रुक नहीं सकते, लेकिन समुद्र का सुरक्षित किनारा छोड़कर खुले समुद्र में बाहर निकलने के लिए आप बुलाये गये हैं।" संत पापा ने कहा, "आइये, हम सुसमाचार के निमंत्रण को गले लगायें। डोन तोनीनो भी हमें उठने और अपने पैरों पर खड़े होकर, ऊपर स्वर्ग की ओर अपनी नजरें उठाने हेतु आमंत्रित करते हैं।"

अंत में संत पापा ने कहा, स्वर्ग की ओर नजरें उठाने से "हम अपने पड़ोसियों के लिए अपना हाथ खोलने की ज़रूरत महसूस करेंगे – और यह हमारे भय को भी समाप्त कर देगा।

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03 December 2018, 16:06